Tricity Today | सुरेंद्र नागर को बधाई देने वालों की लगी होड़
Greater Noida : राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर को भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय सचिव बनाए जाने के बाद उनके दिल्ली, ग्रेटर नोएडा और गुलावठी आवास पर बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। सुबह से लेकर शाम तक सैकड़ों समर्थकों की भीड़ बधाई देने वालों की लग रही है। दिन निकलते ही लोग कॉल करके यह मालूम कर लेते हैं कि आज सांसद सुरेंद्र सिंह नागर कहां मिलेंगे। उसके बाद उनके ठिकाने पर चले जाते हैं। जब से वह राष्ट्रीय सचिव बने हैं, बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
57 वर्षीय सुरेंद्र नागर को 24 साल का पार्लियामेंट्री एक्सपीरियंस
सौम्य स्वभाव, ठहराव और टाइमिंग शॉट के लिए मशहूर सुरेंद्र सिंह नागर को एक बार फिर भाजपा राष्ट्रीय टीम में जगह मिली है। वर्तमान में नागर राज्यसभा सांसद हैं। उन्होंने पिछले 6 वर्षों में राज्यसभा के लिए तीसरा चुनाव जीता है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे अनुभवी नेताओं में शुमार 57 साल के सुरेंद्र सिंह नागर को विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में 24 वर्षों का अच्छा खासा अनुभव है। सुरेंद्र सिंह नागर का भारतीय जनता पार्टी में कद तेजी के साथ बढ़ रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ना केवल उन्हें समाजवादी पार्टी से लेकर आया बल्कि भाजपा में एक के बाद एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी रहा है।
साफ-सुथरी छवि के गुर्जर नेता हैं सुरेंद्र नागर
सुरेंद्र सिंह नागर की छवि 'मिस्टर क्लीन' वाली है। जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान के गुर्जर समुदाय में नागर की अच्छी पकड़ है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सुरेंद्र नागर ने गुर्जर मतदाताओं को अपनी पार्टी के पक्ष में मोड़ने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह लगातार जम्मू-कश्मीर में गुर्जर समुदाय के बीच दौरे कर रहे हैं। मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार डॉ.कुलदीप त्यागी कहते हैं, "इस वक्त भारतीय जनता पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग को साधकर सत्ता में बनी हुई है। ब्रॉड स्पेक्ट्रम को छोड़कर केवल वेस्टर्न यूपी पर फोकस करें तो सुरेंद्र सिंह नागर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इस इलाके में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, हापुड़, बुलदंशहर और गौतमबुद्ध नगर में गुर्जर समुदाय की अच्छी-खासी तादाद है।"
विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में लम्बा अनुभव
सुरेंद्र सिंह नागर ने संसदीय राजनीति की शुरुआत उत्तर प्रदेश विधान परिषद से की। 1998 में वह स्थानीय निकाय सीट से चुनाव जीतकर एमएलसी बने। साल 2004 में दोबारा इसी सीट से चुनाव जीता। विधान परिषद में 10 समितियों के सदस्य रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले गौतमबुद्ध नगर सीट सामान्य हो गई। सुरेंद्र नागर ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ.महेश शर्मा थे। सुरेंद्र नागर ने जीत हासिल की और लोकसभा पहुंच गए। इसके बाद 2016 में राज्यसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
2019 में भाजपा में आए
नागर जुलाई 2019 तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रहे। समाजवादी पार्टी और राज्यसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने सुरेंद्र नागर के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा की सीट पर उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाया। इस तरह सुरेंद्र नागर ने दूसरी बार राज्यसभा चुनाव जीता। मतलब, पिछले 6 वर्षों में उन्होंने राज्यसभा के लिए 3 चुनाव लड़े हैं। सुरेंद्र सिंह उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हैं, जिन्हें विधान परिषद राज्यसभा और लोकसभा में काम करने का अनुभव हासिल है।
गठबंधन उम्मीदवारों ने मिहिरभोज प्रकरण उठाया
गौतमबुद्ध नगर में सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा से जुड़े विवाद को गठबंधन प्रत्याशी जोर-शोर से उठा रहे थे। यह मामला दादरी में पैदा हुआ था। उस वक्त भी सुरेंद्र नागर ने हालात संभालने के लिए कड़ी मशक्कत की थी। तब सुरेंद्र नागर ने दादरी विधानसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार तेजपाल नागर के पक्ष में गुर्जरों का समर्थन जुटाया। यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नागर को विधानसभा चुनाव में स्टार कैंपेनर घोषित किया था। पार्टी ने मेरठ और सहारनपुर में प्रचार करने के लिए भेजा था। वहां भाजपा को कामयाबी मिली है।