फ्लैट खरीदारों का जोरदार प्रदर्शन, कार और बाइक रैली निकालकर विरोध जताया, लगा कई किमी लंबा जाम

ग्रेटर नोएडा वेस्ट : फ्लैट खरीदारों का जोरदार प्रदर्शन, कार और बाइक रैली निकालकर विरोध जताया, लगा कई किमी लंबा जाम

फ्लैट खरीदारों का जोरदार प्रदर्शन, कार और बाइक रैली निकालकर विरोध जताया, लगा कई किमी लंबा जाम

Tricity Today | कार और बाइक रैली निकालकर विरोध करते फ्लैट खरीदार

  • - रविवार को लगातार दसवें हफ्ते फ्लैट खरीदारों का प्रदर्शन हुआ
  • - सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक कार-बाइक रैली निकाली
  • - सरकार, प्राधिकरण और बिल्डरों के खिलाफ खरीदारों ने जमकर नारेबाजी की
  • - इस रैली में करीब 300 वाहनों और 500 फ्लैट खरीदारों ने हिस्सा लिया
  • - फ्लैट खरीदारों ने लिया फैसला, घर मिलने तक यह आंदोलन जारी रहेगा
Greater Noida West News : ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रविवार को दसवें हफ्ते फ्लैट खरीदारों ने जोरदार प्रदर्शन किया। घर खरीदारों की संस्था नेफोवा के नेतृत्व में रविवार की सुबह कार और बाइक रैली निकाली गई। फ्लैट खरीदारों ने उत्तर प्रदेश सरकार, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, पुलिस और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। इस रैली में करीब 300 वाहन शामिल हुए और 500 से ज्यादा फ्लैट खरीदारों ने हिस्सा लिया है। इस दौरान ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सड़कों पर कई किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। ट्रैफिक पुलिस को हालात संभालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। फ्लैट खरीदारों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई, लेकिन खरीदारों ने प्रदर्शन रोकने से साफ इनकार कर दिया।

डेढ़ दशक से संघर्ष कर रहे हैं घर खरीदार
नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा, "पूरी दुनिया के किसी कोने में घर हासिल करने के लिए आम आदमी को इतना संघर्ष नहीं करना पड़ता है, जितना यहां करना पड़ रहा है। हम लोग पिछले 14 वर्षों से अपना घर हासिल करने के लिए लड़ रहे हैं। आज भी करीब एक लाख फ्लैट खरीददार नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डर से अपना घर लेने के लिए लड़ रहे हैं। मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।" अभिषेक कुमार आगे कहते हैं, "पिछले 15 वर्षों में उत्तर प्रदेश में तीन सरकार चली गईं और चौथी का एक साल बीतने को है। इनमें बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शामिल हैं। हमें तीनों ही राजनीतिक दलों की सरकारों में कोई फर्क नजर नहीं आया। पहले वाले भी झूठ बोल रहे थे और यह भी केवल झूठ बोल रहे हैं। सपा और बसपा कि सरकारें भी बिल्डरों के हक में खड़ी थीं। अब भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भी बिल्डरों के हक में खड़ी हुई हैं।" करीब 20 किलोमीटर लंबी रैली निकाली गई
फ्लैट खरीदारों ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में करीब 20 किलोमीटर लंबी कार-बाइक रैली निकाली है। सुबह 9:00 बजे से घर खरीदार एक मूर्ति गोल चक्कर पर एकत्र होना शुरू हुए। यहां से 10:30 बजे रैली की शक्ल में निकले। यह लोग एक मूर्ति से टेकजोन-4, स्टेलर सोसायटी, ऐस सिटी, राइज सोसायटी, एपेक्स सोसायटी और चार मूर्ति होते हुए वापस एक मूर्ति गोल चक्कर पर पहुंचे। इस दौरान ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सड़कों पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। कारों पर फ्लैट खरीदारों ने बैनर लगाए। बाइक पर सवार खरीदार हाथों में तख्ती लेकर निकले। इन लोगों ने सरकार, प्राधिकरण और बिल्डरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बिसरख कोतवाली और ट्रैफिक पुलिस रैली के साथ रहे। यह जुलूस करीब 1:30 बजे वापस एक मूर्ति गोल चक्कर पर पहुंचा। वहां घर खरीदारों ने एक जनसभा की। आंदोलन को लगातार जारी रखने का फैसला लिया है। दोपहर करीब 2:00 बजे सभी फ्लैट खरीदा वापस लौट गए। अब अगले रविवार फिर एक मूर्ति गोल चक्कर पर प्रदर्शन होगा।

