Greater Noida : उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) का गांव जनपद गौतमबुद्ध नगर में बादलपुर है। जब मायावती उत्तर प्रदेश की सीएम हुआ करती थीं तो यह गांव किसी जन्नत से कम नहीं था। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से लेकर गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और विकास विभाग के तमाम अफसर यहां डेरा डाल कर पड़े रहते थे। 24 घंटे बिजली और पानी था। सीवर लाइन, सीसी रोड, गांव तक काली चमकदार पक्की सड़कें, हर गली रोशनी से चकाचौंध रहती थी। आज वही गलियां कीचड़ और गंदगी से भरी पड़ी हैं। रास्तों और सड़कों का बुरा हाल है। गांव में बरसाती पानी भरा है। ग्रामीणों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर आरोप लगाया है कि गांव की तरफ कोई देखने वाला तक नहीं है। अफसरों ने गांव के लिए बड़े-बड़े दावे किए लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है।
"बादलपुर गांव की हालत नरक जैसी"
सामाजिक संगठन 'करप्शन फ्री इंडिया' के संस्थापक सदस्य आलोक नागर ने कहा, "पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के गांव बादलपुर की हालात नरक जैसी बनी हुई है। गांव के अंदर बनी ड्रेन और सीवर, दोनों सिस्टम बिल्कुल फेल हो चुके हैं। सड़कों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। ग्रामीणों में बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई है। लोगों को सड़क पर चलने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।" उन्होंने बताया कि गांव वाले गंदगी में रहने के लिए मजबूर हो चुके हैं। कई बार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को अवगत करवाया गया है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं हुई है।
"राजनीतिक चश्मे से गांव को देखते हैं अफसर"
बादलपुर गांव में दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले देव कुमार का कहना है, "पूर्व मुख्यमंत्री मायावती हमारी बहन हैं। वह जब यूपी की चीफ मिनिस्टर थीं तो ग्रेटर नोएडा से लेकर लखनऊ तक के अफसर हमारे गांव में खड़े नजर आते थे। अगर हमारे गांव का कोई बच्चा भी जाकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण या कलेक्ट्रेट में शिकायत कर आता था तो लाव-लश्कर गांव में पहुंच जाता था। आज हालात ऐसे हैं कि अगर हम यह बता दें कि बादलपुर गांव से आए हैं तो हमारी अर्जी को फाइल में दबाकर रख दिया जाता है। अफसर हमें ना पहले सामान्य ग्रामीण मानते थे और ना अब मानते हैं। अफसरों को सबकुछ राजनीतिक चश्मे से देखने की आदत है।" देव कुमार आगे कहते हैं, "यह गलत व्यवस्था है। बहन मायावती ने कभी अफसरों से नहीं कहा था कि बादलपुर के ग्रामीणों को वीआईपी मानें। आज भी मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी अफसर को नहीं कहा कि बादलपुर गांव की समस्याओं का समाधान नहीं करें। यह सबकुछ प्रशासनिक अधिकारी अपने आप तय कर लेते हैं।"
अब बादलपुर के गांव वाले प्राधिकरण पर करेंगे प्रदर्शन
'करप्शन फ्री इंडिया' के सदस्य आलोक नागर का कहना है कि अगर जल्द ही बादलपुर गांव में व्याप्त समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। शायद तभी प्राधिकरण और जिला प्रशासन के अधिकारियों की नींद टूट जाए। देव कुमार भी कुछ ऐसा ही कहते हैं। उन्होंने कहा, "हम सामान्य गांव वाले हैं। इस मुल्क में आम आदमी को कुछ भी आसानी से नहीं मिलता है। उसे संघर्ष करना पड़ता है। मायावती को सत्ता से गए करीब 11 वर्ष हो चुके हैं। इन वर्षों में हमारे गांव का आधारभूत ढांचा चरमरा चुका है। पिछले एक दशक में विकास प्राधिकरण ने मरम्मत के नाम पर भी फूटी कौड़ी हमारे गांव में खर्च नहीं की है। वह सवाल करते हैं, अब हमारे पास प्राधिकरण के खिलाफ मोर्चा खोलने के अलावा और क्या विकल्प है?
"अफसर तो दूर सफाई कर्मचारी आने को तैयार नहीं"
बादलपुर के एक अन्य ग्रामीण ने कहा, "हमारे गांव के अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं। गेस्ट हाउस खाली पड़ा हुआ है। बहन जी की सरकार जाने के बाद 2012 में समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार बनी थी, तभी बादलपुर से सारे सरकारी कर्मचारी हटा लिए गए थे। सड़कें टूट गई हैं। अब कोई अफसर गांव में आएगा, यह तो बहुत दूर की बात है। सफाई कर्मचारी ही आने के लिए तैयार नहीं हैं। नाले और नालियां गंदगी से भरे पड़े हैं। उनमें मच्छर पैदा हो रहे हैं। इस गांव में बीमारी फैल सकती है, यह चिंता भी किसी को नहीं है।"