हाथ जोड़कर बोले- अब तो हमें हमारे घर दे दीजिए

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फ्लैट खरीदारों का प्रदर्शन : हाथ जोड़कर बोले- अब तो हमें हमारे घर दे दीजिए

हाथ जोड़कर बोले- अब तो हमें हमारे घर दे दीजिए

Tricity Today | प्रदर्शन

Greater Noida West : एक दशक से ज्यादा वक्त बीतने के बावजूद ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लाखों फ्लैट खरीदार आज भी अधर में लटके हुए हैं। बड़ी संख्या में लोग अभी घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं। जिन्हें घर मिल गए हैं, उनके नाम रजिस्ट्री नहीं हो रही हैं। घरों की रजिस्ट्री करवाने की मांग को लेकर रविवार की सुबह ग्रेटर नोएडा वेस्ट की तमाम हाउसिंग सोसायटीज के निवासियों ने एक मूर्ति गोल चक्कर पर प्रदर्शन किया है। इन लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से कहा, "कम से कम अब तो हमारे ऊपर रहम कर दीजिए। हमारे घरों पर हमें हक दे दीजिए।"

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फ्लैट खरीदारों की संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने इस प्रदर्शन का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा, "साल 2009 से यहां फ्लैट खरीदारों ने अपना पैसा लगाना शुरू किया था। अब साल 2022 खत्म होने में 10 दिन बाकी बचे हैं। करीब 13 साल बीतने के बावजूद हजारों परिवार ऐसे हैं, जिन्हें उनके घर नहीं मिल पाए हैं। जिन लोगों को करीब एक दशक लंबा इंतजार करने के बाद घर मिल गए हैं तो उन्हें मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। दरअसल, बिल्डरों ने प्राधिकरण को जमीन का पैसा नहीं चुकाया है। प्राधिकरण बिल्डरों को ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट और कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं। कुल मिलाकर हम लोग अपने ही घरों में अवैध रूप से रहने के लिए मजबूर हैं। बिल्डरों और प्राधिकरण के बीच 3 साल सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चला। अब उस मुकदमे पर आखिरी फैसला आ चुका है। फिर भी समाधान नहीं हो रहा है। अब वक्त आ गया है कि प्राधिकरण सख्ती बरतें और बिल्डरों से अपना पैसा वसूल कर लें। हमारे घरों पर हमें मालिकाना हक दे दें।"

सुपरटेक इकोविलेज-1 से आशीष विजयपुरिया प्रदर्शन में शामिल होने आए। उन्होंने कहा, "हमारे बिल्डर का तो बुरा हाल है। फ्लैट की पूरी कीमत बरसों पहले वसूल चुका है। अगर किसी ने एक किश्त चुकाने में 4 दिन की देरी की तो उससे पूरे महीने की पेनल्टी और ब्याज वसूल लिया। अब 2-3 साल बीतने के बावजूद हमें हमारे घर की रजिस्ट्री नहीं करवा रहा है। हम लोग स्टैम्प ड्यूटी तक का पैसा जमा कर चुके हैं। किसी लेवल पर कोई सुनने वाला नहीं है। अब सुनने में आ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में हारने के बाद बिल्डर खुद को दिवालिया घोषित करने की तैयारी कर रहे हैं। कुल मिलाकर पहले किसानों, बिल्डरों और प्राधिकरण के विवाद में फ्लैट खरीदार बर्बाद हुए। जैसे-तैसे घर मिला तो अब मालिकाना हक मिलना मुश्किल लग रहा है। सरकार को हमारी बुरी हालत पर ध्यान देना चाहिए। इस संकट का जल्दी से जल्दी हल निकालना बहुत जरूरी है।"

एपेक्स कोर्ट से रोहित मिश्रा में कहा, "ग्रेटर नोएडा वेस्ट को सपनों का शहर बताया जा रहा था। यहां वर्ल्ड क्लास फैसिलिटी देने का वादा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और बिल्डर कर रहे थे। इनके झांसे में हम लोग आकर फंस गए हैं। लोगों ने जीवन भर की कमाई बिल्डरों को सौंप दी है। बिल्डरों ने जमीन तक का पैसा प्राधिकरण को नहीं दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हम लोगों से लिया गया पूरा पैसा कहां चला गया? ऊपर से बिल्डरों ने बैंकों से लोन भी ले रखे हैं। हम लोगों के हालात कितने खराब हैं, अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगर इमरजेंसी में अपनी प्रॉपर्टी बेचना चाहें तो नहीं बेच सकते हैं। मतलब, यह फ्लैट हमारे होकर भी हमारे नहीं हैं। कुल मिलाकर हम लोग ना तो मकान मालिक हैं और ना किराएदार हैं। हमें खुद नहीं पता हमारी हैसियत क्या है?"

आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट में हर वीकेंड पर शनिवार और रविवार को किसी न किसी मुद्दे को लेकर फ्लैट खरीदार प्रदर्शन करते हैं। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, प्राधिकरण, प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को खत लिखते रहते हैं। यह सिलसिला साल 2009 से बदस्तूर जारी है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में पहले किसान आंदोलन कर रहे थे। किसानों से जुड़े विवाद खत्म हुए तो फ्लैट खरीदार करीब 10 वर्षों से आंदोलन पर हैं। हजारों परिवारों को 10-10 साल बीतने के बावजूद उनके सपनों का आशियाना नहीं मिला है। जिन्हें घर मिला है, उनके नाम उनका घर नहीं है। हाउसिंग सोसाइटीज में सुविधाओं के नाम पर परेशानियां ज्यादा हैं। लिफ्ट, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, कूड़ा निस्तारण, पेयजल आपूर्ति और बिजली कनेक्शन जैसे मूलभूत मसले झगड़े की वजह बने हुए हैं। रविवार को हुए इस प्रदर्शन में जेएम फ्लोरेंस से बजरंग दुबे, पंचशील से दीपांकर कुमार और सुपरटेक इकोविलेज-3 से मृत्युंजय झा जैसे तमाम लोग अपना दर्द बयां करने आए थे।

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