लोगों को नहीं भरोसा, बोले- जब तक नींव न खुदे, तब तक यकीन न बने

ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो : लोगों को नहीं भरोसा, बोले- जब तक नींव न खुदे, तब तक यकीन न बने

लोगों को नहीं भरोसा, बोले- जब तक नींव न खुदे, तब तक यकीन न बने

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो

Greater Noida West : ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो प्रोजेक्ट में पैसा लगाने के लिए केंद्र सरकार तैयार हो गई है। केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण निकाय 'पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड' ने इस परियोजना को जनउपयोगी मान लिया है। प्रोजेक्ट पर अंतिम मोहर लगाने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार ने भेज दिया है। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासी अभी भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है, "हमें तो पिछले 10 वर्षों से लगातार आश्वासन मिल रहे हैं। इस बेहद जरूरी परियोजना की पत्रावली प्राधिकरण, राज्य और केंद्र सरकार के बीच घूम रही है। जब तक नींव की खुदाई नहीं शुरू हो जाएगी तब तक भरोसा करना मुमकिन नहीं है।"

'चुनाव आते ही प्रोजेक्ट की फाइल एक कदम आगे बढ़ती है'
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पंचशील हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले मयंक प्रताप कहते हैं, "यह खबर तो बहुत अच्छी है लेकिन जब तक काम शुरू नहीं होगा तब तक मानने लायक नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार के पास इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं है और हमारे पास उनके लिए वोट नहीं हैं। जब विधानसभा या लोकसभा चुनाव आने को होता है तो इस प्रोजेक्ट की फाइल एक कदम आगे बढ़ा दी जाती है। यह पिछले 10 वर्षों से लगातार हो रहा है। हमारे जनप्रतिनिधि चुनाव के दौरान आकर झूठे वादे करते हैं और 5 साल के लिए चले जाते हैं। अब लोकसभा चुनाव आने वाला है तो एक बार फिर ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो की फाइल एक कदम आगे बढ़ गई है।

'लोकसभा चुनाव से पहले हमें रिझाने की कोशिश है'
मीडिया कनेक्ट टीम के फाउंडर मेंबर विवेक रमन कहते हैं, "सरकार केवल हमें ललचाने के लिए घोषणाएं कर रही है। मुझे लगता है कि अभी अगले 10 और वर्ष इस प्रोजेक्ट को धरती पर उतरने में लगेंगे। मैंने मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के फाइनेंस हेड का बयान पढ़ा है। मुझे लगता है कि एक बार फिर सरकार बस लॉलीपॉप देकर लोकसभा चुनाव से पहले हमें रिझाने की कोशिश कर रही है।"

'कोई हाऊसिंग लाने की तैयारी कर रहा होगा प्राधिकरण'
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासी और एक गैर सरकारी संगठन चलाने वाले देशराज कहते हैं, "यह ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासियों के लिए अच्छी खबर है। संभावना है कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट में नई रेजिडेंशियल या कमर्शियल स्कीम लांच होने वाले होंगी, यही वजह है कि प्रॉपर्टी डीलर, बिल्डर और विकास प्राधिकरण मेट्रो की चमक दिखाकर मोटी कीमत वसूलना चाहते हैं। जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डर या प्राधिकरण हाउसिंग स्कीम लॉन्च करते हैं तो मेट्रो लाइन उस आवासीय योजना के नजदीक बताकर घरों की कीमतें बढ़ा दी जाती हैं। बाद में बिल्डर फ्लैट खरीदार का पूरा पैसा लेकर फरार हो जाता है। विकास प्राधिकरण झूठी कार्यवाही करने का झूठा वादा करता रहता है।"

'अभी ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो प्रोजेक्ट केवल कागजी है'
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फ्लैट खरीदारों की संस्था नेफोवा के उपाध्यक्ष मनीष कुमार इस वार्तालाप पर आगे लिखते हैं, "आप लोगों ने शायद दो-तीन दिन पहले समाचार पढ़ा होगा। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण बिल्डरों के लिए ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच कर रहा है। जिसमें ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टरों में ग्रुप हाउसिंग प्लॉट की बिक्री करनी है। यही वजह है कि अब पिटारे से ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो प्रोजेक्ट को निकाल कर बाहर रखा गया है। मेट्रो परियोजना के नाम पर बिल्डर ऊंची बोली लगाएंगे और प्राधिकरण मोटी कमाई कर लेगा। इसके बाद बिल्डर फ्लैट बेचने के नाम पर कई गुना ज्यादा वसूली करेंगे। पिछले 10 वर्षों से ग्रेटर नोएडा वेस्ट में यही धंधा चल रहा है। सही मायनों में अभी मेट्रो प्रोजेक्ट केवल कागजी है।"

यह सबसे सफल मेट्रो रूट साबित होगा लेकिन...
गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की अध्यक्ष रश्मि पांडे कहती हैं, "पूरे जिले में सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला इलाका ग्रेटर नोएडा वेस्ट है। पिछले 10 वर्षों में यहां करीब 2 लाख परिवार आकर बस चुके हैं। जनसंख्या 5 लाख के पार है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है। लोगों को मजबूर होकर दो-दो कार रखनी पड़ रही हैं। जिसका बुरा असर यहां की सड़कों पर साफ नजर आता है। रोज सुबह और शाम के वक्त लंबा ट्रैफिक जाम लगता है। दूसरी तरफ नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच एक्वा लाइन मेट्रो है। वह ऐसे इलाकों से होकर गुजरती है जहां यात्री मिलने मुश्किल हैं। एक्वा लाइन मेट्रो घाटे में चल रही है और पूरी तरह अनुपयोगी साबित हुई है। अगर ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मेट्रो आ जाए तो यह एनसीआर के सबसे सफल प्रोजेक्ट में एक साबित होगी। यह जानकारी नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को है। इसके बावजूद पिछले 10 वर्षों से केवल वेस्ट मेट्रो की फाइल इधर से उधर टेबलों पर सरकाई जा रही है।

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