मायावती को गृह जनपद में बड़ा झटका, बेहद करीबी रहे दो नेताओं ने पार्टी छोड़ी, बताई बड़ी वजह

Politics : मायावती को गृह जनपद में बड़ा झटका, बेहद करीबी रहे दो नेताओं ने पार्टी छोड़ी, बताई बड़ी वजह

मायावती को गृह जनपद में बड़ा झटका, बेहद करीबी रहे दो नेताओं ने पार्टी छोड़ी, बताई बड़ी वजह

Tricity Today | रामशरण नागर और संजीव त्यागी

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) की मुखिया मायावती (Mayawati) को गृह जनपद गौतमबुद्ध नगर में बड़ा झटका लगा है। मायावती के दो करीबी नेताओं ने बहुजन समाज पार्टी छोड़ दी है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रभारी संजीव त्यागी और बसपा कैडर में मजबूत पकड़ रखने वाले रामशरण नागर एडवोकेट ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। दोनों नेताओं ने जिला और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इनका कहना है कि मौजूदा पदाधिकारी आम कार्यकर्ता की घोर उपेक्षा कर रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी अपना जनाधार खोती जा रही है। चुनावों में लगातार हार का मुंह देखना पड़ रहा है।

मायावती तक नहीं पहुंचती कार्यकर्ता की आवाज
बीएसपी के मेरठ मंडल के सेक्टर प्रभारी रह चुके संजीव त्यागी ने कहा, "मैंने 4 नवंबर 1997 को बहन मायावती के मंच पर बादलपुर में सदस्यता ग्रहण की थी। उसके बाद एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर तमाम महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के मौजूदा प्रभारी समसुद्दीन राइन का व्यवहार बेहद खराब है। उनकी कार्यकर्ताओं के प्रति मानसिकता अच्छी नहीं है। जबसे समसुद्दीन इस पद पर आए हैं, तब से कार्यकर्ताओं की बात बहन जी तक नहीं पहुंच पा रही है। वह केवल अपने निजी स्वार्थों को साधने में लगे रहते हैं। जिससे मैं बेहद दुखी हूं। पश्चिम उत्तर प्रदेश का नेतृत्व बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं की लगातार घोर उपेक्षा कर रहा है।"

संजीव त्यागी ने आगे कहा, "यही वजह है कि पार्टी को लगातार नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मैंने अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। इस बारे में स्पीड पोस्ट के जरिए बहन मायावती को भी सूचना भेज दी है।" आपको बता दें कि संजीव त्यागी पिछले 24 वर्षों से बहुजन समाज पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। वह गौतमबुद्ध नगर जिला कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष थे। मेरठ मंडल के दो बार प्रभारी रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा के वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव में चीफ इलेक्शन एजेंट थे। यूपी विधानसभा चुनाव 2007, 2012 और 2017 में भी चीफ इलेक्शन एजेंट रह चुके हैं।

अनुशासित पार्टी का कैडर कमजोर करने का आरोप
बहुजन समाज पार्टी के कैडर में मजबूत पकड़ रखने वाले रामशरण नागर एडवोकेट ने भी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। रामशरण नागर ने कहा, "मैं फरवरी 1995 से बहुजन समाज पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं। पिछले तीन-चार वर्षों से पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगातार घोर उपेक्षा का सामना कर रही है। वेस्ट यूपी का नेतृत्व आम कार्यकर्ता की बात सुनने को तैयार नहीं है। पार्टी में कार्यकर्ताओं का सम्मान खत्म हो रहा है। यही वजह है कि चुनाव दर चुनाव पार्टी का मत प्रतिशत लगातार गिर रहा है।"

रामशरण नागर एडवोकेट ने आगे कहा, "पार्टी के पदाधिकारी आम कार्यकर्ता की बात नेतृत्व तक नहीं पहुंचाते हैं। यही वजह है कि पार्टी प्रत्याशी अच्छे नहीं चुने जा रहे हैं। केवल उन्हीं लोगों को चुनाव लड़ाया जा रहा है, जो सेवा भाव और आवभगत में लगे रहते हैं। यही वजह है कि बहन मायावती का गृह जनपद होने के बावजूद गौतमबुद्ध नगर की तीनों विधानसभा सीट और लोकसभा सीट पार्टी हार गई है। उनके गृह जनपद में ही पार्टी का जनाधार लगातार गिर रहा है। इससे मैं बहुत दुखी हूं। बेहद अनुशासित मानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी की जिले में मासिक बैठक में तक होनी बंद हो गई हैं। गिने-चुने धनाढ्य लोग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी और जिले के नेतृत्व के संपर्क में रहते हैं। वही लोग पार्टी के उम्मीदवार बन जाते हैं। उनका जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं है। जिसकी बदौलत पार्टी लगातार चुनाव हार रही है।" रामशरण नागर एडवोकेट ने कहा, "यह मेरे लिए पीड़ादायक है। यह पूरी व्यवस्था बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और मान्यवर कांशीराम के मिशन के खिलाफ है। जिससे व्यथित होकर में बहुजन समाज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूं।"

आपको बता दें कि रामशरण नागर एडवोकेट गौतमबुद्ध नगर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और गौतमबुद्ध नगर जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं। अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के महासचिव हैं। रामशरण नागर एडवोकेट और संजीव त्यागी ने कहा, वह दोनों लोग केवल बहुजन समाज पार्टी छोड़ रहे हैं। किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। दोनों ने कहा कि हम लोग मिशन के सिपाही हैं। हमें सत्ता, पार्टी में पद और व्यक्तिगत तुष्टिकरण से सरोकार नहीं है।

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