Greater Noida West : ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आजकल बोमन ईरानी की फिल्म 'वेलडन अब्बा' की कहानी हकीकत में देखने को मिल रही है। जिस तरह इस फिल्म में किसानों की खेती सिंचाई के लिए बनाए गए कुएं केवल कागजों पर सरकारी सिस्टम बनाकर खड़े कर देता है, ठीक उसी तरह ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक हाउसिंग सोसायटी में क्लब हाउस और स्विमिंग पूल कागजों पर बनाकर खड़े कर दिए गए हैं। बड़ी बात यह है कि बिल्डरों पर शिकंजा कसने के लिए उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण अस्तित्व में आया, अब यूपी रेरा ही बिल्डरों के हाथ की कठपुतली बनता नजर आ रहा है।
क्या है पूरा मामला
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अजनारा बिल्डर का ली-गार्डन प्रोजेक्ट है। इस हाउसिंग सोसाइटी में बड़ी संख्या में परिवार रह रहे हैं। प्रोजेक्ट यूपी रेरा में रजिस्टर्ड है। लिहाजा, प्रत्येक 6 महीने में यूपी रेरा की टीम प्रोजेक्ट का दौरा करती है। मौजूदा डेवलपमेंट और कंस्ट्रक्शन पर इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट सौंपती है। इसी साल फरवरी महीने में यूपी रेरा की टीम ने सोसाइटी की इन्वेस्टिगेशन की। टीम की ओर से रिपोर्ट रेरा के हेडक्वार्टर को सौंपी गई, यह रिपोर्ट बेहद हास्यास्पद है। सोसायटी के निवासी मुकेश ने कहा, "इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में बताया गया है कि बिल्डर ने क्लब हाउस, स्विमिंग पूल और इससे जुड़ी सुविधाओं को विकसित कर दिया है। सही मायने में आज तक क्लब हाउस और स्विमिंग पूल बनाए ही नहीं गए हैं। बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए गलत रिपोर्ट दाखिल की है। हम लोगों ने शिकायत की है। पूछा है कि जब बिल्डर ने स्विमिंग पूल और क्लब हाउस बना दिए हैं तो कहाँ चले गए। यहां से चोरी कैसे हो गए? अब हम रेरा से क्लब हाउस और स्विमिंग पूल चोरी होने की शिकायत करेंगे।"
मामला सामने आया तो रेरा की टीम सोसायटी पहुंची
यूपी रेरा की रिपोर्ट से ली-गार्डन हाउसिंग सोसायटी के निवासी गुस्से में हैं। निवासियों ने सोशल मीडिया पर यूपी रेरा के खिलाफ शिकायत की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। जानकारी मिलने के बाद रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने सोमवार को इंजीनियरों की एक टीम सोसाइटी में भेजी। इस टीम ने मौके पर जाकर जांच पड़ताल की। टीम को क्लब हाउस, स्विमिंग पूल और सोलर सिस्टम नहीं मिले हैं। इंजीनियरों की टीम सोसाइटी के टावरों में टॉप फ्लोर पर जांच करने पहुंची। सोसायटी के निवासी विनीत झा ने कहा, "अगर यूपी रेरा के इंजीनियरों ने यह रिपोर्ट गलत ढंग से दाखिल की है तो कार्यवाही की जानी चाहिए। अगर लापरवाही में ऐसा हुआ है तो इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। साथ ही लापरवाही बरतने वालों पर एक्शन किया जाए। इससे पता चलता है कि यूपी रेरा जैसा महत्वपूर्ण निकाय किस ढंग से काम कर रहा है। फ्लैट खरीदारों की समस्याएं यूपी रेरा के लिए रूटीन बन चुका है। जब यूपी रेरा का गठन हुआ था तो हम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद थी। सही मायने में यूपी रेरा ने फ्लैट खरीदारों को अभी तक कोई राहत नहीं दी है।"
सोसाइटी में हालात देखकर हैरान रह गई रेरा की टीम
सोमवार की दोपहर यूपी रेरा के इंजीनियरों की टीम ली गार्डन हाउसिंग सोसायटी पहुंची। टीम ने सोसायटी के बेसमेंट, छत और क्लब हाउस की साइट पर जाकर जांच-पड़ताल की। सोसायटी के निवासी बड़ी संख्या में इंजीनियरों की टीम के साथ मौजूद रहे। लोगों ने टीम से सवाल किया, अगर यहां स्विमिंग पूल, क्लब हाउस और सोलर सिस्टम फरवरी में बन चुके थे तो अब कहां गायब हो गए हैं? इस पर इंजीनियरों की टीम ने जल्दी से जल्दी पुरानी रिपोर्ट में सुधार करने का आश्वासन निवासियों को दिया है। सोसायटी के रेजिडेंट जीवेश ने कहा, "यूपी रेरा केवल खानापूर्ति करने के लिए है। रेरा के आदेशों पर बिल्डर अमल नहीं करते हैं। दरअसल, बिल्डर जान गए हैं कि यूपी रेरा के पास शक्तियां नहीं हैं। ऊपर से रेरा के सिस्टम में भी बिल्डर ने अपनी घुसपैठ कर ली है। जिसकी बदौलत मामलों को लंबा लटकाया जा रहा है। जिन मामलों में फैसला आ जाता है, उन पर प्रशासन प्राधिकरण और बिल्डर अमल नहीं करते हैं। सही मायने में रेरा से न्याय मिलने में और ज्यादा देरी हो रही है। अगर फ्लैट खरीदार सीधे सरकार या हाईकोर्ट में एप्रोच करते हैं तो पहले रेरा में जाने की बात कही जाती है। रेरा में वर्षों बर्बाद हो रहे हैं।"