NCR के बाहर पटरी पर लौट रहा कारोबार, नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ में सुस्ती, जानिए क्यों

UP के रियल एस्टेट सेक्टर पर बड़ी खबर : NCR के बाहर पटरी पर लौट रहा कारोबार, नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ में सुस्ती, जानिए क्यों

NCR के बाहर पटरी पर लौट रहा कारोबार, नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ में सुस्ती, जानिए क्यों

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

Greater Noida : उत्तर प्रदेश में लंबे अरसे से थमे पड़े रियल एस्टेट सेक्टर से बड़ी खबर सामने आई है। पिछले 4 महीनों के दौरान उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) को 116 नई परियोजनाओं से जुड़े आवेदन मिले हैं। रियल एस्टेट कंपनियों ने इन नई परियोजनाओं का पंजीकरण करवाने के लिए यूपी रेरा में अप्रोच किया है। यूपी रेरा इसे सकारात्मक रूप से देख रहा है। दरअसल, पिछले कई वर्षों के दौरान नई परियोजनाएं बेहद कम संख्या में लॉन्च हुई हैं। पुराने प्रोजेक्ट भी थमे पड़े हैं। आधे-अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में लाखों घर खरीदार फंसे हुए हैं। यूपी रेरा के अलावा रियल एस्टेट सेक्टर से ताल्लुक रखने वाले प्रोफेशनल्स और विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में सेक्टर की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी।

कोरोना महामारी से लगा अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका
कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण फैली विश्वव्यापी महामारी ने अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है। इससे उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं रहा। यूपी के रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। कोरोनावायरस संक्रमण से पहले भी लगातार रियल एस्टेट सेक्टर मंदी की मार में था। अब पिछले 4 महीनों में जिस तरह रियल एस्टेट कंपनियों ने नई परियोजनाओं के पंजीकरण करवाने के लिए यूपी रेरा में आवेदन दिया है, उससे सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। उम्मीद जाहिर की जा रही है कि जल्दी ही अर्थव्यवस्था कोरोनावायरस के आने से पहले वाली स्थिति में वापस लौट आएगी।

पिछले साल केवल 68 आवेदन मिले थे
यूपी रेरा की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कोविड-19 की पहली लहर आने से पहले 4 महीनों के दौरान (दिसंबर 2019 और जनवरी, फरवरी, मार्च 2020) में केवल 68 परियोजनाओं का पंजीकरण करवाने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों ने आवेदन किए थे। अगर इस साल की बात की जाए तो नवंबर-दिसंबर 2021 और जनवरी-फरवरी 2022 के दौरान 116 आवेदन यूपी रेरा को मिल चुके हैं। मतलब, कोरोना से पहले भी नई परियोजनाओं के इतने आवेदन नहीं मिले थे। यूपी रेरा इसे उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छे संघ के मान रहा है।

एनसीआर के बाहर से ज्यादा आवेदन मिले
यूपी रेरा के प्रवक्ता ने बताया कि पिछले 4 महीनों के दौरान मिले आवेदनों में 33 परियोजनाएं एनसीआर के जिलों की हैं। जबकि 83 प्रोजेक्ट एनसीआर के जिलों से बाहर वाले हैं। मतलब, रियल एस्टेट कम्पनियां एनसीआर के मुकाबले उत्तर प्रदेश के बाहरी जिलों में ज्यादा निवेश कर रही हैं। यूपी रेरा को मिले आवेदनों में 80% एनसीआर के बाहर वाले जिलों से आए हैं। यूपी रेरा के प्रवक्ता ने बताया कि इससे पहले एनसीआर और नॉन एनसीआर जिलों से मिलने वाले आवेदनों की संख्या लगभग बराबर थी।

लखनऊ, कानपुर और आगरा में अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार
लखनऊ, बाराबंकी, कानपुर, आगरा और मथुरा में सबसे ज्यादा रियल स्टेट प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड करवाए जा रहे हैं। यह रुझान इस बात का संकेत है कि एनसीआर के बाहर वाले जनपदों में आवासीय गतिविधियां गति पकड़ रही हैं। यह बढ़ते शहरीकरण और लोगों की आधुनिक आवासों की तरफ बढ़ती रुचि का असर है। यह भी कहा जा सकता है कि इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं। एनसीआर के जिलों में अभी अपेक्षाकृत अर्थव्यवस्था ने कम रफ्तार पकड़ी है।

एनसीआर में प्रॉपर्टी के दाम बहुत ज्यादा
रियल एस्टेट सेक्टर पर नजर रखने वाले एडवोकेट मुकेश शर्मा का कहना है, "एनसीआर में शामिल उत्तर प्रदेश के जिलों गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और मेरठ में प्रॉपर्टी की कीमत बहुत ज्यादा है। मसलन, 2 बैडरूम के फ्लैट की कीमत औसतन 30 लाख रुपए से शुरू होती है। दूसरी तरफ लखनऊ, कानपुर और आगरा में 2 बैडरूम के फ्लैट की औसत कीमत 25 लाख रुपये पर खत्म हो जाती है। एनसीआर में जैसे-जैसे प्रॉपर्टी प्रीमियम होती जाती है, उसके सापेक्ष कीमत में गुणात्मक वृद्धि देखने के लिए मिलती है। यही वजह है कि अभी निवेशक एनसीआर में पैसा लगाने से बच रहे हैं। दूसरी ओर कानपुर, लखनऊ और आगरा में आसपास के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों से लोग निकलकर शहर में रहना पसंद कर रहे हैं। जिसकी वजह से वहां नया-नया फ्लैट कल्चर विकसित हो रहा है। यही वजह है कि छोटी रियल एस्टेट कंपनियां इन शहरों में नई आवासीय परियोजनाएं ला रही हैं।"

यूपी चुनाव के बाद एनसीआर में रफ्तार आएगी
एनसीआर में आर्थिक गतिविधियों की गति को लेकर बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी कहते हैं, "पिछले दो-ढाई दशकों के दौरान निवेशकों की पहली पसंद रियल एस्टेट सेक्टर रहा है। उसमें भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा निवेशकों के पसंदीदा शहर हैं। पिछले 2 वर्ष महामारी में निकल गए। उससे पहले देश में लागू किए गए मौद्रिक और आर्थिक बदलाव अर्थव्यवस्था के आगे खड़े हो गए थे। अब हालात बदलेंगे। एनसीआर के शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा गाजियाबाद और मेरठ में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी। दरअसल, अभी निवेशक और रियल एस्टेट सेक्टर से ताल्लुक रखने वाले कारोबारी चुनाव परिणाम आने का इंतजार कर रहे हैं। नई सरकार बनने के बाद सभी अपनी सहूलियत और प्राथमिकताएं तय करके कारोबार में आगे बढ़ेंगे। मुझे लगता है कि अप्रैल-मई से इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ेंगी। इसमें जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा भी बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है।" 

डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी आगे कहते हैं, "वर्ष 2007 से लेकर 2017 तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में रियल स्टेट सेक्टर पीक पर था। लाखों की संख्या में फ्लैट बनाए गए हैं। जो अब तक बिके नहीं है। जिनकी बिक्री हो गई उनमें से बड़ी संख्या में अब तक खरीदारों को हैंडओवर नहीं किए जा सके हैं। इससे एंड यूजर में रियल एस्टेट कंपनियों के प्रति अविश्वास पैदा हुआ है। ऊपर से इन्वेंटरी ज्यादा है और कंजूमर कम है। ऐसे में यहां नई योजनाएं लांच करना कंपनियों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। यह बात सभी जानते हैं।"

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