Gautam Buddha Nagar : गौतमबुद्ध नगर में सैकड़ों बहुमंजिला इमारतें हैं। जिसमें लाखों लोग निवास करते हैं। लंबे समय से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहने वाले लोग मांग कर रहे हैं कि जिस सोसाइटी में वह निवासी करते हैं, उनकी जांच होनी चाहिए। उनकी सोसाइटी कितनी मजबूत हैं, यह पता लगाया जाए। अब लोगों की मांग पूरी होने जा रही है। जिले के तीनों विकास प्राधिकरणों के अफसरों की बैठक हुई। जिसमें फैसला लिया गया कि जिले में अब तक बनीं सभी हाउसिंग सोसाइटी का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाया जाएगा। इतना ही नहीं ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की हेडक्वार्टर बिल्डिंग को भी जांच के दायरे में रखा गया है।
तीनों प्राधिकरण के एसीईओ बैठक में शामिल हुए
हाईराइज बिल्डिंगों का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने के लिए तीनों प्राधिकरण के एसीईओ की एक समिति गठित की गई है। यह समिति ऑडिट का प्रस्ताव तैयार करेगी। इसके बाद इमारतों की पूरी जांच की जाएगी। जांच में नक्शा, मैटीरियल और स्टैंडर्ड सहित कई पहलुओं को देखा जाएगा। दरअसल, बिल्डरों की बसाई गई इन इमारतों में आए दिन कहीं छज्जा गिरता है तो कहीं प्लास्टर टूटकर गिर जाता है। ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें बरसात के दिनों में बेसमेंट की दीवार पानी का झरना बन गई। गुरुग्राम में इसी साल फरवरी में पॉश चिंतल सोसाइटी में एक फ्लैट की छत ढह गई थी। उस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। उस सोसाइटी को बने ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। गुरुग्राम की इस घटना के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा की बिल्डर सोसाइटी के ढांचे की जांच-परख करवाने की मांग और तेज हो गई है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण मुख्यालय की जांच होगी
पूरे उत्तर में यह अपनी तरह की पहली पॉलिसी तैयार हो रही है। इस ऑडिट में बिल्डरों के साथ-साथ प्राधिकरण और किसी अन्य समिति की बनी ऊंची इमारतों को शामिल किया जाएगा। इसमें निर्माण गुणवत्ता की खासतौर से जांच की जाएगी। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण दफ्तर की ऊंचाई काफी ज्यादा है। लिहाजा, इस इमारत को भी जांच के दायरे में रखा गया है।
तीनों प्राधिकरणों की करीब 250 सोसायटी
गौतमबुद्ध नगर में तीन विकास प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी हैं। तीनों प्राधिकरण के क्षेत्रों में करीब 250 हाउसिंग सोसायटी हैं। जिनमें 3,000 से ज्यादा हाईराइज टॉवर बनाए जा चुके हैं। इन सभी हाईराइज टॉवर का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाया जाएगा। इसके अलावा कमर्शियल और इंस्टीट्यूशनल कॉम्प्लेक्स की संख्या 200 के करीब है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले 3 महीने में विकास प्राधिकरण यह पॉलिसी ले आते हैं तो सारी इमारतों की जांच करने में कम से कम दो-तीन साल का वक्त लग सकता है। इसके लिए विकास प्राधिकरण को आईआईटी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट जैसे पेशेवर संस्थानों का सहयोग लेना पड़ेगा।
शहर के लोगों ने फैसले का स्वागत किया
तीनों विकास प्राधिकरण के इस फैसले का शहर के लोगों ने स्वागत किया है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाली समाज सेविका रश्मि पांडे ने कहा, "हम लोग लंबे अरसे से यह मांग कर रहे थे। अथॉरिटी शुरुआत में हमारी बात पर ध्यान नहीं दे रही थी। इस मांग को गंभीरता से नहीं ले रही थीं। अब कुछ महीने पहले गुरुग्राम में हाईराइज टॉवर के फ्लैट में बड़ा हादसा हुआ। जिसके बाद देशभर में यह मांग उठी। इस हादसे के बाद हमारे जिले के तीनों विकास प्राधिकरण गंभीर हुए। अंततः हाईराइज बिल्डिंगों का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने का फैसला लिया गया है।"
कई पेंच भी फंसे हुए हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में कई पेंच भी फंसे हुए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता अलबेल भाटी का कहना है, "उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण और इससे जुड़े अधिनियम में कुछ शर्ते हैं। मसलन, फ्लैट बायर को घर मिलने के बाद 5 वर्षों तक टूट-फूट या मानकों के लिए बिल्डर जिम्मेदार हो सकता है। यह समय सीमा बीत जाने के बाद बिल्डर की जवाबदेही नहीं रह जाती है। यह पॉलिसी आने में वक्त लगेगा। इसके बाद इतनी बड़ी संख्या में इमारतों की जांच करना कोई छोटा-मोटा काम नहीं है। ऊपर से बिल्डर कई-कई साल पहले फ्लैट बायर को पजेशन दे चुके हैं। लोग इन लाखों फ्लैट्स में वर्षों से रह रहे हैं। लिहाजा, यूपी रेरा अधिनियम की और से निर्धारित की गई समय सीमा निकल चुकी है। जिन इमारतों के मामले में अभी समय बाकी है, पॉलिसी आते-आते और जांच-पड़ताल होने तक उनकी समयावधि भी पूरी हो जाएगी। इसके बाद बिल्डरों की जवाबदेही तय करना आसान नहीं होगा।"