ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ आगरा-लखनऊ-वाराणसी बुलेट ट्रेन का सर्वे, पूरी जानकारी

आज की सबसे बड़ी खबर : ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ आगरा-लखनऊ-वाराणसी बुलेट ट्रेन का सर्वे, पूरी जानकारी

ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ आगरा-लखनऊ-वाराणसी बुलेट ट्रेन का सर्वे, पूरी जानकारी

Google Image | ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ आगरा-लखनऊ-वाराणसी बुलेट ट्रेन का सर्वे

आज की सबसे बड़ी खबर है। दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, आगरा, लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए सोमवार की सुबह से सर्वे का काम शुरू हो गया है। सर्वे करने की शुरुआत ग्रेटर नोएडा से की गई है। रेल मंत्रालय से दी गई जानकारी के मुताबिक अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर ने ग्रेटर नोएडा से सोमवार की सुबह उड़ान भरी है। यह सर्वे भूमि और वायु, दोनों पर होगा। जल्दी ही सर्वे रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी जाएगी।

दिल्ली-वाराणसी के बीच हाई स्पीड रेल गलियारे के लिए हवाई-जमीनी सर्वेक्षण ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ है। रेल मंत्रालय के अनुसार सोमवार की सुबह उन्‍नत एरियल लिडार और इमेजरी सेंसरों से लैस होकर एक हेलीकॉप्टर ने पहली उड़ान भरी है। इसके साथ जमीनी सर्वेक्षण से जुड़े़ आंकड़े जुटाने का काम शुरू कर दिया गया है।

दिल्ली-वाराणसी हाई-स्पीड रेल (DVHSR) कॉरिडोर के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सर्वे रविवार को ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ है। जहां अत्याधुनिक हवाई LiDAR और इमेजरी सेंसर के साथ एक हेलीकॉप्टर ने पहली उड़ान भरी और इससे संबंधित डेटा को कैप्चर किया है। जमीनी सर्वेक्षण के बारे में रेल मंत्रालय को सूचित किया है। डीवीएचएसआर कॉरिडोर की प्रस्तावित योजना दिल्ली को मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगी।

दिल्ली से वाराणसी (लगभग 800 किमी) का मुख्य गलियारा भी अयोध्या से जुड़ा होगा। हाई-स्पीड रेल मार्ग उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी जोड़ेगा। रेल मंत्रालय ने कहा, "जमीनी सर्वेक्षण किसी भी रैखिक अवसंरचना परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। क्योंकि सर्वेक्षण संरेखण के आसपास के क्षेत्रों का सटीक विवरण प्रदान करता है। यह तकनीक सटीक सर्वेक्षण डेटा देने के लिए लेजर डेटा, जीपीएस डेटा, उड़ान मापदंडों और वास्तविक तस्वीरों के संयोजन का उपयोग करती है।" नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड LiDAR तकनीक को अपना रहा है, जो तीन-चार महीनों में सभी जमीनी विवरण और डेटा प्रदान करेगी। जिसमें इस प्रक्रिया को सामान्य रूप से 10-12 महीने लगते हैं।

इस क्षेत्र में सर्वे ऑफ इंडिया के निर्धारित नौ मानक बेंचमार्क के अनुसार, लगभग 86 मास्टर कंट्रोल पॉइंट और 350 सेकेंडरी कंट्रोल पॉइंट स्थापित किए गए हैं। ये निर्देश दिल्ली-वाराणसी HSR कॉरिडोर अलाइनमेंट पर विमान को उड़ाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसके अलावा, 60-मेगापिक्सेल कैमरों का उपयोग LiDAR सर्वेक्षण के लिए किया जा रहा है, ताकि संरचनाओं, पेड़ों और अन्य चीजों के विवरण की स्पष्ट तस्वीरें हासिल की जा सकें। दिल्ली वाराणसी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट 29 अक्टूबर, 2020 को रेल मंत्रालय को सौंपी गई थी। एनएचएसआरसीएल को सात हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए सौंपा गया है। सभी कॉरिडोर में जमीनी सर्वे के लिए LiDAR सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जाएगा।

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