Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में हज़ारों बीघा ज़मीन के लीज़ बैक में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, गुड़गांव और अन्य नगरों के लोगों के नाम पर ज़मीन लीज़ बैक की गई। इन लोगों ने पहले यह ज़मीन सस्ते दामों पर ग्रेटर नोएडा के किसानों से खरीदी थी। बाद में, उन पर बाउंड्रीवाल बनाकर कमरे बनाए और इन जमीनों को पुरानी आबादी के तौर पर दिखा दिया। यह खेल प्राधिकरण के लैंड विभाग के अधिकारियों की मदद से चल रहा था, जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
प्राधिकरण को अरबों रुपये का हुआ नुकसान
इस फर्जीवाड़े का दूसरा पहलू यह है कि जिन किसानों की ज़मीन लीज़ बैक की गई थी, उनमें से कुछ ने अवैध रूप से 10 बीघा ज़मीन पर क़ब्ज़ा किया हुआ था। इसके अलावा 50 बीघा से लेकर 80 बीघा तक की ज़मीन को लीज़ बैक किया गया। इस खेल में प्राधिकरण को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है, जिसे शायद ही वह कभी भरपाई कर पाए। लीज़ बैक के दौरान बहुत बड़े घोटाले हुए हैं, जिनकी जाँच अब शुरू हो गई है।
सर्वे के दौरान इसे पुरानी आबादी के रूप में दिखाया
ग्रेटर नोएडा में ज़मीन के लीज़ बैक के इस फर्जीवाड़े में अवैध क़ब्ज़े और निर्माण शामिल हैं। किसानों से ली गई ज़मीन पर बाउंड्रीवाल और कमरे बनाए गए और फिर सर्वे के दौरान इसे पुरानी आबादी के रूप में दिखा दिया। इसके बाद इन ज़मीनों को धारा 4 और 6 के तहत बाहर निकाल दिया गया। जिससे प्राधिकरण की ज़मीन उनके हाथ से निकल गई। लैंड विभाग के अधिकारियों ने इन प्रक्रियाओं में अपनी भूमिका निभाई और अब उनकी जांच की जा रही है।
बादलपुर गांव में हुआ मुख्य खेल
इस बड़े घोटाले का मुख्य खेल बादलपुर गांव में हुआ। यहां पहले किसानों को मुआवज़ा दिया गया और फिर ज़मीन को फर्जी तरीके से लीज़ बैक कर दिया गया। मुआवज़ा भी किसानों से वापिस लिया गया। बादलपुर में उन लोगों को पट्टे दिए गए जो असल में इसके हकदार नहीं थे। ये लोग सरकारी नौकरी में थे और उनके नाम पर जमीनें दी गईं। ग्रेटर नोएडा के लैंड विभाग के OSD ने दादरी SDM को पत्र भेजकर राजिंदर सिंह की याचिका पर SDM दादरी से दा जाँच की मांग की है। जिसके बाद इस घोटाले की जांच अभी चल रही है और इसमें शामिल अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है, जिनमें पूर्व सीईओ, इंजीनियर, तहसीलदार और अन्य अधिकारी शामिल हो सकते हैं।