Ghaziabad News : हाई-वे और एक्सप्रेस-वे का जाल बिछने के बाद सड़क मार्ग की स्पीड बढी है, अब बारी ट्रेन की स्पीड बढ़ाने की है। ट्रेन की स्पीड बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए गाजियाबाद - मुरादाबाद रेलखंड को स्मार्ट बनाने का काम शुरू हो गया है। इसी वजह से इस रूट पर बीच-बीच में रेल परिचालन में परिवर्तन किए जा रहे हैं। नॉन इंटरलॉकिंग का काम जगह- जगह पूरा कर लिया गया है, इसी वित्तीय वर्ष में मुरादाबाद तक ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का काम पूरा कर लिया जाएगा।
गाजियाबाद और हापुड़ के बीच शुरू हो चुका है काम
पहले चरण में गाजियाबाद और हापुड़ के बीच काम शुरू हो गया है। इस रेल खंड पर ट्रैक की संख्या बढ़ाकर दो से चार करने की तैयारी है ताकि ट्रैक पर दवाब कम हो सके। दरअसल यह पूरी कवायद ट्रेन की स्पीड बढ़ाने के लिए की जा रही है ताकि रेलवे बुलेट ट्रेन की राह पर आगे बढ़ सके। फिलहाल आरआरटीएस जैसी स्पीड का लुत्फ तो आप अगले साल तक उठा सकेंगे।
गाजियाबाद - मुरादाबाद के बीच रोजाना चलती हैं 200 ट्रेन
गाजियाबाद- मुरादाबाद रेल खंड काफी व्यस्त रेल खंड है। इस पर रोजाना 200 ट्रेन आवाजाही करती हैं। केवल मुरादाबाद ही नहीं काठगोदाम, रानीखेत, रामनगर, बरेली, शहाजहांपुर, लखनऊ, बनारस और बिहार तक जाने वाली ट्रेन इस रूट पर चलती हैं। ऐसे में यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि ट्रैक कितना ओवरलोड है। इससे निजात पाने का उपाय है ट्रेन की स्पीड और ट्रैक की संख्या बढ़ाना। ट्रेन की स्पीड बढ़ाने का रास्ता ऑटोमेटिक सिग्नलिंग के बाद संभव हो सकेगा। सेक्सन इंजीनियर पीके पांडेय ने बताया कि गाजियाबाद - मुरादाबाद रेल खंड पर फिलहाल दो ट्रैक हैं। एक अप ट्रेनों के लिए इस्तेमाल होता है दूसरा डाउन के लिए। इस रेल खंड पर दो ट्रैक और बिछाए जाने की योजना पर काम चल रहा है। सर्वे के आधार पर फिजीविलटी रिपोर्ट बनाने की तैयारी है।
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग क्या है ?
ऑटोमेटिक सिग्नलिंग के लिए हर एक किमी पर सिग्नल होगा। यानि ट्रैक खाली होने के साथ ही सिग्नल ग्रीन होते जाएंगे और पीछे-पीछे दूसरी ट्रेन दौड़ाई जा सकेगी। इससे रेल ट्रैक स्मार्ट हो जाएगा और समय की काफी बचत होने लगेगी। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक ट्रेन स्टेशन तब छोड़ती है जब उसके आगे वाली ट्रेन अगले स्टेशन से चली गई होती है। अगला स्टेशन 10 किमी की दूरी पर हो या फिर 30 किमी की दूरी पर। अगली ट्रेन को यह दूरी नापने में जितना समय लगेगा उतने समय के लिए ट्रैक बुक मानिए। ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग से यह व्यवस्था बदली जाएगी। हर एक किमी पर मिलने वाला सिग्नल ट्रेन के ड्राईवर को संकेत देता रहेगा और सिग्नल के मुताबिक ट्रेन चलती रहेगी।
आउटर पर लगने वाला समय भी बचेगा
अभी आउटर पर ट्रेन रूकना आम बात है, रूकना भी न पड़े, स्लो होना तो लाजिमी है। ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग स्लो होने और रूकने में व्यर्थ जा रहे समय को भी बचाने का काम करेगी और ट्रेन दनदनाते हुए सीधे प्लेटफार्म पर जाकर रूकेगी। केवल सिग्नलिंग का समय बचने से ही ट्रेन की स्पीड में अच्छा खासा इजाफा हो जाने वाला है। गाजियाबाद से मुरादाबाद के बीच का सफर तय करने में ट्रेन अभी दो से तीन घंटे का समय लेती हैं, इसे कम करके डेढ़ के अंदर लाने की तैयारी है।
चालू वित्तीय वर्ष में मुरादाबाद तक पूरा होगा काम
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग पर अभी गाजियाबाद और हापुड़ के बीच काम चल रहा है। जगह - जगह नॉन इंटरलॉकिंग का काम पूरा कर लिया गया है। चालू वित्तीय वर्ष में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का काम मुरादाबाद तक पूरा करने की तैयारी है। अगले वित्तीय वर्ष में मुरादाबाद - बरेली - शहाजहांपुर रेल खंड को स्मार्ट बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर 1500 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
फाटक बंद होंगे, ट्रैक की बाउंड्रीवाल बनेगी
ट्रेन की स्पीड बढ़ाने में सबसे बड़ी बाधा है रेल रूल्स का बायोलेशन करके लोगों का रेल ट्रैक पर आ जाना। जानवरों के ट्रैक पर आने का खतरा। इसके लिए सबसे पहले तो बीच-बीच में फाटक खत्म करने की तैयारी है। दूसरे आबादी वाले क्षेत्रों में ट्रैक की बाउंड्रीवाल तैयार की जानी है ताकि कोई सीधे ट्रैक पर न आने पाए। ये दोनों काम पूरे होने के बाद ही ट्रेन की स्पीड बढ़ाने का रास्ता साफ हो सकेगा।