आधी उम्र बीत गई लेकिन घर नहीं मिला
मिहिर गौतम ने कहा, "हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और कानून का राज चलता है, लेकिन क्या नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कानून का राज है? अगर कानून का राज है तो बिल्डरों पर यह कानून लागू क्यों नहीं होता है? बिल्डर तानाशाह है और सरकार उनके सामने मजबूर हैं। अफसर और नेता तो बिल्डरों की कठपुतली बनकर नाच रहे हैं। हम लोग 15 वर्षों से सड़कों पर लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार, प्रशासन और प्राधिकरण को नजर नहीं आ रहे हैं। इससे ज्यादा अलोकतांत्रिक व्यवस्था कहां देखने के लिए मिलेगी? फ्लैट खरीदारों की बेबसी देखिए। फ्लैट की बुकिंग करते वक्त जो बायर 35 साल का था, वह 50 साल का हो चुका है। उसके बच्चे अगर 10 साल के थे तो आज 25 वर्ष के हो चुके हैं। जिसने रिटायरमेंट के बाद घर खरीदा था, वह 75 वर्ष के हो चुके हैं। सबसे बड़े दुख की बात तो यह है कि बड़ी संख्या में हमारे साथी मर चुके हैं। उनके परिवार घर या अपना पैसा वापस लेने के लिए धक्के खा रहे हैं। हजारों की संख्या में फ्लैट खरीदार कोर्ट-कचहरी में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हाईकोर्ट और रेरा से फ्लैट खरीदारों के पक्ष में फैसले आ चुके हैं, लेकिन उन पर कोई अमल करने वाला नहीं है।"

'घर नहीं दे सकते तो मौत दे दीजिए'
फ्लैट खरीददार महेश यादव ने कहा, "सरकार और प्राधिकरण घर दिलवाने में नाकाम हैं। अगर घर नहीं दिलवा सकते तो कम से कम हमें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दीजिए। वैसे भी हम लोग कंगाली के दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ बैंकों की भारी-भरकम एमआई चुका रहे हैं। जिस पर साल या 6 महीने में ब्याज बढ़ जाता है। दूसरी ओर किराए के घरों में रहने के लिए मजबूर हैं। दस वर्ष पहले घर खरीदने के बावजूद भी बेघर हैं। अब हम लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगेंगे। हमारे पास कोई और दूसरा विकल्प भी नहीं बचा है। एक अदद सपनों का घर लेने के चक्कर में हम सारे लोग बर्बाद हो गए हैं। बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि उन्हें अच्छे स्कूलों में भर्ती कर सकें। हम अपने बच्चों और परिवार का पेट काटकर घरों का कर्ज निपटा रहे हैं। लाखों लोग 10-15 वर्षों से रो रहे हैं, लेकिन हमारी चीख-पुकार और दर्द को महसूस करने वाला इस देश में कोई नहीं है। हमें केवल राजनीतिक दलों ने वोट हासिल करने का जरिया बना कर छोड़ दिया है।"

