Tricity Today | ग्रेटर नोएडा का तुस्याना भूमि घोटाला
Tusyana Land Scam : ग्रेटर नोएडा के बहुचर्चित तुस्याना भूमि घोटाले में बड़ी खबर है। अरबों रुपये के इस भूमि घोटाले से जुड़ी जांच एक कदम और आगे बढ़ गई है। अब उन बड़े अफसरों के चेहरों से नक़ाब हटने वाला है, जिनके बूते राजेंद्र मकौड़ा और कैलाश भाटी ने इस घोटाले को अंजाम दिया है। शासन ने इन अफसरों की पहचान करने के लिए एक टीम लगाई है। इस घोटाले में भाजपा के एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी और सूत्रधार राजेंद्र भाटी का सहयोग करने वाले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अफसरों पर एक्शन लिया जाएगा।
एसआईटी ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी
इस मामले में सामाजिक संस्था सच सेवा समिति ने शासन को शिकायत की थी। शासन ने प्रमुख सचिव, मेरठ के मंडलायुक्त, अपर पुलिस महानिदेशक और ग्रेटर नोएडा के सीईओ की एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने जांच पूरी करके शासन को रिपोर्ट सौंप दी है। शासन ने यह रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की है। अब तुस्याना भूमि घोटाले से जुड़े तमाम अफसरों की सूची शासन तैयार करवा रहा है। इनमें गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अफसर शामिल हैं। लिहाजा, उत्तर प्रदेश सरकार ने तुस्याना भूमि घोटाले में शामिल प्रशासनिक और प्राधिकरण के अधिकारियों के नामों की सूची और तैनाती की जानकारी मांगी है। मिल रही जानकारी के मुताबिक शासनादेश मिलने के बाद प्रशासन ने घोटाले में शामिल अफसरों की पहचान करने का काम शुरू कर दिया है। इस बाबत जल्द ही एक जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा।
क्या है तुस्याना भूमि घोटाला
ग्रेटर प्राधिकरण क्षेत्र के तुस्याना गांव में सरकारी जमीन पर पट्टों का आवंटन किया गया था। इनमें काफी संख्या में अपात्र लोग शामिल थे। शासन से 200 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति टीपीएल नामक कंपनी को दी। कंपनी ने इन पट्टों के साथ गांव की अन्य जमीन खरीद ली। कंपनी ने सरकार से टेक्नोलॉजी पार्क बनाने के लिए अनुमति ली थी, लेकिन बाद में जमीन पर प्लॉटिंग शुरू कर दी गई। इस मामले में शिकायत हुईं और सरकार ने कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया। प्रशासन और प्राधिकरण ने लापरवाही बरती। यह जमीन राज्य सरकार में निहित नहीं की गई।
रसूखदार बन गए भूमाफिया
जब ग्रेटर नोएडा अस्तित्व में आया तो तेजी से विकास हुआ। शहर और आसपास के गांवों में जमीन की कीमत आसमान छूने लगी। रसूखदार लोग सक्रिय हो गए। कई भूमाफिया बन गए। टीपीएल कंपनी के डायरेक्टर से गांव के पूर्व प्रधान राजेंद्र मकौड़ा ने पावर एटर्नी अपने नाम करवा ली। राजेंद्र और कंपनी डायरेक्टर के परिवार में कुछ सदस्यों के नाम मिलते-जुलते थे। इस बात का फायदा पूर्व प्रधान ने उठाया। इस मामले में हाईकोर्ट को अंधेरे में रखकर बड़ा खेल खेला गया। राजेंद्र मकौड़ा जमीन पर हक जताते हुए हाईकोर्ट गया। उसका विरोध प्रशासन, प्राधिकरण या टीपीएल कंपनी ने नहीं किया। लिहाजा, अदमपैरवी के चलते कोर्ट ने राजेंद्र के पक्ष में फैसला सुना दिया और उसने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से जमीन का करोड़ों रुपये मुआवजा उठाया गया। साथ ही प्राधिकरण से छह प्रतिशत कृषक भूखंड अच्छी लोकेशन पर हासिल किया।
सच सेवा समिति ने किया खुलासा
सामाजिक संस्था सच सेवा समिति ने पूरे घोटाले की जानकारी जिला प्रशासन, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और राज्य सरकार को दी। समिति ने जिला न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज करवाया। घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने राजस्व परिषद के चेयरमैन की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की। मामले की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। कृषक भूखंड के आवंटन में फर्जीवाड़ा करने वाले ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन मैनेजर व भाजपा एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी, राजेंद्र मकौड़ा के बेटे दीपक और अथॉरिटी के कर्मचारी कमल को गिरफ्तार किया। उसके बाद से घोटाले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस ने जांच ठंडे बस्ते में डाल दी है। अब सरकार ने घोटाले में शामिल अधिकारियों की जानकारी मांगी है। शासन के आदेश पर प्रशासन ने अफसरों की पहचान करने का काम शुरू कर दिया है।
एक साल में ट्रायल पूरा करना होगा
तुस्याना भूमि घोटाले में मुख्य आरोपी और भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी नरेंद्र भाटी के छोटे भाई कैलाश भाटी की ज़मानत याचिका दो बार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। इस मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय को आदेश दिया है कि ट्रायल एक साल में पूरा किया जाए। अब इस मुक़दमे की सुनवाई में भी तेज़ी आने वाली है। दरअसल, इस घोटाले का सूत्रधार राजेंद्र मकोड़ा और उसके परिवार के तमाम सदस्य ज़मानत पर बाहर हैं।