Greater Noida News : अगर किसी की डेढ़ साल की मासूम औलाद चली जाए और अफरशाही इन्साफ का रास्ता रोककर खड़ी हो जाए तो जीवन कैसा लगेगा? पिछले तीन महीनों से ग्रेटर नोएडा का एक परिवार इसी तरह की यातना झेल रहा है। ग्रेटर नोएडा में स्थित यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान एक मासूम बच्ची की ऑपरेशन के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में पीड़ित परिवार ने हॉस्पिटल के खिलाफ शिकायत दी। शहर की बीटा-2 कोतवाली में आईपीसी की धारा 270 और 304-ए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इस घटना को 3 महीने से ज्यादा वक्त हो गए है, लेकिन अभी तक ना तो अस्पताल के खिलाफ एक्शन हुआ और ना ही आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। वजह गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की कलम से जारी होने वाली रिपोर्ट है। लेकिन एक तरफ सीएमओ साहब के कलम की स्याही सूख चुकी है तो दूसरी तरफ रो रोकर बच्ची के मां-बाप की आंखों के आंसू सूख गए हैं।
सोशल मीडिया पर मां ने मांगी मदद
अब पीड़ित परिवार ने एक बार फिर मदद की गुहार लगाई है। सोशल मीडिया पर डेढ़ साल की बच्ची के पिता सतेंद्र यादव और उनकी बीवी रंजू यादव ने मदद की गुहार लगाई है। पुलिस का कहना है कि मामला सीएमओ के पास पहुंच गया है, लेकिन वहां से कोई फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है। जिसकी वजह से आगे का एक्शन नहीं लिया जा रहा है। पीड़ित परिवार ने यूपी के सीएम से लेकर डीजीपी, गौतमबुद्ध नगर की पुलिस आयुक्त और जिलाधिकारी से फेसबुक-ट्वीटर पर मदद मांगी है।
कैसे शुरू हुआ मामला
ग्रेटर नोएडा में स्थित एडब्ल्यूएचओ ट्विन टावर में रहने वाले सतेंद्र कुमार यादव ने 18 दिसंबर 2022 को अपनी बेटी अतीक्षा यादव को ग्रेटर नोएडा के यथार्थ हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था। अतीक्षा यादव की नाक में चोट लगी थी। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर और नर्स ने प्लास्टिक सर्जरी की सलाह दी थी। डॉक्टर ने कहा था कि प्लास्टिक सर्जरी करने से लड़की की नाक पर बिल्कुल निशान नहीं रहेगा। सलाह को उचित मानते हुए प्लास्टिक सर्जरी की अनुमति दे दी थी।
19 दिसंबर 2023 को हुआ ऑप्रेशन
सतेंद्र यादव का कहना है, "प्लास्टिक सर्जरी से पहले बच्ची पूरी तरह हंस-खेल रही थी। अगले दिन 19 दिसंबर को प्लास्टिक सर्जरी के लिए दोपहर 1:30 ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। अतीक्षा को एनेस्थीसिया की डोज दी गई। डॉक्टर ने अचानक करीब 2:45 बजे उसको ऑपरेशन थिएटर से निकालकर वापस चौथी मंजिल पर आईसीयू में भेज दिया। हम अपनी बेटी को देखने पहुंचे तो वह पलक नहीं झपका रही थी। उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी। आईसीयू में मौजूद स्टाफ से इस बारे में पूछताछ की गई। रीडिंग मशीन पर भी कोई डाटा नजर नहीं आ रहा था। इस बारे में नर्सिंग स्टाफ से फिर शिकायत की गई। स्टाफ ने मशीन के तारों को अतीक्षा की बॉडी पर लगाने की कोशिश की लेकिन फिर भी मशीन ने काम नहीं किया।"
19 दिसंबर की रात किया मृत घोषित
सतेंद्र यादव का आरोप है कि वह और उनकी पत्नी लगातार स्टाफ से बच्ची को देखने की गुहार लगाते रहे। बार-बार कहा कि उन्हें कुछ ठीक नहीं लग रहा है। पूरी जानकारी दीजिए। रात में करीब 8:30 बजे उनके मित्र गौरव तिवारी मिलने पहुंचे। उन्होंने जब अतीक्षा को देखा तो कहा कि मशीन के मॉनिटर पर कोई रीडिंग नहीं है। अतीक्षा का शरीर पूरी तरह ठंडा पड़ा हुआ है। बच्ची के होंठ काले पड़ चुके हैं। इसके बाद सतेंद्र और उनकी पत्नी आईसीयू के बाहर बुरी तरह रोने लगे। इसके बाद रात 9:30 बजे डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित किया।"
3 महीने बाद भी नहीं मिला इंसाफ
इस मामले में सतेंद्र यादव का कहना है, "पूरे मामले को दबाया जा रहा है। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लापरवाही बरती जा रही है। मेरी बेटी की मौत को 3 महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन उसके बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया गया। क्या उसकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है? केवल जांच और रिपोर्ट के नाम पर मामले को खत्म करने की कोशिश है। अगर गौतमबुद्ध नगर पुलिस और हेल्थ डिपार्टमेंट ने जल्दी एक्शन नहीं लिया तो हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।"
पुलिस ने बदलवाई शिकायत
उनका कहना है कि इस मामले में वह पहले यथार्थ हॉस्पिटल के 4 डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत दे रहे थे, लेकिन पुलिस ने कहा कि अस्पताल के डॉक्टरों के खिलाफ नहीं बल्कि डिपार्टमेंट के खिलाफ शिकायत दीजिए। पीड़ित का कहना है कि पुलिस ने आरोपित डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत नहीं देने के लिए कहा था। यह सबकुछ जानबूझकर करवाया गया है। हम उस वक्त गमजदा थे। कानून की पेचीदगियों को समझ नहीं पाए और हमें गुमराह किया गया।
पुलिस ने कहा- सीएमओ की तरफ से हो रही देरी
इस मामले में बीटा-2 थाना प्रभारी का कहना है कि पुलिस ने जनवरी महीने में ही पूरे मामले की रिपोर्ट सीएमओ को भेज दी गई थी, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। थाना प्रभारी ने बताया कि इस मामले में पुलिस की तरफ से कोई देरी नहीं हुई है। बल्कि स्वास्थ्य विभाग और सीएमओ की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। नियम हैं कि ऐसे मामलों में जब तक सीएमओ रिपोर्ट नहीं देंगे तब तक पुलिस आगे कार्रवाई नहीं बढ़ा सकती है।
सीएमओ को किसी से बात करने की फुर्सत नहीं
सीएमओ सुशील कुमार सवालों के घेरे में हैं। बच्ची के परिजनों ने सीएमओ से बात करने की कोशिश लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया है। TRICITY TODAY की टीम ने सीएमओ से बातचीत करने का प्रयास किया। उनको दो बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया है। पीड़ित परिवार का कहना है, "हॉस्पिटल और सीएमओ ने सांठगांठ कर ली है। जिसकी वजह से इस मामले में एक्शन नहीं लिया जा रहा है और डेढ़ साल की बच्ची को इंसाफ नहीं मिल रहा है।" इस मामले में सीएमओ सुशील कुमार से बातचीत होने का इन्तजार है।