Greater Noida News : चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी (सीसीएसयू) में नौकरी की हसरत है और काबलियत नहीं है तो भी तनाव लेने की जरूरत नहीं है। फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र तैयार कराकर भी सीसीएसयू से संबंद्ध किसी भी कॉलेज में नौकरी हासिल की जा सकती है। ऐसा कारनामा यहां से लॉ की शिक्षा हासिल कर कुछ अभ्यार्थियों ने कर दिखाया है। यहां से एक महिला और एक पुरुष अभ्यर्थी ने फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे सीसीएसयू में संबंद्ध आईआईएमटी कॉलेज के लॉ विभाग में न सिर्फ नौकरी हासिल की, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से रिलीज की गई सेलरी भी ले ली। चौंकिए मत। अभी तो असली खुलासा होना बाकी है। शैक्षिक योग्यता के नकली प्रमाण पत्र की बात कुछ माह बाद ही खुल गई थी। राजभवन से मामले में कार्रवाई के आदेश आ गए, लेकिन कार्रवाई के आदेशों पर सीसीएसयू प्रशासन सालभर तक कुंडली मारे बैठा रहा।
ये है पूरा मामला
सीसीएस यूनिवर्सिटी से संबंध में आईआईएमटी, ग्रेटर नोएडा लॉ कालेज में सलेक्शन कमेटी में प्रो. अंजलि मित्तल, प्रो. पंकज एमएमएच कालेज गाजियाबाद और एक अन्य शामिल थे। उन्होंने अप्रैल-2021 में ज्योति पत्नी विनोद कुमार और विजय महोबिया का बतौर सहायक आचार्य सलेक्शन कर लिया। इंटरव्यू के दौरान शैक्षिक योग्यता को लेकर जो प्रमाण पत्र दिए गए, उसकी जब यूजीसी की साइट पर जांच की गई तो चौंकाने वाली बात सामने आई। डॉक्यूमेंट फर्जी पाए गए। आरोप है कि ज्योति ने जो शैक्षिक प्रमाण पत्र दाखिल किए थे, वे उसके पति विनोद कुमार के हैं। इसी प्रकार की कुछ गड़बड़ी विजय महोबिया द्वारा जमा किए गए प्रमाण पत्रों में भी पकड़ में आई है। दूसरी ओर सलेक्शन हो जाने के बाद दोनों की सेलरी रिलीज कर दी गई और उन्होंने बैंक से इसे निकाल भी लिया।
एक साल बाद टूटी नींद
डा. जितेन्द्र बताते हैं कि इसको लेकर उन्होंने छह बार राजभवन और सीसीएसयू प्रशासन को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। तब कहीं जाकर विश्वविद्यालय की नींद टूटी और 15 दिसंबर को एक चिट्ठी मेडिकल थाना प्रभारी को भेजी गई। जिसमें मामले का उल्लेख करते हुए एफआईआर दर्ज करने को कहा गया। डॉ. जितेंद्र का आरोप है कि सीसीएसयू प्रशासन की नींद टूटी तो अब मेरठ पुलिस को नींद आ रही है। फर्जी प्रमाण पत्रों से नौकरी हासिल करने वालों के खिलाफ एफआईआर अधर में लटका दी।
राजभवन के पत्र पर मार ली कुंडली
इस मामले की जानकारी किसी प्रकार से डा. जितेन्द्र सिंह एडवोकेट को प्राप्त हो गई। उन्होंने आरटीआई के तहत जबाव मांग लिया। आरटीआई में यूजीसी ने ज्योति और विजय कुमार की पूरी कुंडली बांच दी। जितेन्द्र कुमार ने इस पूरे मामले से बिंदुवार अवगत कराते हुए राजभवन को शिकायती पत्र लिखा। मामले को गंभीरता से लेते हुए अक्टूबर-2022 के राजभावन के एक पत्र में सीसीएसयू के कुलपति को मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन मामले की शिकायत करने वाले जितेन्द्र कुमार एडवोकेट का आरोप है कि रजिस्ट्रार कार्यालय इस मामले में आए पत्र को दबाकर बैठ गया है।
सीसीएसयू से अनुमोदन नहीं
सीसीएस यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि आईआईएमटी कालेज में नौकरी के लिए दोनों अभ्यार्थियों के सलेक्शन का अनुमोदन सीसीएसयू से नहीं किया है। राजभवन के पत्र के बाद मेडिकल पुलिस को एफआईआर के लिए लेटर भेजा जा चुका है।