सुंदर भाटी के बाद अनिल दुजाना को हुई सजा, दोनों ग्राम प्रधानों की हत्याओं में नपे

गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट का असर : सुंदर भाटी के बाद अनिल दुजाना को हुई सजा, दोनों ग्राम प्रधानों की हत्याओं में नपे

सुंदर भाटी के बाद अनिल दुजाना को हुई सजा, दोनों ग्राम प्रधानों की हत्याओं में नपे

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

  • हरेंद्र भाटी हत्याकांड में सुंदर भाटी को हुआ आजीवन कारावास
  • जयचंद्र प्रधान हत्याकांड से जुड़े मामले में अनिल दुजाना को 3 साल की सजा
  • एक वक्त ऐसा था जब पीड़ित नहीं जाते थे अदालतों में गवाही देने
  • अनिल दुजाना और सुंदर भाटी को पंचायतों की राजनीति से बाहर किया
  • पुलिस का गिरफ्तारी के साथ सजा पर जोर, अदालतों में पैरवी मजबूत हुई
Greater Noida : गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को 3 साल पूरे होने वाले हैं। इस सिस्टम की बदौलत कानून-व्यवस्था में आमूलचूल सकारात्मक बदलाव देखने के लिए मिला है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट के खाते में एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हैं लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि सुंदर भाटी और अनिल दुजाना जैसे कुख्यात गैंगस्टरों उसको सजा दिलवाना है। पिछले साल 5 अप्रैल 2021 को सुंदर भाटी को एक हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अब मंगलवार को जिले के दूसरे सबसे बड़े कुख्यात बदमाश अनिल दुजाना को जिला अदालत ने 3 साल की सजा सुनाई है। यह मामला भी एक हत्याकांड से जुड़ा है।

सजा तो दूर अदालत में गवाही तक देना था नामुमकिन
पुराने एसएसपी पुलिसिंग सिस्टम और नए पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम में क्या फर्क है? इस सवाल का जवाब इस बात से मिल जाता है कि पुरानी व्यवस्था के दौरान पीड़ित अदालतों में गवाही तक देने नहीं पहुंचे थे। कुछ लोगों ने सुंदर भाटी और अनिल दुजाना के खिलाफ गवाही देने की हिम्मत जुटाई तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। अब पिछले 3 वर्षों के दौरान गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट ने ना केवल अपराधियों को जेल भेजने में तत्परता बरती है बल्कि उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों में अदालतों में मजबूत पैरवी की है। जिसका परिणाम सामने है। पहले कुख्यात सुंदर भाटी को आजीवन कारावास हुआ और अब अनिल दुजाना को यह सजा हुई है। अनिल दुजाना के खिलाफ खेड़ी के ग्राम प्रधान जयचंद हत्याकांड का मुकदमा चल रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक इस मुकदमे में जल्दी फैसला आने वाला है।

एक की पत्नी बन गई थी ब्लॉक प्रमुख तो दूसरा खुद जिला पंचायत सदस्य
पुराने पुलिसिंग सिस्टम और तत्कालीन सरकारों की कमजोरियों का फायदा इन दोनों कुख्यात बदमाशों ने जमकर उठाया। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुंदर भाटी की पत्नी सुनीता भाटी दनकौर ब्लॉक की प्रमुख बन गई थी। सुनीता के सामने किसी ने ना तो बीडीसी का चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई थी और ना ही ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में उसे कोई चुनौती दे पाया था। दूसरी ओर अनिल दुजाना जिला पंचायत का चुनाव पूरे दमखम के साथ जीता था। अनिल दुजाना ने चुनाव लड़ा तो उसके सामने किसी बड़े नेता ने नामांकन नहीं किया था। जिसकी वजह से अनिल दुजाना ने करीब 11,000 वोटों से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता था। अब गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने का असर देखिए। पिछले पंचायत चुनाव के दौरान अनिल दुजाना ने एक बार फिर जिला पंचायत का चुनाव लड़ने की कोशिश की थी। पुलिस का दबाव इस कदर हावी रहा कि उसने अपने वकील से प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाई और ऐलान किया कि वह पंचायत चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं है। ठीक इसी तरह सुंदर भाटी ने दनकौर ब्लॉक की राजनीति से पूरी तरह हाथ खींच लिए।

दोनों को ग्राम प्रधानों की हत्याओं में हुई सजा
सुंदर भाटी और अनिल दुजाना को सजा होने के मामलों में एक समानता है। दोनों को ग्राम प्रधानों की हत्याओं से जुड़े मामलों में सजा हुई है। 8 फरवरी 2015 को दादूपुर गांव के प्रधान और एसपी नेता हरेंद्र नागर की दनकौर कस्बे में हत्या कर दी गई थी। इस केस में सुंदर भाटी समेत 12 को 5 अप्रैल 2021 को सजा सुनाई गई थी। सुंदर भाटी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। एक आरोपी मनोज को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। मंगलवार को खेड़ी गांव के प्रधान जयचंद्र सिंह की हत्या में फरारी काटने से जुड़े मामले के लिए अनिल दुजाना को दोषी ठहराया गया है। उसे जिला अदालत ने 3 साल की सजा सुनाई है।

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