लीज बैक के नाम पर खैरपुर गांव में हुई जमीन की बंदरबाट, सरकार को लगा 10 हजार करोड़ रुपए का चूना

ग्रेटर नोएडा किसान आबादी भूखंड मामला : लीज बैक के नाम पर खैरपुर गांव में हुई जमीन की बंदरबाट, सरकार को लगा 10 हजार करोड़ रुपए का चूना

लीज बैक के नाम पर खैरपुर गांव में हुई जमीन की बंदरबाट, सरकार को लगा 10 हजार करोड़ रुपए का चूना

Tricity Today | Greater Noida Authority

Greater Noida West News : ग्रेटर नोएडा वेस्ट एरिया के किसानों ने यूपी के मुख्यसचिव को पत्र भेजकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से कुछ लोगों को जमीन की बंदरबाट करके 6 हजार वर्ग मीटर तक जमीन एक व्यक्ति के नाम कई-कई बार आबादी के नाम पर प्राधिकरण के भूमि विभाग ने छोड़ दी। इस मामले की जांच कर और बंदरबाट करने वाले लैंड विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कठोर करवाई करने और जमीन को वापस प्राधिकरण निहित करने की मांग की है।

इन के नाम पर छोड़ी गई इतने वर्ग मीटर जमीन
खैरपुर गांव के बलराज सिंह, यतेंद्र कुमार, अमित कुमार, विनोद कुमार, अमित, सुरेंद्र कुमार, मुकेश, टीटू, राकेश समेत सैकड़ों किसानों ने भेजे गए पत्र में कहा है कि खैरपुर गुर्जर गांव के जगत सिंह पुत्र राम चंद्र खसरा नंबर 205, जिसमें 6 हजार वर्ग मीटर जमीन छोड़ी गई है। खसरा नंबर 205 म, 2890 वर्ग मीटर, खसरा नंबर 581 म, 2530 वर्ग मीटर, खसरा नंबर 579, रकबा 1280 वर्ग मीटर, खसरा नंबर 458, रकबा 575 वर्ग मीटर जमीन छोड़ी गई है। इसके अलावा हरेंद्र, वीरेंद्र, नरेंद्र, पुत्रगण जगत सिंह, हरेंद्र पुत्र जगत सिंह के नाम खसरा नंबर 581 म 4435 वर्ग मीटर और खसरा नंबर 152 में रकबा 843 वर्ग मीटर जमीन छोड़ी गई है। किसानों ने बताया कि धनपाल पुत्र नेहपाल के नाम खसरा नंबर 148, 178, 177, 178 में रकबा 2300 वर्ग मीटर, 3000 वर्ग मीटर और 3354 वर्ग मीटर जमीन छोड़ी गई है। इसी तरह ज्ञानेंद्र पुत्र धनपाल, जगत पुत्र धनपाल के नाम खसरा नंबर 242 में 1212 वर्ग मीटर जमीन छोड़ी गई है। 

प्राधिकरण को हुआ 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान 
किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण के लैंड विभाग द्वारा छोड़ी गई एक ही परिवार के नाम जमीन से प्राधिकरण को करीब 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ है। यह जमीन प्राधिकरण के लैंड विभाग ने चंद लोगों के पक्ष में फर्जी तरीके से कई सौ हेक्टेयर कृषि भूमि आबादी की लीज बैक के नाम पर छोड़ दी गई और इन लोगों से किसी तरह का भी कोई विकास शुल्क तक नहीं लिया गया। केवल 100 रुपए स्टांप पेपर पर जमीन को इन लोगों के नाम कर दिया। इससे  प्राधिकरण और राज्यसरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। 

"फर्जी तरीके से दिए गए आबादी के भूखंड"
किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण के लैंड विभाग ने उन लोगों को भी 10 प्रतिशत आबादी के भूखंड दिए जाने के आदेश पारित कर दिए। जोकि कभी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज करने ही नहीं गए। इन लोगों को सन 2011 में हाई कोर्ट के आए फैसले का लाभ दे दिया गया और जो जमीन लीज बैक कर छोड़ी गई है, सर्वे रिपोर्ट संख्या16 और 2011 में हुए सैटेलाइट सर्वे में कभी कोई आबादी नहीं बनी थी। इस तरह इन लोगों ने फर्जी तरीके से आबादी बताकर लीज बैक कर प्राधिकरण को हजारों करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है।

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