Tricity Today | शाहबेरी में 80 बिल्डिंग सील की गईं
Noida News : ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में विकास प्राधिकरण ने 80 खतरनाक इमारतों को सील कर दिया है। यह कार्रवाई गुरुवार और शुक्रवार को सील की गयी हैं। यह कार्रवाई शनिवार को भी जारी रहेगी। यहां कई साल पहले बंद की जा चुकीं खतरनाक और कमजोर इमारतों में शुक्रवार को परिवार रहते मिले हैं। अब इनको एक बार फिर बंद करवा दिया गया है। शुक्रवार की सुबह विकास प्राधिकरण के अफसरों और पुलिस की टीम ने पूरे इलाके का दौरा किया है।
बारिश ने शाहबेरी के हालात बिगाड़े
पिछले दस दिनों से लगातार बारिश हो रही है। जिसके चलते शाहबेरी में जलभराव की स्थिति बनी हुई है। इसी बीच विकास प्राधिकरण को सूचना मिली कि पूर्व में ब्लैकलिस्ट की गई इमारतों में लोग रह रहे हैं। जल भराव के चलते हादसा हो सकता है। मिली जानकारी के मुताबिक प्राधिकरण की टीम ने 20 से ज्यादा इमारतों को सील किया है।
इस वजह से की गई सीलिंग
पिछले एक दशक से ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में अवैध कंस्ट्रक्शन चल रहा है। भूमाफिया, बिल्डर, प्रॉपर्टी डीलर और कॉलोनाइजर का नेक्सस इस इलाके में काम करता है। यह लोग सस्ते घर देने के नाम पर मध्यम वर्ग के कामकाजी लोगों को यहां लाकर फंसा रहे हैं। शाहबेरी गांव की पूरी जमीन ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिसूचित इलाके में है। लिहाजा, प्राधिकरण की इजाजत के बिना यहां किसी भी तरह का निर्माण अवैध है। इस नेक्सस ने प्राधिकरण की इजाजत लिए बिना और नक्शे पास करवाए बिना ऊंची-ऊंची इमारतों में फ्लैट बनाकर खड़े कर दिए हैं।
17 जुलाई 2018 को हुआ था हादसा
इसी तरह की एक अवैध और कमजोर इमारत 17 जुलाई की रात भरभराकर गिर पड़ी थी। उस दौरान लगातार बारिश हो रही थी और शाहबेरी के पूरे इलाके में घुटनों तक जलभराव था। उस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई थी। चार परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गए थे। इसके बाद विकास प्राधिकरण की कुंभकर्णी नींद टूटी थी। शाहबेरी के पूरे इलाके में अवैध निर्माण पर पाबंदी लगायी गई थी। इसके बावजूद शाहबेरी में चोरी-छिपे बदस्तूर अवैध निर्माण चल रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विकास प्राधिकरण ने जिन इमारतों को अवैध और कमजोर घोषित करके सील किया था, शुक्रवार को जब प्राधिकरण की टीम पहुंची तो उन घरों में परिवार रहते मिले हैं।
नोटिस जारी किए, एफआईआर होगी
शुक्रवार की सुबह शाहबेरी पहुंची टीम में शामिल एक अफसर ने बताया कि पहले सील किए जा चुके घरों में परिवार रहते मिले हैं। इन लोगों ने प्राधिकरण की ओर से लगाई गई सील तोड़कर घरों पर एक बार फिर क़ब्ज़ा कर लिया है। इन सभी लोगों को तत्काल इन इमारतों को ख़ाली करने का आदेश दिया गया है। घरों पर नोटिस चस्पा कर दिए गए हैं। असुरक्षित इमारतों में रह रहे लोगों को कहा गया है कि अगर 3 दिनों में घर ख़ाली नहीं किए गए तो क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। अवैध इमारतों पर क़ब्ज़ा करके रहने वाले लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
निगरानी करेंगे पुलिस और अथॉरिटी
इसके अलावा इलाक़े में निगरानी रखने के लिए स्थानीय पुलिस और विकास प्राधिकरण के सर्किल इंचार्ज को निर्देश दिए गए हैं। प्राधिकरण के अफ़सर ने बताया कि अवैध इमारतों वाले शाहबेरी के इस पूरे इलाक़े में बरसात का पानी भरा हुआ है। जल निकासी का कोई इंतज़ाम नहीं है। कॉलोनाइजरों ने सीवर लाइन नहीं बनायीथीं। नाले और नालियों का निर्माण भी नहीं किया था। जिसके चलते बरसात का पानी इमारतों की नींव में जा रहा है। यहां इमारतें बरसाती पानी की वजह से और ज़्यादा कमज़ोर हो रही हैं।
शाहबेरी में 3 श्रेणी की इमारतें
आपको बता दें कि 17 जुलाई 2018 की रात हादसा होने के बाद ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने शाहबेरी में बनायी गई तमाम अवैध इमारतों का सर्वे आईआईटी दिल्ली से करवाया था। आईआईटी दिल्ली ने इमारतों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया था।
1. पहली श्रेणी में ऐसी इमारतें शामिल की गई थीं, जो बेहद कमज़ोर और असुरक्षित हैं। ऐसी इमारतों को तत्काल तोड़ने की सिफ़ारिश आईआईटी ने की थी।
2. दूसरी श्रेणी में उन इमारतों को शामिल किया गया, जो मानकों के अनुसार तो नहीं बनी हैं लेकिन रहने लायक हैं। ऐसी इमारतों में कुछ अतिरिक्त निर्माण करके सुरक्षित बनाया जा सकता है।
3. तीसरी श्रेणी में उन इमारतों को शामिल किया गया, जो पूरी तरह रहने लायक हैं और सुरक्षित हैं। ख़ास बात यह है कि आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट आए करीब पांच साल से ज़्यादा वक़्त बीत चुका है, लेकिन अब तक शाहबेरी से जुड़े इस जंजाल को सुलझाने के लिए प्राधिकरण ने कोई क़दम नहीं उठाया है। असुरक्षित और ख़तरनाक इमारतों का ध्वस्तीकरण अब तक नहीं किया गया है। यही वजह है कि इन इमारतों में घर ख़रीद चुके लोग चोरी-छिपे घुस कर बैठ जाते हैं। लिहाज़ा, कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।