Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ के खिलाफ एक्शन होने वाला है। दरअसल, राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन नहीं करने पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को धारा 251 दंड प्रक्रिया संहिता का नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई आगामी 2 में 2024 को होगी। जिला उपभोक्ता आयोग ने प्राधिकरण को आदेश दिया था कि महेश मित्रा को 2 महीने में 1000 से लेकर 2500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का भूखंड दे। साथ में सेवा की कमी होने पर 1500 रुपए और वाद के 2000 रुपए देने के लिए कहा था, लेकिन अभी तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से कोई भी आदेश का पालन नहीं किया गया। इस मामले में 7 जनवरी 2023 को राज्य उपभोक्ता आयोग में सुनवाई करते हुए तत्कालीन सीईओ को दोषी माना था।
तत्कालीन सीईओ को माना था दोषी
आपको बता दें कि राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन करने के लिए जिला उपभोक्ता आयोग ने 31 जुलाई 2023 को तत्कालीन सीईओ को धारा 251 दंड प्रक्रिया संहिता का नोटिस जारी किया था, लेकिन 21 सितंबर 2023 को मुख्य कार्यपालक अधिकारी उपस्थित नहीं रहे। बाद में 13 अक्टूबर 2023 को तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी ने व्यक्तिगत माफी के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। बताया जा रहा था कि कारण तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी के खिलाफ की गई कार्रवाई व्यक्तिगत थी, इसलिए राज्य आयोग के द्वारा उसे समाप्त कर दिया गया था। आयोग ने यह भी माना था कि धारा 72 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत दंडीय करवाई है। उपभोक्ता आयोग ने अब सीईओ रवि कुमार एनजी को धारा 251 दंड प्रक्रिया संहिता का नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है।
क्या था पूरा मामला
जिला उपभोक्ता फोरम से मिली जानकारी के मुताबिक, महेश मित्रा नाम के व्यक्ति ने वर्ष 2001 में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन किया था। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने महेश मित्रा को आवंटन नहीं किया। जिसके खिलाफ उन्होंने वर्ष 2005 में एक मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था। इस मुकदमे पर 18 दिसंबर 2006 को जिला फोरम ने फैसला सुनाया। जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित किया जाए। जिस पर प्राधिकरण के नियम और शर्तें लागू रहेंगी। इसके अलावा मुकदमे का हर्जा-खर्चा भी भरने का आदेश प्राधिकरण को दिया गया था।
अथॉरिटी ने राज्य आयोग का दरवाजा खटखटाया
जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ विकास प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की। अपील पर 21 दिसंबर 2010 को राज्य आयोग ने फैसला सुनाया। राज्य आयोग ने फैसला दिया कि महेश मित्रा की ओर से नोएडा विकास प्राधिकरण में जमा किए गए ₹20,000 की पंजीकरण राशि वापस लौटाई जाएगी। यह धनराशि 6 जनवरी 2001 को जमा की गई थी। उस दिन से लेकर भुगतान की तारीख तक 6% ब्याज भी चुकाना होगा। राज्य आयोग के इस फैसले से विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत मिल गई थी।
महेश मित्रा ने राष्ट्रीय आयोग में अपील दायर की थी
राज्य आयोग के इस आदेश के खिलाफ महेश मित्रा ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। पूरे मामले को सुनने के बाद राष्ट्रीय आयोग ने 30 मई 2014 को अपना फैसला सुनाया। राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि मित्रा का पक्ष सही है और राज्य आयोग का फैसला गलत है। जिला उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया था, वह सही है। हालांकि, जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले में राष्ट्रीय आयोग ने मामूली बदलाव किया। राष्ट्रीय आयोग ने अपने फैसले में कहा कि महेश मित्रा को 500 वर्गमीटर से 2,500 वर्गमीटर के बीच का कोई भी प्लॉट आवंटित किया जा सकता है। यह उनकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट और आवश्यकता के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आयोग का फैसला लटकाया
राष्ट्रीय आयोग के फैसले पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अमल नहीं किया। जिसके खिलाफ महेश मित्रा ने एक बार फिर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। जिला फोरम ने कई बार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को राष्ट्रीय आयोग के फैसले का अनुपालन करने के लिए आदेश दिए। अंततः 14 जुलाई 2017 को जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बैंक खाते कुर्क कर लिए। इस एक्शन के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य आयोग में अपील दायर की। राज्य आयोग ने जिला फोरम के आदेश को रद्द कर दिया। जिला फोरम ने 18 अगस्त 2017 को प्राधिकरण के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से फोरम के सामने हाजिर होने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ भी प्राधिकरण ने राज्य आयोग से निरस्तीकरण आदेश हासिल कर लिया।
सीईओ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था
जिला भोक्ता फोरम ने पारित आदेश में कहा है कि पिछले 9 वर्षों से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण जिला फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को लटका रहा है। जिसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने की सजा सुनाई गई थी। उन पर ₹2,000 का अर्थदंड लगाया गया था। सीईओ को गिरफ्तार करने के लिए गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को वारंट भी भेजा था।