Tricity Today | एमओयू पर मंगलवार को हस्ताक्षर किये गये
- बैंक ने शहर में एक स्वच्छता केन्द्र की स्थापना के लिये 3 करोड़ रुपये का आवंटन किया
- इस केंद्र में अथॉरिटी हर महीने 200 से 300 मैट्रिक टन सूखे कचरे का प्रबंधन करेगी
- देश के 5 शहरों देहरादून, दिल्ली, पणजी, ऋषिकेश, उत्तरकाशी के बाद ग्रेटर नोएडा को चुना
Greater Noida News : निजी क्षेत्र में देश के सबसे एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने शहर के लिए बड़ा काम किया है। बैंक ने यूनाइटेड नेशंस डेवेलपमेंट प्रोग्राम (UNDP India) के तहत ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Greater Noida Authority) के साथ एक समझौता किया है। इस एमओयू पर मंगलवार को हस्ताक्षर किये गये हैं। इस एमओयू के तहत शहर में एक स्वच्छता केन्द्र (मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) की स्थापना की जाएगी। इस सुविधा से ग्रेटर नोएडा के लोगों को फायदा होगा। बैंक ने अपने फ्लैगशिप सीएसआर प्रोग्राम ‘परिवर्तन’ के तहत इस प्रोजेक्ट को स्पॉन्सर किया है। बैंक ने लगभग 3 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
बैंक लो-कार्बन इकोनॉमी की ओर बढ़ने के लिए सरकार के सभी मिशन और पहलों से जुड़ा हुआ है। बैंक ने अपनी ईएसजी रणनीति के तहत पर्यावरण की सुरक्षा को एक बड़ा फोकस एरिया माना है। इसने अपने उत्सर्जन, ऊर्जा और पानी की खपत को कम करते हुए वर्ष 2031-32 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य तय किया है। बैंक उन प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहित करता है और उनमें निवेश करता है, जो कार्बन फुटप्रिंट कम करते हैं। बैंक जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय जोखिमों का सामना करने में समुदायों को सहयोग भी देता है।
यह नई सुविधा स्थायित्व को बढ़ावा देने के लिये ग्रेटर नोएडा के लोगों, यूएनडीपी और प्रशासन के साथ काम करने की दिशा में एक कदम है। ग्रेटर नोएडा अभी हर दिन लगभग 300 से 350 मैट्रिक टन कचरा पैदा करता है। स्वच्छता केन्द्र सूखा कचरा एकत्र करके उसे अलग-अलग करते हैं और रिसाइकलर्स के पास भेजने से पहले उसे रिकवर किया जाता है। इससे संसाधन क्षमता निर्मित होती है और चक्रीय अर्थव्यवस्था को सहयोग मिलता है।
ग्रेटर नोएडा में नया स्वच्छता केन्द्र हर महीने 200 से 300 मैट्रिक टन सूखे कचरे को रिकवर करेगा। एमओयू पर हस्ताक्षर के समय ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेन्द्र भूषण, एचडीएफसी बैंक के ब्रांच बैंकिंग हेड अखिलेश कुमार रॉय और यूएनडीपी इंडिया में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के प्रोजेक्ट मैनेजर और ऑफिसर इनचार्ज श्रीकृष्ण बालाचंद्रन मौजूद थे।
एचडीएफसी बैंक में सीएसआर, बिजनेस फाइनेंस, स्ट्रेटजी एडमिनिस्ट्रेशन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर की ग्रुप हेड आशिमा भाट ने कहा, “परिवर्तन’ के माध्यम से हम देश के 8.5 करोड़ से ज्यादा लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर चुके हैं। पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन सम्बंधी (ईएसजी) चिंताएं हमारे मूल्यों में निहित हैं। दुनिया के स्थायी भविष्य के लिये हमारी अटल प्रतिबद्धता दर्शाती हैं। ग्रेटर नोएडा का स्वच्छता केन्द्र सेग्रीगेशन और कलेक्शन के एक मॉडल को बढ़ावा देता है। संसाधनों के इस्तेमाल को बेहतर बनाता है। सफाई में जुटे साथियों, शहर की सेहत और आजीविका में वृद्धि करता है। हमें विश्वास है कि यह सूखे कचरे को बेहतर तरीके से मैनेज करने में शहर की मदद करेगा और नॉन-बायोडिग्रेडेबल व हानिकारक अपशिष्ट से पर्यावरण की रक्षा करेगा।”
एचडीएफसी बैंक और यूएनडीपी ड्राय वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के के तहत पाँच शहरों देहरादून, दिल्ली, पणजी, ऋषिकेश, और उत्तरकाशी में ड्राय वेस्ट रिसाइकलिंग एंड मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। यह प्रोजेक्ट 4,000 मैट्रिक टन से ज्यादा सूखा कचरा प्रोसेस कर चुका है। यूएनडीपी का प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम भारत के स्वच्छ भारत मिशन, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट (संशोधित) रूल्स-2018 से जुड़ा है।
ग्रेटर नोएडा के सीईओ नरेन्द्र भूषण ने कहा, “कचरे का प्रभावी और स्थायी प्रबंधन किसी भी स्मार्ट सिटी की पहली जरूरत होती है। हम ग्रेटर नोएडा में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर लाने और उसके निवासियों के रहन-सहन के स्तर को सुधारने के लिये प्रतिबद्ध हैं। इस एमओयू पर इसी विचार के तहत हस्ताक्षर किए गए हैं।" यूएनडीपी के प्रोजेक्ट मैनेजर और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के इंचार्ज श्रीकृष्ण बालाचंद्रन ने कहा, “यूएनडीपी का प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम एक अनोखा प्रयास है। यह देश में कचरे के प्रबंधन के एक स्थायी मॉडल पर काम कर रहा है। वेस्ट वैल्यू चेन के सभी साझीदारों को एक साथ लाता है। हम वेस्ट कलेक्टर्स से लेकर रिसाइकलर्स तक प्लास्टिक रिसाइक्लिंग वैल्यू चेन को जोड़कर प्लास्टिक्स पर एक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाते हैं।"