इस वजह से हुई दुश्मनी, गजियाबाद में बाल-बाल बचा था सुंदर

कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी का चेला था अनिल दुजाना : इस वजह से हुई दुश्मनी, गजियाबाद में बाल-बाल बचा था सुंदर

इस वजह से हुई दुश्मनी, गजियाबाद में बाल-बाल बचा था सुंदर

Tricity Today | गैंगस्टर सुंदर भाटी और अनिल दुजाना

Greater Noida News : कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना एक वक्त में गौतमबुद्ध नगर के माफिया सुंदर भाटी का चेला था। फिर धीरे-धीरे परिस्थितियां बदलीं और वह वक्त आया जब दोनों एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। अनिल दुजाना और रणदीप भाटी ने मिलकर सुंदर भाटी की हत्या को अंजाम देने की नाकामयाब कोशिश की। हालांकि, उस जगह हत्याकांड में सुंदर भाटी तो बाल-बाल बच गया था, लेकिन 3 लोग मौत के घाट उतार दिए गए थे।

कुछ इस तरह अनिल नागर बन गया अनिल दुजाना
यूपी एसटीएफ (UP STF) ने बताया कि वर्ष 2000 से पहले अनिल दुजाना कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी के लिए अवैध सरिए का कारोबार करता था। वह सरिया कारोबार से होने वाली कमाई का हिस्सा सुंदर भाटी को देता था। उस वक्त तक अनिल दुजाना कुख्यात किस्म का अपराधी नहीं था। वह साधारण सा युवक अनिल नागर था। उसने अपराध जगत में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए सुंदर भाटी के नाम का सहारा लिया और धीरे-धीरे सुंदर भाटी जैसा ही कुख्यात अपराधी बन गया। कुछ समय बाद अनिल दुजाना और सुंदर भाटी के बीच सरिए के कारोबार को लेकर विवाद पैदा हो गया और दोनों अलग हो गए। धीरे-धीरे अनिल दुजाना का झुकाव रणदीप भाटी गैंग की तरफ हो गया। रणदीप भाटी और सुंदर भाटी एक-दूसरे के ध्रुव विरोधी हैं।

नरेश भाटी की हत्या ने बदले सारे समीकरण
यूपी एसटीएफ का कहना है कि अनिल दुजाना शौकिया तौर पर नरेश भाटी और रणदीप भाटी गैंग के साथ रहने लगा था। इसी गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर धीरे-धीरे लूटपाट करने लगा। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के धनाढ्य व्यापारी वर्ग से रंगदारी वसूल करने लगा। इसके बाद उसने भाड़े पर हत्या करवाना शुरू कर दिया। सुंदर भाटी और उसके साथियों ने 28 मार्च 2004 को स्वचालित हथियारों से हमला करके नरेश भाटी की हत्या कर दी। उस वक्त नरेश भाटी गौतमबुद्ध नगर जिला पंचायत का अध्यक्ष था। इस खौफनाक वारदात के बाद नरेश भाटी गैंग की कमान उसके छोटे भाई रणपाल भाटी ने संभाल ली। नरेश भाटी की हत्या का बदला लेने के लिए रणपाल भाटी ने सुंदर भाटी के भतीजे लाला फौजी की वर्ष 2005 में हत्या कर दी थी। तब उत्तर प्रदेश सरकार ने रणपाल भाटी की गिरफ्तारी के लिए 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया था। साल 2006 में बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाना क्षेत्र में तत्कालीन एसएचओ एसकेएस प्रताप सिंह ने रणपाल भाटी को एनकाउंटर में मार गिराया था।

अनिल और रावण एकसाथ गैंग में आए थे
नरेश भाटी और फिर रणपाल भाटी के मारे जाने से नरेश भाटी गैंग की कमान नरेश भाटी के छोटे भाई रणदीप भाटी और उसके भांजे अमित कसाना ने संभाल ली। इन लोगों ने गैंग को नए सिरे से संगठित किया। इसी वक्त अनिल दुजाना की एंट्री रणदीप भाटी गैंग में हुई। उस वक्त अनिल दुजाना पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित था। तभी नगला नैनसुख गांव का रहने वाला नरेंद्र उर्फ़ नंदू उर्फ रावण भी इस गैंग में शामिल हुआ था। अब करीब 15 वर्षों से अनिल दुजाना और सुंदर भाटी गैंग के बीच गैंगवार चल रही है।

कई कुख्यात गैंग से थे करीबी रिश्ते
यूपी एसटीएफ ने बताया कि अनिल दुजाना एक शातिर किस्म का अपराधी था, जो अपने गैंग के सदस्यों की रंजिश और उनके आर्थिक लाभ को ध्यान में रखकर अपना गैंग चलाता था। लगातार गैंग में नए सदस्य जोड़ता रहता था। दूसरे गैंग के साथ मिलकर भी अपराध करता था। अपने प्रतिद्वंदी और आर्थिक लाभ के लिए नृशंस हत्याएं करवाता था। अनिल दुजाना का जुड़ाव रणदीप भाटी रिठौरी गैंग से है। साथ ही मुकीम काला गैंग से भी अनिल दुजाना की घनिष्ठता है। शुरुआती दौर में अनिल दुजाना, रणदीप भाटी गैंग के लिए हत्या करता था, लेकिन बाद में उसने अपना मजबूत गैंग बना लिया था।

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