यमुना प्राधिकरण को गुमराह करके हड़पे करोड़ों रुपए, लेखपाल ने करवाई एफआईआर

बड़ी खबर : यमुना प्राधिकरण को गुमराह करके हड़पे करोड़ों रुपए, लेखपाल ने करवाई एफआईआर

यमुना प्राधिकरण को गुमराह करके हड़पे करोड़ों रुपए, लेखपाल ने करवाई एफआईआर

Tricity Today | यमुना अथॉरिटी | File Photo

Yamuna City : यमुना अथॉरिटी में फर्जी तरीके से करोड़ों रुपए का मुआवजा लेने के मामले में प्राधिकरण के लेखपाल तनवीर अहमद की ओर से रबूपुरा कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं, इस मामले में यमुना अथॉरिटी के लैंड विभाग के अफसरों की संलिप्ता भी हो सकती है। बगैर जमीन की जांच पड़ताल किए करोड़ों रुपए का मुआवजा आखिरकार कैसे बांट दिया। पुलिस पूरे मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है। 

इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
यमुना अथॉरिटी में तैनाम लेखपाल तनवीर अहमद की ओर रबूपुरा के मौहल्ला वैशाली निवासी देशराज, मौहम्मदाबाद खेडा निवासी सुनील कुमार और वैशाली नगर कस्बा रबूपुरा निवासी काशीराम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। रबूपुरा कोतवाली पुलिस ने धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

मामला कोर्ट में विचाराधीन
यमुना अथॉरिटी में तैनात लेखपाल तनवीर अहमद ने दर्ज कराई गई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि रबूपुर के खसरा संख्या 411 और 413 में सहखातेदार सुनील कुमार पुत्र वीरेंद्र सिंह निवासी मौहम्मदाबाद खेड़ा की ओर से इस जमीन का बैनामा अथॉरिटी के पक्ष में करने, हरेंद्र पुत्र चंद्रदत्त निवासी रबूपुरा के खसरा संख्या 411 और 413 का मुआवजा नहीं दिए जाने की आपत्ति दर्ज कराई गई। मजहीन क्रय-विक्रय करने के लिए काशीराम और हरेंद्र के मध्य इकरारानामा हुआ। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। 

कैसे लगाया करोड़ों रुपए का चुना
न्याययलय में मुकदाम विचाराधीन होने के बावजूद भी काशीराम ॉयर देशराज पुत्र भदई निवासी मौहल्ला वैशाली नगर कस्बा रबूपुरा की ओर से सुनील कुमार पुत्र विरेंद्र सिंह निवासी मौहम्मदाबाद खेडा के पक्ष में बैनामा 3 जून सन 2019 को कर दिया। इसकी जानकारी होते हुए भी जालसाजी करके 13 जनवरी 2022 को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पक्ष में जमीन का बैनामा कर दिया। जिससे अथॉरिटी को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस मामले की जांच पडताल में लगी हुई है। इस मामले में यमुना अथॉरिटी के लैंड विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आ सकती है। यमुना अथॉरिटी के अधिकारियों ने बगैर जमीन की जांच पड़ताल के जमीन का करोडों रुपए का मुआवजा बांट डाला।

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