अमेरिकी नागरिकों को कंप्यूटर में वायरस हटाने के नाम पर कॉल कर ठग रहे थे मोटी रकम, 32 गिरफ्तार

Greater Noida West: अमेरिकी नागरिकों को कंप्यूटर में वायरस हटाने के नाम पर कॉल कर ठग रहे थे मोटी रकम, 32 गिरफ्तार

अमेरिकी नागरिकों को कंप्यूटर में वायरस हटाने के नाम पर कॉल कर ठग रहे थे मोटी रकम, 32 गिरफ्तार

Tricity Today | पुलिस की गिरफ्त में आरोपी

  •  फ़र्ज़ी इंटरनेशनल कॉल सेंटर पर छापा मारकर पुलिस ने 32 आरोपियों को किया गिरफ्तार
Greater Noida West: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की कोतवाली बिसरख क्षेत्र में चल रहे अवैध International Call Center पर गुरुवार को पुलिस ने छापा मारकर 32 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मौके से कॉल सेंटर में मिले 50 सीपीयू, 2 लैपटॉप, 32 मोबाइल फ़ोन और अन्य सामान जब्त किया है। पुलिस के मुताबिक इस कॉल सेंटर के माध्यम से पिछले करीब ढाई साल से अमेरिकी नागरिकों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा था।

एडीसीपी सेंट्रल नोएडा जोन अंकुर अग्रवाल ने बताया की क्षेत्र में फर्जी कॉल सेंटर चलने की सूचना मिलने पर गुरुवार सुबह करीब 7 बजे चेरी काउंटी सोसाइटी के पीछे स्थित अर्था स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन में चल रहे कॉल सेंटर पर छापा मारा गया।पुलिस ने छापे के दौरान मौके से 32 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें कॉल सेंटर का मैनेजर परविंदर पाल सिंह निवासी जहांगीरपुरी दिल्ली भी शामिल है। पुलिस ने मौके से 2 लैपटॉप, 50  हार्ड डिस्क, मॉनिटर, सीपीयू, की बोर्ड, माउस, 32 मोबाइल फ़ोन, 20 हेड फ़ोन और एक पेन ड्राइव बरामद की है। 
 
हैकर्स से कॉल खरीद कर करते थे ठगी 
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यह लोग हैकर्स से इंटरनेशनल कॉल खरीदते थे और उसके बदले वो हैकर्स को रकम अदा करते थे।आरोपियों ने बताया यह लोग नेट कॉलिंग के माध्यम से  मिले डाटा के अनुसार अमेरिकी लोगों को कॉल कर उनके कंप्यूटर में वायरस अथवा बग होने की जानकारी देते थे। उसे दूर करने के लिए यह लोग ऑनलाइन पेमेंट लेने के बाद उसे सही कर देते थे। इनका निशाना सिर्फ अमेरिका के नागरिक होते थे। अमेरिकी लोगों के कंप्यूटर में हैकर्स द्वारा ही वायरस अथवा बग भेजा जाता था जिसकी इन्हें जानकारी पैसे देने के बाद हैकर्स से डाटा के रूप में मिलती थी।

50 से 60 लाख रुपये महीने की थी कमाई
एडीसीपी ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि वह लोग ऑनलाइन ठगी के द्वारा प्रतिदिन करीब 3 से 4 हज़ार डॉलर की कमाई करते थे जोकि महीने में औसतन 50 से 60 लाख रुपये तक होती थी। पुलिस के मुताबिक आरोपी पिछले 1 साल से ग्रेनो वेस्ट में यह फ़र्ज़ी कॉल सेंटर चला रहे थे जबकि उससे पहले डेढ़ साल तक इन लोगों ने दिल्ली के कोंडली इलाके में इस कॉल सेंटर को संचालित किया था।

सैलरी के साथ ही मिलता था इंसेंटिव
पुलिस ने बताया इस कॉल सेंटर में करीब 50 से अधिक लोग काम कर रहे थे जिसमें नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और दिल्ली के कई युवक-युवतियां शामिल थीं। इनमें से कुछ युवक दिल्ली यूनिवर्सिटी में अभी पढ़ाई कर रहे हैं जबकि कुछ ने अभी हाल ही में पढ़ाई पूरी की है। आरोपियों ने बताया इन लोगों की सैलरी 20 हज़ार से शुरू होकर डेढ़ लाख रुपये तक होती थी। कॉल सेंटर के मैनेजर परविंदर पाल सिंह को डेढ़ लाख रुपये सैलरी मिलती थी। कॉल सेंटर के मालिक दीपक की ओर से 1 महीने में अधिक कस्टमर से रुपये ऐंठने वाले कर्मचारी को अलग से इंसेंटिव दिया जाता था जिसके चलते 20 हज़ार वेतन वाले व्यक्ति को महीने में 35 से 40 हज़ार रुपये आसानी से मिल जाते थे।

नामी कंपनियों का कर्मचारी बताकर करते थे कॉल
पुलिस में बताया कि विदेशी नागरिकों को फोन करते समय यह लोग अपना अमेरिकी नाम बताते थे। साथ ही खुद को माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों के कर्मचारी बताते थे। पुलिस ने यह भी बताया की कॉल सेंटर का  मैनेजर परविंदर खुद का नाम  Eric बताकर कॉल करता था। कॉल सेंटर के सभी कर्मचारियों का अलग कोड नाम था जिसके जरिये ही वह कस्टमर से बात करते थे। 

कर्मचारियों को लाने जाने के लिए लगीं थी कैब
पुलिस ने बताया कि गुड़गांव, गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा के अलग-अलग इलाकों से कॉल सेंटर में आने वाले कर्मचारियों को कोई असुविधा न हो इसके लिए एक निजी एजेंसी के माध्यम से कई कैब लगाई गयीं थीं। खास बात यह है कि अमेरिकी समय को ध्यान में रखकर यह कॉल सेंटर रात में 8 बजे से सुबह 4 बजे तक चलता था, इस दौरान कंपनी के आसपास अन्य कार्यालय में काम करनेवालों को भनक तक नहीं लग पाती थी यह कॉल सेंटर फ़र्ज़ी है या असली।

कॉल सेंटर मालिक अभी भी फरार 
पुलिस ने बताया इस इंटरनेशनल कॉल सेंटर का मालिक दीपक है जो अभी फरार है। साथ ही पुलिस ने यह भी बताया कि उसकी तलाश के लिए दो टीमें लगाई गई हैं और उसको जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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