तो इस तरह ग्रेटर नोएडा का छोरा यूक्रेन में फंसे 250 भारतीय छात्रों को वापस लाया, केंद्रीय मंत्री ने भी ली मदद

गर्व की बात : तो इस तरह ग्रेटर नोएडा का छोरा यूक्रेन में फंसे 250 भारतीय छात्रों को वापस लाया, केंद्रीय मंत्री ने भी ली मदद

तो इस तरह ग्रेटर नोएडा का छोरा यूक्रेन में फंसे 250 भारतीय छात्रों को वापस लाया, केंद्रीय मंत्री ने भी ली मदद

Tricity Today | बीच में बैठे तरुण कौशिक

  • - ग्रेटर नोएडा के दादरी का निवासी है तरुण कौशिक
  • - 5 सालों से यूक्रेन में कर रहा था एमबीबीएस की पढ़ाई
  • - 3 महीने में होने वाला था कोर्स पूरा
  • - ऐसे निभाया भारतीय होना का कर्तव्य
  • - 250 छात्रों के साथ पहुंचा हिंडन एयरबेस
Greater Noida : ग्रेटर नोएडा में दादरी कस्बे के रहने वाले तरुण कौशिक गुरुवार को यूक्रेन से वापस लौटे हैं। तरुण कौशिक अकेले नहीं बल्कि यूक्रेन में फंसे 250 से ज्यादा छात्रों को वापस भारत लेकर आए हैं। 23 साल का तरुण कौशिक पिछले 5 साल से यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था, सिर्फ 3 महीने उसके कोर्स में बाकी बचे हैं। इसी दौरान रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ गई और उनको वापस आना पड़ा है।

केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने किया स्वागत
तरुण कौशिक ने बताया कि उनके परिवार में उनके माता-पिता और बड़ी बहन हैं। उनके पिता किसान हैं और माता गृहणी हैं। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। तरुण कौशिक गुरुवार को करीब 10:30 बजे गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयरबेस पर पहुंचे। केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने तरुण कौशिक से यूक्रेन में मुलाकात की।
"सीनियर छात्र का कर्तव्त निभाया"
तरुण कौशिक ने बताया कि वह अपनी यूनिवर्सिटी में सबसे सीनियर छात्र हैं। 5 दिन पहले उनका टिकट फाइनल हो गया था। यूक्रेन की एक यूनिवर्सिटी के टीचर इंडियन एंबेसी और इंडियन छात्रों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने मुझसे संपर्क करते हुए कहा कि हम पूरी कोशिश करें हैं कि आप सभी अपने घर वापस लौट जाएं। मेरे कॉलेज में 250 छात्र इंडियन हैं, जो पढ़ाई कर रहे थे। मैं इस यूनिवर्सिटी में सबसे सीनियर छात्र हूं। 

19 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया
उन्होंने बताया कि सबसे पहले हम सभी छात्रों को पोलैंड बॉर्डर पर छोड़ने के लिए एक बस आई थी, लेकिन हमने और बसों का इंतजार किया। मेरा मानना था कि देश की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। मैं चाहता तो पहली बस में बैठकर वापस आ सकता था, लेकिन मैं सभी छात्रों को वापस लाना चाहता था। इसलिए मैंने और बसों का इंतजार किया। काफी इंतजार करने के बाद जब बस नहीं आई तो सभी एकसाथ पैदल ही निकल पड़े। पैदल चलकर 19 किलोमीटर का सफर तय किया। उनके साथ 250 बच्चे थे। 19 किलोमीटर चलने के बाद उनको बस मिली। जिसमें बैठकर वह पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे।

ऐसे हुई पोलैंड बॉर्डर पर एंट्री
तरुण कौशिक यूक्रेन की टेरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। उन्होंने कहा, "मैंने अपने कॉलेज के 250 छात्रों के साथ तीन दिन पहले पोलैंड बॉर्डर क्रॉस किया था। वहां पर यूक्रेन की सेना भारतीय छात्रों को नहीं जाने दे रही थी। वहां पर केवल यूक्रेन की सेना भारतीय लड़कियों को ही एंट्री दे रही थी। जिसके बाद उन्होंने सभी छात्रों को रोक दिया और इंडियन एंबेसी से बातचीत की।" तरुण कौशिक ने बताया कि एंबेसी से बातचीत के बाद हम लोगों ने पोलैंड बॉर्डर के दूसरी तरफ से एंट्री ली। हमने बस में बैठकर 7 किलोमीटर का सफर तय किया।

जनरल वीके सिंह ने लिया नंबर
तरुण कोशिक का कहना है कि जब वह यूक्रेन में थे तो उन्होंने जनरल वीके सिंह से मुलाकात की। इस दौरान जनरल वीके सिंह ने उनका यूक्रेन वाला नंबर ले लिया ताकि वहां के बच्चों से बातचीत की जाए। तरुण कौशिक ने यह मोबाइल नंबर दो दिन पहले ही खरीदा था। इस तरीके से केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने भी उनसे मदद ली है।

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