Greater Noida News : यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) के कमर्शियल विभाग में 10 कियोस्क के कंप्लीशन सर्टिफिकेट फर्जीवाड़े की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। यमुना प्राधिकरण की एसईओ श्रुति की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने पाया कि यह घोटाला करोड़ों रुपये के आवासीय प्लॉट हथियाने के लिए किया गया था।
जांच में हुआ खुलासा
जांच में खुलासा हुआ है कि इस फर्जीवाड़े में कमर्शियल विभाग के मैनेजर सिद्धार्थ चौधरी, सहायक प्रबंधक, सलाहकार, डीजीएम फाइनेंस अशोक कुमार, ओएसडी राजेश कुमार समेत कई अधिकारी शामिल हैं। इन लोगों ने अवैध रूप से कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी किए, जबकि यह अधिकार सिर्फ अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी और मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पास है।
आरक्षण के कोटे का लाभ लिया
जांच में यह भी पता चला है कि मई और अगस्त के बीच इन प्लॉटों की लीज दी गई और महज तीन महीने में ही निर्माण कार्य पूरा दिखा दिया गया। आश्चर्यजनक रूप से, अगस्त में ही इन 10 कियोस्क का कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। यह प्रमाण पत्र यमुना प्राधिकरण में निकाली गई आवासीय योजना में फॉर्म भरने के लिए जल्दबाजी में जारी किए गए, ताकि आरक्षण के कोटे का लाभ लिया जा सके।
आवंटियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, यमुना प्राधिकरण के और भी अधिकारियों के इस घोटाले में शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। जांच समिति इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा, शासन को फाइल भेजकर संबंधित अधिकारियों के निलंबन की कार्रवाई की सिफारिश की जा रही है। यह मामला यमुना प्राधिकरण में तेजी से गर्मा रहा है। अधिकारियों के अलावा, कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कराने वाले आवंटियों के खिलाफ भी मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। प्राधिकरण इन आवंटियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें उनका आवंटन रद्द करना भी शामिल हो सकता है।