शाही दावत के साथ बच्चों में में बांटी हैरथ खर्च, सजाया पूरा मंदिर, जानिये क्या होता है कश्मीरी महाशिवरात्रि में

कश्मीरी अंदाज में मनाई महाशिवरात्रि : शाही दावत के साथ बच्चों में में बांटी हैरथ खर्च, सजाया पूरा मंदिर, जानिये क्या होता है कश्मीरी महाशिवरात्रि में

शाही दावत के साथ बच्चों में में बांटी हैरथ खर्च, सजाया पूरा मंदिर, जानिये क्या होता है कश्मीरी महाशिवरात्रि में

Tricity Today | कश्मीरी महाशिवरात्रि के होते है तीन अनुष्ठान 

Noida : शिवरात्रि के उत्सव को कश्मीर में हेरथ कहा जाता है। कश्मीरी पंडित "शिव-पार्वती" विवाह को बहुत अलग तरीके से मनाते हैं। हेराथ के रीति-रिवाज बाकी संस्कृतियों से बहुत अलग हैं। नोएडा कि सुपरटेक इको विलेज 1 में हमें कश्मीरी संस्कृति की छठा रंजना सूरी भाद्वाज के फ्लैट पर देखने को मिली जहां उन्होंने पूरे फ्लैट को सुंदर तरीके से सजा रखा था और पूरे घर का वातावरण बेहद शुद्ध था। 

कश्मीरी महाशिवरात्रि के होते है तीन अनुष्ठान 
महाशिवरात्रि के अवसर पर वटुक पूजा, शिवरात्रि का पर्व और सबसे ज्यादा बच्चों को प्रिय हेरथ खर्च मनाया जाता है। रंजना सूरी भरद्वाज जो सुपरटेक इको विलेज वन की निवासी है बताती है कि सबसे ज्यादा इन्तजार पूरे साल हमें इसी त्यौहार का रहता है।  बच्चों को सबसे ज्यादा पसंद ही हेरथ खर्च होता है।  

पारंपरिक तरीके से करते है शिव पार्वती का आह्वान 
रंजना सूरी जो कश्मीरी ब्राह्मण है, हमें इस पावन पर्व के बारे में बताते हुए कहती है कि कश्मीर में शिवरात्रि पूजा को 'वतुक पूजा' के नाम से जाना जाता है। ये भगवान शिव का ब्रह्मचर्य रूप है। पूजा की शुरुआत से पहले, भगवान शिव और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व करने वाले दो बड़े बर्तनों को फूलों की माला से सजाया जाता है, और सबसे ऊपर अखरोट रखे जाते है। इन बर्तनों के मुंह पर लाल रंग का धागा भी बांधा जाता है। इन पर 'ओम' का चिन्ह भी बना होता है। इसके साथ ही, अन्य देवताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले कई छोटे बर्तनों को चांदी (वरक) की एक सुपर-फाइन शीट से ढका जाता है, ताकि उन्हें उत्सव का रूप दिया जा सके।

घर का हर सदस्य बैठता है पूजन में 
पूजा की शुरुआत भगवान गणेश के आह्वान के साथ-साथ अन्य देवताओं के बर्तनों को शुद्ध करने से होती है। पूजा में बैठने वाले परिवार के हर सदस्य के हाथ पैर कलावा बांधा जाता है। अनुष्ठान के बाद शंख बजाया जाता है और शिवजी की आरती की जाती है। 

हेरथ पर्व और लज़ीज व्यंजन 
रंजना सूरी भारद्वाज बताती है कि हेरथ का सालभर इंतजार रहता है, और इस दिन सबसे खास जो होता है वो है रात्रि भोज। आज के दिन स्वादिष्ट कश्मीरी व्यंजनों बनते है। नोएडा में आज के दिन शिवजी का उपवास रखने वाला कोई मांसहारी नहीं खाता लेकिन आज के दिन कश्मीरी व्यंजनों में मांस पकाया जाता है। रंजना बताती है के ज्यादातर घरों में, भव्य रात्रिभोज में विशिष्ट मांसाहारी व्यंजन जैसे 'रोगन जोश' और 'मटका' या मीट बॉल्स बनाये जाते है। हमारे यहां शुद्ध शाकाहारी भोजन बना जैसे कि  कश्मीरी दम आलू, लाल पनीर, पीले पनीर, साग, नदरो, मूली की चटनी, मूली का रायता, खीर और भी काफी कुछ। 

शिवरात्रि का अनुष्ठान तीन से चार दिनों तक चलता है
मुख्य प्रसाद में अखरोट और तुमुल चजुत (चावल की चपाती) होते हैं। प्रसाद वितरण का सिलसिला एक सप्ताह और चलेगा। फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उत्सव का समापन होता है। घर की महिलाएं प्रथा के अनुसार अपने माता-पिता के घर जाती हैं और पैसे लेकर ससुराल लौटती हैं।

हेरथ खर्च
यह हेरथ का एक और बहुप्रतीक्षित और मज़ेदार रिवाज है। पूजा के ठीक एक दिन बाद, परिवार का मुखिया परिवार में बच्चों, छोटे लोगों को पैसे देता है। इस पारंपरिक प्रथा को लेकर उत्साह बहुत अधिक है, जहां बच्चे कभी-कभी जल्दी उठकर सभी को 'हेराथ मुबारक' की बधाई देते हैं, और उनसे उनकी 'शिवरात्रि की कमाई' मांगते  हैं। पुराने दिनों में इस पैसे का इस्तेमाल बाजार से नए कपड़े और कैंडी खरीदने के लिए किया जाता था। नवविवाहितों को बुजुर्गों की ओर से नकद राशि भी भेंट की जाती है।

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