Prayagraj/Greater Noida : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को दिए एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अनुबंधित कर्मचारी महेंद्र प्रताप सिंह की सेवा समाप्ति के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि बिना उचित अवसर दिए, कर्मचारी की ईमानदारी पर सवाल उठाना अनुचित है। महेंद्र प्रताप सिंह 2002 से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अनुबंधित कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं। प्रारंभ में, उन्हें सीधे अनुबंध पर रखा गया था, लेकिन बाद में उन्हें एक आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से काम पर रखा गया। 26 नवंबर 2024 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उप जिलाधिकारी (कार्मिक) ने उनकी सेवा समाप्त कर दी, यह कहते हुए कि उनकी “ईमानदारी संदिग्ध है।”
कोर्ट ने यह कहा
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेजे मुनिर ने कहा कि यह आदेश “छलावरण” है, क्योंकि सेवा समाप्ति को आउटसोर्सिंग एजेंसी को वापस भेजने के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी कर्मचारी पर इस तरह के आरोप लगाने से पहले उचित सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है। वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व निर्णय का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि अनुबंधित कर्मचारियों पर भी आरोप लगाने से पहले सुनवाई का अधिकार दिया जाना चाहिए।
यह है अंतरिम आदेश
हाईकोर्ट ने महेंद्र प्रताप सिंह को उनकी पूर्व शर्तों के तहत काम करने और वेतन प्राप्त करने की अनुमति दी है। साथ ही, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आदेश का पालन 24 घंटे के भीतर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी 2025 को होगी। इस दौरान, दोनों पक्षों से लिखित जवाब प्रस्तुत करने की अपेक्षा की गई है। यह मामला सरकारी संगठनों में अनुबंधित कर्मचारियों के अधिकारों और न्याय के लिए उच्च न्यायालयों की भूमिका को दर्शाता है।