18 महीने से कम उम्र के 99 प्रतिशत शिशु मोबाइल देखने से होते है कमजोर, इस खबर को फॉलो किया तो 60 प्रतिशत बच्चे हो सकते है ठीक

खास रिपोर्ट : 18 महीने से कम उम्र के 99 प्रतिशत शिशु मोबाइल देखने से होते है कमजोर, इस खबर को फॉलो किया तो 60 प्रतिशत बच्चे हो सकते है ठीक

18 महीने से कम उम्र के 99 प्रतिशत शिशु मोबाइल देखने से होते है कमजोर, इस खबर को फॉलो किया तो 60 प्रतिशत बच्चे हो सकते है ठीक

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  • - इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक ने किया सर्वे
  • - 65 प्रतिशत परिवार खाना खाते हुए देखते है टीवी
  • - 44 प्रतिशत बच्चों को स्मार्टफोन की लत 
  • - लैपटॉप, मोबाइल और टेलीविजन बच्चों के लिए सबसे ज्यादा जानलेवा
     
Greater Noida Desk : देखा होगा कि बहुत ही छोटी उम्र में बच्चे चश्मे लगाने लगते हैं। अब केवल 5 साल के बच्चे की भी चश्मे लग जाते हैं। जिसका मुख्य कारण यह है कि बच्चे काफी ज्यादा कमजोर होते जा रहे हैं। आखिर इसका कारण क्या है ? वैसे तो इसके काफी सारे कारण हैं, लेकिन बच्चों का लैपटॉप, मोबाइल और टेलीविजन पर अधिक समय बिताना कमजोरी का मुख्य कारण है। इन सब चीजों से शारीरिक और मानसिक दोनों पर काफी बुरा असर पड़ता है। बच्चों को काफी छोटी उम्र में मोबाइल और लैपटॉप की आदत पड़ जाती है। जिसकी वजह से वह ठीक प्रकार से वह सो भी नहीं पाते हैं।

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक ने किया सर्वे
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक ने पूरे भारत में इसको लेकर एक सर्वे किया है। पीडियाट्रिक के प्रोफेसर पीयूष गुप्ता का कहना है कि अधिकतर बच्चे टीवी देखते हुए खाना खाते हैं। इससे उनको खाने का पता नहीं चल पाता है और शारीरिक गतिविधियां काफी कम हो जाती है। इससे बच्चों के मोटापे पर भी काफी गहरा असर पड़ता है। सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी बच्चों को काफी गहरा असर पड़ता है।

59.2 pc children use smartphones for messaging, only 10.1 pc for online  learning, finds NCPCR study - Times of India

सबसे ज्यादा इन परेशानियों से जूझते हैं बच्चे
उनका कहना है कि अधिकतर बच्चे एक ही मुद्रा में बैठकर टेलीविजन, लैपटॉप और मोबाइल चलाते हैं। ऐसे में बच्चों के भीतर गर्दन में दर्द और कमर में दर्द जैसी समस्या पैदा हो जाती हैं। क्योंकि बच्चों की हड्डियां एक युवा व्यक्ति के मुकाबले काफी कमजोर होती हैं। जिसकी वजह से उनको काफी दर्द जैसी शिकायतें होती हैं।

आंखों के कमजोर होने का कारण
रिपोर्ट में पाया गया है कि डिजिटल स्क्रीन की रोशनी से बच्चों के शरीर पर सबसे ज्यादा गहरा असर पड़ता है। क्योंकि उनका शरीर पूरी तरीके से विकसित नहीं हो पाता और वह काफी भारीपन वाली चीजों का इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल और टेलीविजन से निकलने वाली रोशनी बच्चों के लिए काफी हानिकारक साबित होती हैं। रिपोर्ट की मानें तो डिजिटल स्क्रीन की रोशनी से तरीके मेलाटोनिन हार्मोन पर काफी गहरा असर पड़ता है। जिससे नींद ना आने की समस्या पैदा होती है। इसलिए ही इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक स्कूल और कॉलेज में बच्चों के लिए एलईडी और कंप्यूटर का इस्तेमाल न करने की सलाह देते हैं।

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99 प्रतिशत शिशु देखते है मोबाइल
सर्वे के मुताबिक 18 महीने से कम उम्र के बच्चे मोबाइल पर अपना समय व्यतीत करते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या भारत में 99 प्रतिशत हैं, जो 18 महीने से कम उम्र में ही मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब बच्चा रोता है तो उसके माता-पिता अपने बच्चे को मोबाइल दे देते हैं और इससे बच्चा शांत हो जाता है। यह मोबाइल आगे चलकर बच्चे की शादी और मानसिक पर काफी गहरा असर डालता है।

65 प्रतिशत परिवार खाना खाते हुए देखते है टीवी
भारत में 65 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जो रात को खाना खाते समय टेलीविजन देखते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति के शरीर की गतिविधियां काफी कम हो जाती हैं और मोटापा बढ़ जाता है। इसके अलावा भारत में 44 प्रतिशत (12-18 साल) के बच्चों को स्मार्टफोन की लत है। यह भी बच्चों के लिए काफी हानिकारक साबित हो रहा है।

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