Greater Noida West : ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इंडस्ट्रियल एरिया को आवासीय क्षेत्र में बदलने के विवादास्पद मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। यह मामला 2017 में सामने आया जब तत्कालीन बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सरकार के दौरान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच मिलकर मास्टर प्लान में बदलाव किया गया। इंडस्ट्रियल एरिया को आवासीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया। इसके बाद बिल्डरों को प्लॉट आवंटित किए गए। जबकि इस बदलाव के लिए संबंधित विभागों जैसे एनसीआर प्लानिंग बोर्ड और उत्तर प्रदेश सरकार से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
क्या है पूरा मामला
इस मुद्दे पर स्थानीय नागरिकों ने उत्तर प्रदेश सरकार से शिकायत की और बाद में समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के दौरान इस मामले की जांच का आदेश दिया गया। हालांकि, जांच की प्रक्रिया को दबा दिया गया। फिर 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए जांच कराई गई। इस जांच में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन, मुख्य कार्यपालक अधिकारी और अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी समेत 27 अधिकारियों को आरोपी पाया गया।
अभी तक कोई कार्रवाई नहीं
हालांकि, अब तक इन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में अब अवैध कॉलोनियों का जाल ग्रेटर नोएडा वेस्ट क्षेत्र में फैलता जा रहा है। प्राधिकरण के अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। ग्रेटर नोएडा उत्थान समिति के अध्यक्ष दीपक सिंघल ने इस मामले को फिर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय को मामले की पूरी जानकारी भेजी है।
अभी तक नहीं मिला इंसाफ
विपक्ष का कहना है कि अगर इस क्षेत्र में इंडस्ट्री लगाई जाती तो यह उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता था, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने इलाके की जमीन को औने-पौने दामों में बिल्डरों को लौटा दिया और प्राधिकरण को खोखला कर दिया। हालांकि, यह मामला अभी भी न्याय का इंतजार कर रहा है।