गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 71 हजार जीपीए हुईं, सबकी जांच होगी

पॉवर ऑफ अटॉर्नी का खेल : गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 71 हजार जीपीए हुईं, सबकी जांच होगी

गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 71 हजार जीपीए हुईं, सबकी जांच होगी

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Noida/Ghaziabad : पाबंदी के बावजूद गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में पिछले एक साल के दौरान बड़े पैमाने पर पावर ऑफ अटॉर्नी की गई हैं। मिली जानकारी के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर में 11,000 और गाजियाबाद जिले में 60,000 से ज्यादा जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी गईं। अब यह सारे दस्तावेज जांच के दायरे में आ गए हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) ने जांच का आदेश दिया है। इसके लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है। दोनों जिलों में तत्काल प्रभाव से पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गृह विभाग की ओर से की गई इस कार्यवाही के बाद दोनों जिलों में हड़कंप मचा हुआ है।

अरबों रुपए की काली कमाई खपाने का शक
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग को शक है कि एक ऑर्गेनाइज्ड गैंग ने इस पूरे अवैध धंधे को अंजाम दिया है। इस रैकेट में स्टांप और रजिस्ट्रेशन विभाग के रजिस्ट्रार भी शामिल हैं। पूरे मसले की जांच करने के लिए एसआईटी बनाई है। गृह विभाग के प्रमुख सचिव नए स्टैंप एंड रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के महानिरीक्षक को शासनादेश भेजा। इसके बाद आईजी स्टांप ने पावर ऑफ अटॉर्नी करने पर पाबंदी लगा दी है। अब गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जिलों के रजिस्ट्रार कार्यालयों में रजिस्टर्ड की गई पावर ऑफ अटॉर्नी की छानबीन शुरू होगी। इसी बीच दोनों जिला प्रशासन ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार कार्यालयों से पावर ऑफ अटॉर्नी का ब्यौरा मांगा है। मिली जानकारी के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर में 11,000 और गाजियाबाद में 60,000 जीपीए रजिस्टर्ड की गई हैं। सरकार को शक है कि इन जीपीए के जरिए बड़े पैमाने पर काली कमाई प्रॉपर्टी में पाई गई है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दक्षिण भारत के कई राज्यों की संपत्तियां गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए खरीदी-बेची गई हैं।

क्या है पूरा मामला
गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त का बड़ा बाजार है। प्रॉपर्टी के नाम पर काली कमाई को खपाने वाले लोग पावर ऑफ अटॉर्नी का रास्ता इस्तेमाल करते हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और दूसरे राज्यों की संपत्तियों की पावर ऑफ अटॉर्नी गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद के सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में करवाई जाती हैं। इसके बाद पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल करने वाले लोग मनमाफिक ढंग से प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त करते रहते हैं। इससे जहां एक तरफ राज्य सरकार को स्टांप और रजिस्ट्रेशन से मिलने वाला रेवेन्यू चोरी कर लिया जाता है तो दूसरी ओर बड़े पैमाने पर काली कमाई प्रॉपर्टी में खप जाती है।

काली कमाई खपा रहा है गैंग
योगी आदित्यनाथ की प्रमुख सचिव वीना कुमारी ने उत्तर प्रदेश की महानिरीक्षक (निबंधन) को पत्र लिखा है। बताया है कि गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में बड़ी संख्या में पॉवर ऑफ अटॉर्नी की गई हैं। यह विवादास्पद दस्तावेज है। इसके जरिए काली कमाई को खपाया जा रहा है। विवाद बढ़ रहे हैं। बाकायदा एक गैंग काम कर रहा है, जो ब्लैक मनी को खपा रहा है। पॉवर ऑफ अटॉर्नी सुप्रीम कोर्ट और प्रोपर्टी रजिस्ट्रेशन मैन्युअल का उल्लंघन है। सरकार ने आशंका जाहिर की है कि इस गैंग का सहयोग प्रोपर्टी रजिस्ट्रार कर रहे हैं। प्रमुख सचिव ने पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर तत्काल प्रभाव से पाबन्दी लगाने का आदेश दिया है। प्रमुख सचिव गृह ने इस पूरे अवैध धंधे की जांच करने के लिए एसआईटी का गठन किया है।

पाबन्दी के बावजूद हुईं पॉवर ऑफ अटॉर्नी
आपको बता दें कि इस मामले को ट्राईसिटी टुडे ने उठाया था। जिस पर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने संज्ञान लिया और जिले में पॉवर ऑफ अटॉर्नी करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद जिले में धड़ल्ले से पॉवर ऑफ अटॉर्नी की गई हैं। इस बारे में कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अतुल शर्मा एडवोकेट का कहना है, "बड़ी बात यह है कि नोएडा सब रजिस्ट्रार ने जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद पिछले 2 महीनों में हरियाणा, पंजाब और दिल्ली की पॉवर ऑफ अटॉर्नी की जा रही हैं। यह मोटी रकम लेकर की जा रही हैं। आज मैं स्वयं जिलाधिकारी से मिला और पूरे प्रकरण से अवगत कराया। नोएडा के सब रजिस्ट्रार कार्यालयों ने बड़ी तादाद में ऐसे मुख्तयारनामे करके भ्रष्टाचार किया जा रहा है। यह गौतमबुद्ध नगर में सबसे बड़ा घोटाला है। इससे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकारों को अरबों रुपये का नुकसान पहुंचाया है।"

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