Greater Noida : देश में बढ़ रही हैकाथॉन संस्कृति से सबसे अधिक फायदा युवाओं को हो रहा है। इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। हैकाथॉन के जरिए बड़े टेक्नोक्रेट निकले हैं। देश में हुए स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के जरिए करीब 150 स्टार्टअप शुरू हुए हैं। यही कारण है कि अन्य देश भी हैकाथॉन के लिए भारत सरकार से संपर्क कर रहे हैं। ये बातें शिक्षा मंत्रालय के मुख्य इनोवेशन अधिकारी और यूनेस्को इंडिया-अफ्रीका हैकाथॉन के नोडल अफसर डॉ.अभय जेरे ने की है।
2016 से शुरू हुए हैकाथॉन
गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में चल रहे हैकाथॉन के नोडल अफसर डॉ.अभय जेरे ने बताया कि अब तक देश में पांच स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन हो चुके हैं, जबकि तीन इंटरनेशनल हैकाथॉन कराए जा चुके हैं। वर्ष 2016 से पहले हैकाथॉन को लेकर कोई काम नहीं होता था। कुछ कंपनियां अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अपने दफ्तर में हैकाथॉन कराते थे। इससे उन्हें समस्या का समाधान मिल जाता था।
वर्ष 2017 में पहला स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन हुअ
वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने हैकाथॉन कराने की योजना बनाई। वर्ष 2017 में पहला स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन हुआ। शुरुआत में भाग लेने वाले बच्चों की संख्या कम थी, लेकिन अब यह संख्या बहुत अधिक है। वर्ष 2018 में सिंगापुर में हैकाथॉन कराया गया, जबकि वर्ष 2019 में इंडिया-सिंगापुर हैकाथॉन चेन्नई में हुआ। इसके अलावा आसियान हैकाथॉन ऑनलाइन कराया गया। इसमें भी बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
बच्चें ने किया बड़ा काम, इसलिए बड़ी कंपनियां देती हैं नौकरियां
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन से करीब 150 हैकाथॉन शुरू हुए हैं। हैकाथॉन में भाग लेने वाले बच्चों को रोजगार पहले मिलता है। दरअसल इन बच्चों में बहुत कम समय में समस्या का समाधान निकालने का अनुभव होता है। उसको कंपनियां पहले लेती हैं। साथ ही, इससे बड़े टेक्नोक्रेट भी निकले हैं। इनसे निकले बच्चे गूगल हेड क्वार्टर समेत बड़ी आईटी कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं। हैकाथॉन के बाद कई चीजों में बदलाव आया है। इससे देश में स्टार्टअप की संख्या बढ़ी है। पेटेंट कराने वालों में इजाफा हुआ है। नई शिक्षा नीति में इसका महत्व है।