धरती को चीरती हुई बाहर निकली सुदर्शन, छठी और आखिरी सुरंग का काम भी पूरा

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर : धरती को चीरती हुई बाहर निकली सुदर्शन, छठी और आखिरी सुरंग का काम भी पूरा

धरती को चीरती हुई बाहर निकली सुदर्शन, छठी और आखिरी सुरंग का काम भी पूरा

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Ghaziabad News : दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर मेरठ में भूमिगत सेक्शन में टनलिंग का कार्य पूरा कर एनसीआरटीसी ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है। भैंसाली से बेगमपुल के बीच निर्मित इस छठी और आखिरी टनल के निर्माण कार्य में लगी टनल बोरिंग मशीन सुदर्शन 14 मीटर की गहराई पर बेगमपुल पर निर्मित रीट्रिविंग शॉफ्ट से मंगलवार को बाहर निकाली गई। इसके साथ ही मेरठ में टनलिंग का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।

तीन स्टेशनों को जोड़ेगी टनल
आरआरटीएस कॉरिडोर पर मेरठ के भूमिगत सेक्शन में तीन स्टेशन हैं : मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल। इन तीनों स्टेशनों को आपस में जोड़ने के लिए तीन भाग में कुल छह टनलों का निर्माण किया गया है। भैंसाली और बेगमपुल को जोड़ने वाली यह छठी और आखिरी टनल लगभग एक किलोमीटर लंबी है।
रिकार्ड समय में कार्य पूरा
यह एनसीआरटीसी टीम ने मेरठ में लगभग 5.5 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर में आने और जाने के लिए तीन समानांतर टनलों को महज 15 महीने के रिकार्ड समय में पूरा कर लिया। मेरठ की पहली टनल का निर्माण अक्टूबर 2022 में पूरा कर लिया गया था, और आज जुलाई में छठी टनल के पूर्ण होने के साथ ही मेरठ में टनलिंग का कार्य संपन्न हो गया है। अब इन टनलों में ट्रैक बिछाने और ओएचई इंस्टॉलेशन का कार्य चल रहा है।

अपनी तरह की पहली सुरंग
मेरठ में इन सभी छह टनलों के निर्माण में लगभग 35000 प्री-कास्ट सेग्मेंट्स का प्रयोग किया गया है। टनलिंग की प्रक्रिया में, सात सेग्मेंट्स को जोड़कर एक टनल रिंग का निर्माण किया जाता है। इन सेग्मेंट्स और रिंग्स को बोल्ट्स की सहायता से जोड़ा जाता है। रैपिडएक्स टनलों का व्यास 6.5 मीटर है जो 180 किमी प्रति घंटे की समान डिजाइन गति के साथ चौड़े एवं ऊँचे रोलिंग स्टॉक के लिए विश्व में निर्मित अन्य टनलों के वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में काफी अनुकूलित है। देश में अन्य रेल-आधारित शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की तुलना में, यह पहली बार है जब इतने बड़े आकार की सुरंग का निर्माण किया जा रहा है।

सुदर्शन 8.2 (टीबीएम) और टीम ने पार की मुश्किलें
इस सेक्शन में निर्मित टनल शहर के बहुत घनी आबादी वाले इलाकों को पार करते हुए, बेगमपुल नाले के नीचे से गुजरते हुए बेगमपुल स्टेशन पहुंची है। सुदर्शन 8.2 (टीबीएम) द्वारा नाले को पार करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया गया और टनल विशेषज्ञों द्वारा अत्यधिक सावधानी बरती गई। इस सेक्शन में 600 मीटर रेडियस का एक बहुत ही तीखा मोड़ भी था, जहाँ टीबीएम द्वारा टनलिंग करना एक कठिन काम था। इन तमाम कठिनाइयों के बावजूद, एनसीआरटीसी की टीम ने इसे पूरी सावधानी से सफलतापूर्वक संभव बनाया।

2025 तक आम लोगों को सौंपा जाएगा
इन भूमिगत स्टेशनों में, मेरठ सेंट्रल और भैंसाली मेरठ मेट्रो की सुविधा प्रदान करेंगे, वहीं बेगमपुल स्टेशन मेट्रो एवं रैपिडएक्स, दोनों सुविधाएं मुहैया कराएगा। ज्ञात हो कि एनसीआरटीसी 23 किलोमीटर के क्षेत्र में 13 स्टेशनों के साथ, आरआरटीएस कॉरिडोर पर ही स्थानीय मेट्रो की सुविधा प्रदान करने की पहल कर रहा है। इस पूरे कॉरिडोर को 2025 तक जनता के लिए संचालित करने का लक्ष्य है। यात्रियों को एक आधुनिक, कुशल और आरामदायक यात्रा साधन उपलब्ध कराने के साथ यह परियोजना मेरठ के शहरी परिवहन परिदृश्य में एक क्रांति लेकर आएगी।

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