नोएडा एक्सटेंशन समेत पूरे एनसीआर के बिल्डरों को बड़ा झटका, घर खरीदारों की बल्ले-बल्ले

पढ़िए खास खबर : नोएडा एक्सटेंशन समेत पूरे एनसीआर के बिल्डरों को बड़ा झटका, घर खरीदारों की बल्ले-बल्ले

नोएडा एक्सटेंशन समेत पूरे एनसीआर के बिल्डरों को बड़ा झटका, घर खरीदारों की बल्ले-बल्ले

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Greater Noida News : सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट समेत पूरे देश के बिल्डरों को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हक में बड़ा फैसला सुनाया है। बीते दिनों एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सोसाइटी का हैंडओवर फ्लैट ओनर्स अपार्टमेंट (एओए) के हाथ में चला जाता है तो बिल्डर के द्वारा अपने किए गए वादे को पूरा करना होगा। बिल्डर अपने वादों से पीछे नहीं हट सकता। बिल्डर ने जो वादे घर खरीदार से किए हैं, वह सभी उसको खुद पूरे करने होंगे।

बिल्डर अपने वादों से होता है पीछे
ग्रेटर नोएडा वेस्ट (नोएडा एक्सटेंशन) की अधिकतर हाउसिंग सोसायटी में देखा जा रहा है कि अगर सोसाइटी का हैंडओवर एओए ले लेता है तो बिल्डर अपने किए गए वादों से पीछे हटने का प्रयास करता है। हैंडओवर देने के बाद बिल्डर कहता है कि सोसाइटी में जो भी कार्य होने हैं, वह अब एओए के हाथों में है। अब उसके ऊपर सोसाइटी या घर खरीदारों की कोई जिम्मेदारी नहीं है। बिल्डर की इसी नीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुनाया है।

जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने सुनाया यह फैसला 
बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एओए को सोसाइटी का हैंडओवर देने के बाद भी बिल्डर को अपने किए गए वादों को पूरा करना होगा। ऐसा कोई नियम नहीं है कि हैंडओवर देने के बाद बिल्डर सोसाइटी के घर खरीदारों की समस्याओं का समाधान ना करें। फ्लैट मालिक से जो भी वादे बिल्डर ने किए गए हैं, वह सभी बिल्डर को ही पूरे करने होंगे।

नेशनल कंज्यूमर फोरम की आलोचना हुई
आपको बता दें कि नेशनल कंज्यूमर फोरम ने फैसला सुनाया था कि अगर एओए सोसाइटी का हैंडओवर ले लेता है तो बिल्डर नहीं एओए को फ्लैट खरीदारों की समस्याओं का समाधान करना होगा और उनसे किए गए वादों को पूरा करना होगा। अब इसके खिलाफ में ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इसके अलावा सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंज्यूमर फोरम के इस आदेश की भी आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है, "हमें समझ नहीं आ रहा कि आखिरकार नेशनल कंज्यूमर फोरम ने किस हिसाब से यह फैसला सुनाया है।"

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