72 साल की उम्र में निधन और 49 साल शासन, इन जातियों से रखते थे संबंध, पढ़िए खास खबर

आखिर कौन थे मिहिर भोज? 72 साल की उम्र में निधन और 49 साल शासन, इन जातियों से रखते थे संबंध, पढ़िए खास खबर

72 साल की उम्र में निधन और 49 साल शासन, इन जातियों से रखते थे संबंध, पढ़िए खास खबर

Tricity Today | सम्राट मिहिर भोज

Greater Noida : दादरी (Dadri) में सम्राट मिहिर भोज (Mihir Bhoj) की प्रतिमा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस विवाद की शुरुआत करीब 15 दिन पहले हो गई थी। जब क्षत्रिय समाज के लोगों ने सम्राट मिहिर भोज को राजपूत और गुर्जर समाज के लोगों ने सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर बताते हुए मतभेद पैदा किए। 22 सितंबर को योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद विवाद ने दूसरा रूप ले लिया। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और गुर्जर नेताओं के बीच में विवाद खड़ा हो गया है।

जातिवाद में कूदे राजनीति दल
दरअसल, सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर विवाद पैदा हुआ। यहां तक कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव ने मिहिर भोज को गुर्जर समाज को बताया है। इनकी जाति को लेकर विवाद इतना पैदा हो गया कि हर एक राजनीति दल इस विवाद में कूद रहा है।

49 साल तक शासन किया
जानकारों का कहना है कि सूर्यवंशी, चंद्रवंशी, अग्निवंशी, ऋषिवंशी, नागवंशी भौमवंशी समेत अन्य वंशों में छत्रिय वंश बंटा हुआ है। देश में गुर्जर, जाट, पटेल और मराठा सभी छत्रिय वंश से संबंध रखते हैं। मिहिर भोज कन्नौज के सम्राट थे। उन्होंने 836 ईस्वीं से लेकर 885 ईस्वीं तक शासन किया था। मिहिर भोज ने 49 साल शासन किया था। मिहिर भोज की पत्नी चंद्रभट्टारिका देवा थी।

मुस्लिम थे बड़े दुश्मन
बताया जाता है कि काबुल के राजा, कश्मीर के राजा, नेपाल के राजा और असम के राजा मिहिर भोज के खास मित्र थे लेकिन अरब के खलीफा मौतसिम वासिक, मुन्तशिर और मौतमिदादी मिहिर भोज के सबसे बड़े दुश्मन हुआ करते थे। अरबों ने कई हमले कर सम्राट को खत्म करने के कई प्रयास किए लेकिन वो मिहिर भोज के सामने विफल रहे।

72 साल में हुआ निधन
सम्राट मिहिर भोज ने बंगाल के राजा देवपाल के बेटे को हराकर उत्तरी बंगाल को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया था। उन्होंने दक्षिण के राष्ट्रकुट के राजा को भी जंग में हरा दिया था। कहा जाता है कि कन्नौज पर अधिकार के लिए बंगाल, उत्तर भारत, दक्षिण भारत के बीच करीब 100 सालों तक लड़ाई रही जिसे इतिहास में त्रिकोणात्मक संघर्ष के नाम से जाना जाता है। वहीं, सम्राट मिहिर भोज ने अपने जीवन के अंतिम सालों में बेटे महेंद्रपाल को सिंहासन सौंपकर सन्यास ले लिया था मिहिर भोज का 72 साल की उम्र में निधन हो गया था।

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