ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियर मोहित भाटी हत्याकांड में अदालत ने सुनाई उम्रकैद, पुलिस की जांच पर उठे सवाल

BIG BREAKING : ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियर मोहित भाटी हत्याकांड में अदालत ने सुनाई उम्रकैद, पुलिस की जांच पर उठे सवाल

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियर मोहित भाटी हत्याकांड में अदालत ने सुनाई उम्रकैद, पुलिस की जांच पर उठे सवाल

Tricity Today | मोहित भाटी का फाइल फोटो

Greater Noida : ग्रेटर नोएडा में लुहारली गांव के निवासी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियर मोहित भाटी हत्याकांड में सोमवार को जिला न्यायालय ने सजा सुनाई है। मुख्य अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सह अभियुक्त वारदात के वक्त नाबालिग था। उसके खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में ट्रायल चल रहा है। अभियोजन पक्ष के प्राइवेट एडवोकेट चमन प्रकाश शर्मा ने बताया कि इस पूरे मामले में पुलिस ने बेहद दबाव में जांच की। जिसकी वजह से बहुत सारे तथ्यों को छोड़ दिया गया था। अभियोजन के दौरान हम लोगों ने इन सारे बिंदुओं को अदालत के सामने रखा। जिसके आधार पर सोमवार को सजा सुनाई गई है।

क्या है पूरा मामला
लुहारली गांव के रहने वाले युवक मोहित भाटी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में इंजीनियर थे। उनके पिता महेश भाटी समाजवादी पार्टी के बड़े नेता हैं। चमन प्रकाश एडवोकेट ने बताया, "मोहित भाटी 27 नवंबर 2018 की शाम अपने कार्यालय से काम करने के बाद घर वापस लौट रहे थे। जब वह नया गांव और लुहारली गांव के बीच पहुंचे तो उन्हें गांव के ही रहने वाले पुनीत भाटी ने रोक लिया। पुनीत भाटी ने मोहित को तीन गोलियां मारी थीं। उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। इस प्रकरण में परिजनों की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।" एडवोकेट चमन प्रकाश शर्मा ने बताया कि पुलिस ने जांच शुरू की। चार-पांच महीने बाद एक चश्मदीद गवाह सामने आया। इसके बाद इस पूरे हत्याकांड का खुलासा हुआ।

चश्मदीद गवाह ने बयां की पूरी वारदात
एडवोकेट चमन प्रकाश शर्मा ने बताया कि मोहित भाटी हत्याकांड में चश्मदीद गवाह चंद्रहास ने पुलिस और फिर अदालत में गवाही दी। गवाह ने बताया कि घटना के दिन वह सड़क से गुजर रहा था। एक कार खड़ी हुई थी। जिसमें ड्राइवर सीट पर पुनीत भाटी और उसके बराबर वाली सीट पर इंजीनियर मोहित भाटी बैठा हुआ था। वह कार से आगे कुछ दूरी पर निकला तो गोली चलने की आवाज आई। उसने पीछे मुड़कर देखा तो दो और गोलियां पुनीत भाटी ने मोहित भाटी के ऊपर चलाई थीं। इसके बाद पुनीत मौके से फरार हो गया था। इस पूरी वारदात को चंद्रहास में देखा था। चमन प्रकाश शर्मा एडवोकेट ने बताया कि चश्मदीद गवाह चंद्रहास की गवाही अदालत में सबसे महत्वपूर्ण साबित हुई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि पुनीत को तीन गोलियां लगी हैं। अभियोजन की ओर से कुल 12 गवाह पेश। पुलिस ने चार्जशीट में कई त्रुटियां छोड़ दी। दरअसल, गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने एक नेता के दबाव में यह जांच की थी। नेता और पुनीत भाटी घनिष्ठ रिश्तेदार हैं।

नाबालिग आरोपी चर्जशीट से अलग हुआ
इस मामले में एक नाबालिग अभियुक्त भी था। जिसे जिला एवं सत्र न्यायालय ने अलग करते उसके मुकदमा विचारण के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड भेज दिया था। अभी बोर्ड में सुनवाई पूरी नहीं हुई है। दूसरी ओर गिरफ्तारी से लेकर अब तक मुख्य अभियुक्त पुनीत भाटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत नहीं दी है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने इस पूरे प्रकरण का ट्रायल 'डे बाय डे' करने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय एससी एसटी एक्ट ज्योत्सना सिंह की अदालत में हो रही थी। अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद अंतिम बहस सुनी। जिसमें अभियोजन की ओर से शासकीय अधिवक्ता रोहताश शर्मा और पीड़ित परिवार की ओर से एडवोकेट चमन प्रकाश शर्मा ने पक्ष रखा।

पुनीत भाटी दो मुकदमों में दोषी करार
चमन प्रकाश शर्मा ने बताया कि अदालत ने पुनीत भाटी को हत्या के मामले में दोषी करार दिया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पुनीत भाटी ने हत्या करने के लिए अवैध तमंचा इस्तेमाल किया था। उसी तमंचे से 3 गोलियां चलाई गई थीं। तमंचा पुलिस ने बरामद किया था। पुनीत के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 25/27 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में भी पुनीत को दोषी करार दिया गया है। इसमें उसे 3 वर्ष की सजा सुनाई गई है। दोनों सजाएं सामांतर रूप से चलेंगी। चमन प्रकाश एडवोकेट ने बताया कि इन दो सजा के अलावा 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

हमारे साथ अदालत ने न्याय किया : महेश भाटी
इंजीनियर मोहित भाटी के पिता महेश भाटी इस मामले में पिछले 4 वर्षों से लगातार पैरवी कर रहे थे। सोमवार को सजा का ऐलान होने के बाद महेश भाटी ने संतोष जाहिर किया है। उन्होंने 'ट्राईसिटी टुडे' से बातचीत करते हुए कहा, "हमें ईश्वर और अदालत ने न्याय दे दिया है। मेरे युवा और पढ़े-लिखे बेटे की हत्या करके निजी और राजनीतिक रंजिश निकाली गई थी। हत्यारोपियों को उनके रिश्तेदार नेता ने भरपूर समर्थन दिया। सत्ता का दुरुपयोग करके पुलिस पर भारी दबाव डाला गया। इसके बावजूद अदालत ने गहराई से विचार किया। सरकारी वकील रोहताश शर्मा और हमारे निजी वकील चमन प्रकाश शर्मा ने बेहद मजबूती से हमारे पक्ष को रखा। जिसकी बदौलत हमें न्याय मिला है। आज यह बात साबित हो गई है कि कानून और भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। हम अदालत के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं।

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