Noida : कोरोना के प्रकोप को कम होता देख एक बार फिर से स्कूल के छात्र वापस अपने स्कूल लौट रहे हैं। साथ ही एक बार फिर से कोरोना से पहले वाले अपने शेड्यूल को बच्चे अपने ज़िंदगी मे ढाल रहे है। इसको लेकर हमने कुछ स्कूल की प्रिंसिपल्स से बात कि आखिर इतने लंबे समय के बाद ऑफलाइन क्लास शुरू हुई है तो बच्चो में किस तरह का बदलाव देखा जा रहा है और स्कूल की टीचर्स को किस तरह की परेशानी या चैलेंज का सामना करना पड़ रहा है।
"सभी टीचर, पेरेंट्स और हम सब टीचर्स बहुत ही खुश है"
इस पर जी.डी गोयनका की प्रिंसिपल निधि सिरोही का कहना है कि लंबे समय के बाद बच्चों ने स्कूल वापसी की है। जिसको लेकर सभी टीचर, पेरेंट्स और हम सब टीचर्स बहुत ही खुश है। लंबे समय के बाद बच्चों की ऑफलाइन क्लास शुरू हुई हैं जिससे कि बच्चों के शेड्यूल में चेंज आया है और बच्चों को इस बदलाव से थोड़ी परेशानी हो रही है, लेकिन कुछ समय में बच्चे इस शेड्यूल में ढल जाएंगे। इतने लंबे समय के बाद टीचर और स्टूडेंट्स का फेस टू फेस इंटरेक्शन हो रहा है जो कि बच्चों के लिए अच्छी बात है। साथ ही पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का सोशल और फिजिकल डेवलपमेंट भी ऑफलाइन क्लास के चलते हो पा रहा है।
"बच्चों में डिसिप्लिन की काफी कमी हो गयी हैं"
इसके साथ ही डीपीएस स्कूल की प्रिंसिपल सुप्रिती चौहान का ऐसा मानना है कि लंबे समय के बाद बच्चों की स्कूल वापसी हो रही है इसके चलते यह देखा जा रहा है कि बच्चों में डिसिप्लिन की काफी कमी हो गयी हैं। ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों को कोई भी गाइड करने वाला नहीं था, लेकिन अब ऑफलाइन क्लास शुरु हो चुकी हैं तो बच्चों को गाइड करने के लिए टीचर्स उनके साथ मौजूद होंगी और जल्द से जल्द बच्चों को वापस उनके पुराने वाले शेड्यूल पर लाया जा सकेगा। उनका ऐसा भी कहना है की नेगेटिव के साथ-साथ बच्चों में काफी अच्छे बदलाव भी देखने को मिले हैं। ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चे काफी आत्मनिर्भर बने हैं बच्चों ने खुद रिसर्च करके काफी असाइनमेंट भी जमा किए हैं और यहां तक कि बच्चों में फ्लैक्सिबल लर्निंग भी देखने को मिली है।
"ऑनलाइन क्लासेज से बच्चों की राइटिंग एबिलिटी कम हुई"
वहीं दूसरी ओर जे.पी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अंजलि मलिक का ऐसा कहना है कि ऑफलाइन क्लास शुरू होने से बच्चों को काफी दिक्कत आ रही है क्योंकि ऑनलाइन क्लासेज के दौरान उनकी राइटिंग एबिलिटी पर काफी फर्क पड़ा है साथ ही उनकी सोशल- इमोशनल एबिलिटी पर भी काफी फर्क पड़ा है। उनका ऐसा मानना है की स्कूल और पेरेंट्स की एक अच्छी पार्टनरशिप के साथ बच्चों की क्षमता को अच्छे से इस्तेमाल करना है ताकि वो जल्द ही अच्छी तरह से आगे बढ़ सके और कोरना से पहले वाले अपने शेड्यूल पर वापस पहुंच सके। उन्होंने कहा कि टीचर्स को एक ब्रिज कोर्स तैयार करना पड़ेगा ताकि बच्चे आसानी से अपने पहले वाले शेड्यूल तक पहुंच सके, बच्चे जब स्कूल में आकर अपने दोस्तों से मिलेंगे उनसे फिजिकल इंटरेक्शन करेंगे तो बच्चे जल्दी उस मुकाम तक पहुंच पाएंगे जिसका हमने प्लान किया हुआ है।