गवाहों की हत्या, फाइलें गायब और सबूत नहीं मिले

अनिल दुजाना 15 बार हुआ बरी : गवाहों की हत्या, फाइलें गायब और सबूत नहीं मिले

गवाहों की हत्या, फाइलें गायब और सबूत नहीं मिले

Tricity Today | अनिल दुजाना

Noida News : अपराधी को उसका खौफ बड़ा बनाता है। अनिल दुजाना का खौफ कितना था? इस सवाल का जवाब जानना है तो उसकी फाइलों को खंगाला लीजिए। अनिल दुजाना के खिलाफ 65 मुकदमे दर्ज हैं। वह 15 बार अदालतों से बरी हो चुका है। हत्या, अपहरण और डकैती जैसे मुकदमों में अनिल दुजाना के खिलाफ गवाह नहीं मिले। पुलिस को सबूत नहीं मिले।  अदालतों और थानों से उसके मुकदमों की फाइल गायब हो गईं। उसके खिलाफ गवाही देने वालों की हत्या कर दी गईं। शायद यही वजह रही कि अब तक अनिल दुजाना 15 बार दोषमुक्त करार दिया जा चुका था।

कई गवाहों की हत्या करवाईं
उत्तर प्रदेश पुलिस अनिल दुजाना को छोटे-मोटे मामलों में मामूली सी सजाएं करवाने में कामयाब हुई। यह सजाएं दो-तीन साल की थीं। जिनमें उसे खड़े-खड़े जमानत भी मिल गई थी। अनिल दुजाना किस तरह कानून से खेल रहा था, इसका एक छोटा सा उदाहरण समझ लीजिए। उसका जब मन करता वह जमानत लेकर जेल से बाहर आ जाता था। अपने खिलाफ खड़े गवाहों को धमकी देकर फरार हो जाता था। गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद या मुजफ्फरनगर पुलिस दबाव बनाने की कोशिश करती थी तो जमानत तुड़वाकर वापस जेल पहुंच जाता था। मुजफ्फरनगर के छपार में रोबिन त्यागी से अदावत रखने वाले राजीव और संजीव त्यागी को अनिल दुजाना गैंग ने मौत के घाट उतारा। यह दोनों भाई रोबिन और अनिल के खिलाफ गवाही देने पर अड़े हुए थे। ग्रेटर नोएडा में जुनपत गांव के रहने वाले दो भाइयों की दिनदहाड़े हत्या की गई। एक भाई नरेंद्र शर्मा को दादरी में भरे बाजार गोलियों से भून दिया गया। जब नरेंद्र शर्मा के भाई कुलदीप शर्मा ने अनिल दुजाना के खिलाफ मुकदमे की पैरवी की। उसे जुनपत गांव में घर के सामने ही गोलियों से भून डाला गया। उस वक्त कुलदीप शर्मा सरकारी सुरक्षा में था। अनिल दुजाना गैंग ने पुलिसकर्मी की भी हत्या कर दी थी। खेड़ी गांव के प्रधान जयचंद को सरेआम गोलियों से भून दिया था। अब अनिल दुजाना, जयचंद की पत्नी और परिवार के दूसरे सदस्यों को जान से मारने की धमकी दे रहा था।

अब तक 15 अदालतों से बरी हुआ
थाना बादलपुर में उसके खिलाफ दर्ज हुए हत्या, हत्या का प्रयास, गुंडा एक्ट, लूट, डकैती और अन्य जघन्य अपराधों में अनिल दुजाना दोषमुक्त करार दिया गया। अनिल दुजाना अब तक 15 बार सबूतों के अभाव और गवाहों के मुकर जाने की वजह से बरी हो चुका था। अनिल के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर की बादलपुर, ईकोटेक-3, दादरी और नोएडा सेक्टर-20 थाना पुलिस सजा करवाने में कामयाब नहीं हुई। इतना ही नहीं गैंगस्टर एक्ट और कई दूसरे मुकदमों में अनिल दुजाना के खिलाफ पुलिस को सबूत नहीं मिले। मुकदमों से उसका नाम हटाना पड़ा। बाकी 50 से ज्यादा मुकदमे अनिल दुजाना पर चल रहे हैं। जिनमें पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। ज्यादातर में गवाही की प्रक्रिया चल रही है। यह मुकदमे मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और दिल्ली की अदालतों में लंबित हैं। खास बात यह है कि इन तमाम मुकदमों से जुड़े गवाह अदालतों में लंबे अरसे से हाजिर नहीं हो रहे हैं। कई मुकदमे तो 20-20 साल पुराने हैं।

गायब हो गई एनएसए फाइल
अनिल दुजाना सिस्टम से किस तरह खिलवाड़ कर रहा था, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। मुजफ्फरनगर जिले के छपार थाना क्षेत्र में उसने ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दिया था। परेशान होकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने उस पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट की धारा 3(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इस मुकदमे की फाइल गायब हो गई और उसका आज तक पुलिस पता नहीं लगा पाई है। फाइल गायब होने की वजह से एनएसए के इस मुकदमे में अनिल दुजाना को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी।

चर्चित अपहरण कांड में हुआ बरी
अक्टूबर 2021 में ग्रेटर नोएडा के ईकोटेक-3 थानाक्षेत्र के अंतर्गत खेड़ा चौगानपुर गांव में रहने वाले हातम प्रधान का अपहरण करने का प्रयास किया गया था। हातम का बिजेंद्र से विवाद चल रहा था। इस मामले में हातम ने पुलिस को शिकायत दी। बताया कि 9 एकड़ जमीन के विवाद में बिजेंद्र ने कुख्यात बदमाश अनिल दुजाना गैंग के लोगों को अपहरण करने के लिए भेजा था। इस मामले में ईकोटेक-3 थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान कुल 9 गवाह कोर्ट के सामने पेश किए गए। ओमपाल प्रधान और दीपक नागर को दोषी करार दिया गया। अनिल दुजाना और पप्पू प्रधान के खिलाफ किसी ने गवाही नहीं दी।

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