'जिन्हें घर मिला उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई'
नीरज श्रीवास्तव ने कहा, "लंबा संघर्ष करने के बाद जिन खरीदारों को उनका घर मिल गया है, उन्हें अब तक कानूनी हक नहीं मिला है। बिल्डरों ने स्टांप का पैसा जमा करवा लिया है, लेकिन आज तक रजिस्ट्री नहीं की हैं। बिल्डरों ने अरबों रुपए की जमीन प्राधिकरण से ले लीं और फूटी कौड़ी नहीं चुकाई है। पूरा पैसा गलत ढंग से डाइवर्ट करके दूसरे कारोबार शुरू कर दिए हैं। प्राधिकरण और सरकार बिल्डरों का गिरेहबान पकड़ने की बजाय फ्लैट खरीदारों को हक देने से पीछे हट रहे हैं। बिल्डर परियोजनाओं को कंपलीशन सर्टिफिकेट और ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं दिए जा रहे हैं। प्राधिकरण का कहना है कि उनका पैसा बिल्डर नहीं चुका रहे हैं। सरकार को डिफॉल्टर बिल्डरों की प्रॉपर्टी जब्त कर लेनी चाहिए और नीलम करके प्राधिकरण के पैसे का भुगतान करना चाहिए। सरकार ऐसा कोई ठोस कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है। सरकारी अफसर पूरी तरह बिल्डरों के साथ हैं। हमें तो यह भी जानकारी मिली है कि ऐसे तमाम अफसर हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए काली कमाई की है और वह पैसा इन बिल्डरों की परियोजनाओं में लगा रखा है। जिसके चलते बिल्डरों पर एक्शन लेने में अफसरों के हाथ कांपते हैं।"

स्टैंप एंड रिवेन्यू मिनिस्टर के विरोध में मौन रखा गया
रोहित मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के स्टैम्प रिवेन्यू एंड रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के मंत्री के खिलाफ फ्लैट खरीदारों ने 2 मिनट का मौन रखा है। उनके बयान का कड़ा विरोध किया गया है। दरअसल, मंत्री गौतमबुद्ध नगर आए थे और उन्होंने बेहद घटिया बयान दिया है। मंत्री ने कहा कि फ्लैट खरीदार और बिल्डर आपस में मिले हुए हैं। इसी वजह से घरों की रजिस्ट्री नहीं करवाते हैं। सरकार का अरबों रुपया इन लोगों ने फंसा रखा है। रोहित मिश्रा का कहना है कि मंत्री का बयान बेहद गैर जिम्मेदाराना है। इसका मतलब यह है कि सरकार आम आदमी के प्रति नकारात्मक रवैया रखती है। ऐसे मंत्री को तत्काल योगी आदित्यनाथ सरकार से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।

रविवार की सुबह प्रदर्शन में राज, समीर, रंजना, विभूति, अजनारा होम्स से सुबोध, नीना, महेंद्र विष्ठ, सतवीर दलाल, रजत सक्सेना, रमन ठाकुर, चंदन सिन्हा, रोहित माथुर, सुजीत कुमार, अभिषेक कुमार, चितरंजन साहू, राम कृष्ण शर्मा, कासा ग्रीन से महेश यादव, अशोक श्रीवास्तव, एसपी गुप्ता, अनूपमा मिश्रा, निधि सक्सेना, सुधीर कुलश्रेष्ठा, करुणाकर विश्वाल, जीके जाजोरिया, सुपरटेक इकोविलेज-1 से विनीत गुप्ता, अमित दयाल प्रशांत, सन्नी सिंह, आशीष विजपुरिया, देवेन्द्र सिंह, इको विलेज-2, योगेश देवगन, इको विलेज-3 से सुनील कुमार मीना, प्रतिम नंदन, निराला ग्रीनशायर से आभास सिंह, देविका गोल्ड से अनुराग खरे, अभिषेक जैन, हिमांशु सक्सेना, ला रेसिडेंशिया से अनिल प्रकाश, रजत रैना, संस्कृति अर्थकाॅन से गोविंद पाण्डेय, राजीव सिंह, सुमित श्रीवास्तव, श्री राधे एक्वा ग्रार्डेन से गौरव गुप्ता, शशांक माहेश्वरी, निराला ग्रीनशायर से पारस खंडेलवाल, हिमांशु, नीरज श्रीवास्तव, डॉ.सुशील कटियार, सुधाकर मिश्रा, योगेश कुमार, पुनीत , मानस अरोड़ा, देवराज सिंह, निलेश सिंह, संतोष कुमार और इकोविलेज-4 से शिव शंकर ने रैली में हिस्सा लिया।

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