डीजी जेल ने जांच का आदेश दिया, कहा- कैलाश भाटी को वापस भेजने के लिए GIMS डायरेक्टर को 3 बार पत्र भेजे

Tricity Today के ऑपरेशन रसूखदार पर एक्शन शुरू : डीजी जेल ने जांच का आदेश दिया, कहा- कैलाश भाटी को वापस भेजने के लिए GIMS डायरेक्टर को 3 बार पत्र भेजे

डीजी जेल ने जांच का आदेश दिया, कहा- कैलाश भाटी को वापस भेजने के लिए GIMS डायरेक्टर को 3 बार पत्र भेजे

Tricity Today | Tricity Today के ऑपरेशन रसूखदार पर एक्शन शुरू

Greater Noida News : ट्राईसिटी टुडे के ‘ऑपरेशन रसूखदार’ पर एक्शन शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के डीजी जेल ने इस मामले में बयान दिया है। उन्होंने ट्विटर कहा, "गौतमबुद्ध नगर जेल में विचाराधीन बंदी कैलाश भाटी की वापसी के लिए जेल अधीक्षक ने तीन बार राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक को पत्र भेजे। जेल अधीक्षक ने कैलाश भाटी को वापस भेजने का अनुरोध किया। उसके बावजूद अभी तक कैलाश भाटी को अस्पताल की ओर से वापस नहीं भेजा गया। अब इस मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं।"


कैलाश भाटी दो मार्च को जेल से जिम्स भेजा गया
इस मामले में ट्राईसिटी टुडे ने गौतमबुद्ध नगर जेल के अधीक्षक अरुण प्रताप से बातचीत की। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, "कैलाश भाटी को स्पाइनल और डायबिटीज की समस्या बताई गई थी। वह 2 मार्च 2023 को इलाज के लिए कासना में स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए गए थे। उसके बाद मैंने अस्पताल को सबसे पहला पत्र 12 मार्च को भेजा। उसके बाद 4 अप्रैल और फिर 15 अप्रैल को कैलाश भाटी की जेल में वापसी के लिए जिम्स के डायरेक्टर डॉ.राकेश कुमार गुप्ता को पत्र भेजा गया। इसमें केवल एक ही पत्र का जवाब देते हुए बताया गया कि अभी उपचार जारी है। बाक़ी दो पत्रों का जवाब जिम्स के डायरेक्टर ने नहीं दिया।”

तुस्याना में हुए अरबों रुपए के घोटाले का आरोपी कैलाश
दरअसल, कैलाश भाटी ग्रेटर नोएडा में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोपी हैं। करीब एक महीने पहले उनको गौतमबुद्ध नगर जिला जेल में भेज दिया था। इसको लेकर जिले की डिप्टी पुलिस कमिश्नर ने प्रेस वार्ता करके तुस्याना में हुए अरबों रुपए के घोटाले के बारे में जानकारी दी थी। वैसे तो कैलाश भाटी को इस समय जेल में बंद होना चाहिए, लेकिन वह ग्रेटर नोएडा के कासना में स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बीमारी का बहाना बनाकर मौज ले रहे हैं। 

केवल कागजी रूप में जेल में बंद है
कैलाश भाटी कोई और नहीं बल्कि एमएलसी, चुटकी बजाते ही आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के तबादले करवाने वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कैलाश भाटी के भाई नरेंद्र भाटी एमएलसी है। कैलाश तो केवल कागजी रूप में जेल में बंद है, लेकिन असल में वह जिम्स अस्पताल में मौज मस्ती ले रहे हैं।

ऑपरेशन रसूखदार से कैलाश भाटी पर खड़े हुए सवाल
  1. कैलाश भाटी की यह ऐश कई सवाल खड़े करती है। पहला सवाल, क्या कैलाश भाटी खुलेआम मोबाइल का इस्तेमाल कर सकता है?
  2. दूसरा सवाल, क्या कैलाश भाटी को जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड में एयर कंडीशनर, कोल्ड ड्रिंक्स, बाहर का खाना और ऐशोआराम मिल सकता है?
  3. तीसरा सवाल, क्या बिना रोकटोक और दिन-रात कैलाश भाटी को लोगों से मिलने की इजाजत दी सकती है?
  4. चौथा सवाल, कैलाश भाटी को ऐसी कौन सी बीमारी है, जिसके इलाज के लिए वह डेढ़ महीने से जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड की ऐश ले रहा है?
  5. पांचवां सवाल, कैलाश भाटी की निगरानी के लिए जिन पुलिस वालों की ड्यूटी लगी है, वे इस सब से बेदार क्यों हैं?
जिला कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर कैलाश भाटी किस जुर्म के लिए जेल गया और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका क्यों खारिज कर दी। कैलाश भाटी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में बतौर मैनेजर लंबे अरसे तक कार्यरत रहा है। इसी दौरान तुस्याना गांव में अरबों रुपये का भूमि घोटाला हुआ। इस घोटाले के मास्टरमाइंड राजेंद्र सिंह को फायदा पहुंचाने के लिए कैलाश भाटी ने जालसाजी की। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने कैलाश को पिछले साल 16 नवंबर को गिरफ्तार किया था। उस पर आईपीसी की धाराओं 406, 420, 467, 468, 471 और 120-B के तहत चार्जशीट दाखिल की गई। पहले गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

कैलाश भाटी को हाईकोर्ट ने इसलिए नहीं दी जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2023 को यह कहते हुए कैलाश भाटी की जमानत याचिका ख़ारिज की, "आरोपी ऊंचे पद पर कार्यरत और रसूखदार है। शिकायत करने वाले ने अपनी जान को खतरा बताया है। मामले की जांच और ट्रायल के दौरान गवाहों व सबूतों को प्रभावित कर सकता है। मामले की खूबियों या खामियों पर कोई राय व्यक्त किए बिना यह न्यायालय आवेदक को जमानत देने के लिए अच्छा आधार नहीं पाता है। लिहाजा, जमानत अर्जी खारिज की जाती है। "कुल मिलाकर साफ़ है, अदालत में भले ही कैलाश भाटी का रसूख काम नहीं आया, लेकिन उसने जेल से बाहर फाइव स्टार सहूलियतें हासिल करने का इंतजाम कर लिया। 

ट्राईसिटी टुडे के लिए ललित पंडित, सुमित शर्मा और सचिन रैकवार का 'ऑपरेशन रसूखदार'

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