ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो रूट को मिली हरी झंडी, अब केंद्र सरकार लगाएगी पैसा

BIG BREAKING : ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो रूट को मिली हरी झंडी, अब केंद्र सरकार लगाएगी पैसा

ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो रूट को मिली हरी झंडी, अब केंद्र सरकार लगाएगी पैसा

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Greater Noida West Metro Project : ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Greater Noida West) और नोएडा शहर के हिंडन नदी से लगते आवासीय इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए बड़ी खबर है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो रूट को पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) ने हरी झंडी दे दी है। अब केंद्र सरकार इस परियोजना में पैसा लगाएगी। आपको बता दें कि करीब 6 वर्षों से ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लाखों लोग इस मेट्रो रूट पर काम शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। एक तरह से ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो की राह का सबसे बड़ा रोड़ा हट गया है।

करीब 1,100 करोड़ रुपये की है परियोजना
ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले चरण में 9.15 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड ट्रैक बनाया जाएगा। इस पर 5 स्टेशन बनाए जाएंगे। प्रोजेक्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार, नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी मिलकर करीब 1,100 करोड रुपए खर्च करेंगे। केंद्र सरकार से हिस्सेदार बनने के लिए प्रस्ताव दिल्ली भेजा गया था। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने प्रस्ताव को परीक्षण और मंजूरी के लिए पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड भेजा था। अब बोर्ड ने इसे जनोपयोगी परियोजना करार दिया है। लिहाजा, केंद्र सरकार इस पर पैसा खर्च करेगी। सिविल वर्क पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। करीब एक दशक से ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले लोगों को इस परियोजना पर काम शुरू होने का इंतजार है। खास बात यह है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने शुरुआती वर्ष में ही इस परियोजना को मंजूरी दे दी थी।

इन 5 स्थानों पर बनेंगे मेट्रो स्टेशन
नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बीच मेट्रो प्रोजेक्ट में 5 स्टेशन बनाए जाएंगे। यह सभी पांचों स्टेशन नोएडा सेक्टर-122, नोएडा सेक्टर-123, सेक्टर-4, सेक्टर-12 और सेक्टर-2 में होंगे। इसको लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले ही मंजूरी दे दी है। योगी सरकार से मंजूरी मिलने के बाद एनएमआरसी ने इसकी डीपीआर बनाकर उत्तर प्रदेश शासन को भेजी थी। उत्तर प्रदेश शासन से मंजूरी मिलने के बाद इसकी डीपीआर केंद्र सरकार को भेजी गई, लेकिन केंद्र ने कुछ कमियां बताकर दोबारा से डीपीआर बनाने के लिए कहा था। जिसके बाद एनएमआरसी ने दोबारा से डीपीआर बनाकर केंद्र सरकार को सौंपी थी। अब केंद्र सरकार में लगी आखिरी अड़चन दूर हो गई है।

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