Greater Noida News : चिटहैरा भूमि घोटाले पर रोज नई जानकारियां सामने आ रही हैं। लोग अंतरराज्यीय भूमाफिया के खौफ और रसूख के किस्से-कहानी सुना रहे हैं। अब दादरी में एसडीएम और फिर गौतमबुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी रहे रिटायर पीसीएस अफसर एसबी तिवारी ने कई बड़े रहस्योद्घाटन किए हैं। ठीक ऐसे तथ्य आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल 'ट्राईसिटी टुडे' ने आपके सामने रखे हैं। लेकिन खुद इस घोटाले की जांच-पड़ताल और कानूनी सुनवाई में शामिल रहे एक प्रशासनिक अधिकारी के अनुभव बड़े मायने रखते हैं। एसबी तिवारी ने यह पूरी जानकारी अपने फेसबुक प्रोफाइल पर एक पोस्ट लिखकर दी है। उन्होंने बताया है कि किस तरह राजनीतिक रसूख रखने वालों ने पहले बहुजन समाज पार्टी और फिर समाजवादी पार्टी की सरकारों के दौरान प्रशासन को भूमाफिया के सामने कठपुतली बना दिया था।
'अवैध पट्टों को रद्द करने की हिम्मत अफसर नहीं जुटा पाए'
एसबी तिवारी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, "इस समय चिटहरा तहसील दादरी में भूमि घोटाला प्रदेश में चर्चित है। कल एसटीएफ ने कुर्की की है। सोचा कुछ प्रकाश डालूँ। ये पट्टे 1997 में हुए थे। पट्टे गाँव के पात्र व्यक्तियों को न होकर बाहरी लोगों को, भूमि धारकों को और सरकारी नौकरी वालों को किए गए थे। 1998 में मैंने एसडीएम का चार्ज लिया। शिकायत हुई तो सभी ग़लत पट्टों को निरस्त करने की रिपोर्ट तत्कालीन डीएम को भेज दी। एडीएम न्यायालय में वाद चलता रहा लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि पट्टा निरस्त कर दे।"
'पहले बसपा और फिर सपा सरकार में नेता ने दबाव बनाया'
एसबी तिवारी आगे लिखते हैं, "बीएसपी शासन में तैनात रहे एक एडीएम ने मुझे बताया कि आपकी रिपोर्ट बहुत स्पष्ट है, लेकिन उन पर बहुत राजनीतिक दबाव है कि पट्टा ख़ारिज न करें। वो राजनेता जो एडीएम पर दबाव बना रहे थे, वो अब सत्तारूढ़ दल के बड़े नेता हैं। खैर, किसी तरह ये निरस्तीकरण का वाद एडीएम साहब से कमिश्नर ऑफ़िस चला गया। फिर वापस नोएडा आ गया। फिर भी किसी एडीएम ने पट्टा निरस्त नहीं किए। इतना राजनीतिक दबाव था, क्योंकि वही नेता जी फिर सपा में आ गए थे।"
'कमिश्नर के यहां मुकदमा लंबित रहते एडीएम हापुड़ में पट्टे बाहर किए'
पूर्व एसडीएम तिवारी ने फेसबुक पोस्ट में आगे लिखा है, "कई भूमाफिया सक्रिय हुए और फ़ाइल एडीएम नोएडा से हापुड़ के एडीएम को स्थानांतरित करवा दी गई। उस वक्त हापुड़ के एडीएम हरीश चंद्र ने पट्टा बहाल कर दिए। शिकायत हुई और भूमाफ़िया यशपाल तोमर और कई स्थानीय नेता लग गए। एडीएम के आदेश का अनुपालन भी तुरंत हुआ। जबकि अपील कमिश्नर के न्यायालय में पेंडिंग थी। खेल असली अब शुरू हुआ। कई अफसरों और राजनेताओं ने भूमि ख़रीद ली।"
'राजनीतिक और आर्थिक दबाव में सारे गलत आदेश हुए'
एसबी तिवारी आगे लिखते हैं, "फिर नया खेल शुरू हुआ। पट्टे की विवादित भूमि जिसका अपील में विचरण चल रहा था, उसे संक्रमणीय घोषित कर दिया गया। शिकायतें हुईं और स्थगनादेश के बावजूद मुआवजा भी उठा लिया गया। नियम यह है कि जब वाद किसी न्यायालय में लम्बित है तो मुआवजा नहीं दिया जा सकता है और न ही पट्टाधारक को संक्रमणीय भूमिधर घोषित किया जा सकता है। राजनीतिक और आर्थिक दबाव में हर स्तर पर ग़लत आदेश हुए हैं।"
'मुआवजा वसूली होनी चाहिए, जिम्मेदार अफसर जेल जाएं'
उन्होंने लिखा है, "अब भूमि कुर्क हुई है। कोई बताए कि जब भूमि अधिग्रहीत हो गई है और मुआवजा मिल गया तो भूमि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की हो गई है। ऐसे में कुर्क किसकी भूमि कर रहे हैं।अभी कई प्रशासनिक जाँच हो रही हैं लेकिन तथ्य किसी के पास नहीं हैं। कोई जाँच करेगा कैसे? नेता जी जिनसे अधिकारी डरते थे, अब भाजपा में हैं। रुतबा क़ायम है। भूमाफ़िया में नाम तोमर का है लेकिन असली लोग स्थानीय नेता और आईएएस अफसर हैं। किसी को सहायता चाहिए हो तो मुझसे ले। मुआवजा की वसूली होनी चाहिए। सभी को जेल जाना चाहिए। ये घोटाला 100 करोड़ रुपये से अधिक का है।"