गौतमबुद्ध नगर की दादरी सीट से विधायक मास्टर तेजपाल सिंह नागर के बेटे दीपक नागर ने ट्राईसिटी टुडे के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करवाई है। जिसमें उनका आरोप है कि ट्राईसिटी टुडे के संवाददाता ने उनसे पैसा मांगा और नहीं देने पर उन्हें बदनाम करने के लिए एक समाचार प्रकाशित किया गया है। इस मामले में दादरी कोतवाली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। जांच शुरू हो गई है। यह मामला एक जनप्रतिनिधि और समाचार माध्यम से जुड़ा है। दोनों तरफ आम आदमी का भरोसा मायने रखता है। इस बात का ट्राईसिटी टुडे ने पूर्व में प्रकाशित समाचार के वक्त भी ख्याल रखा था। इस वक्त भी हम उनकी पॉजिशन को ध्यान में रखते हुए यहां कुछ बातें स्पष्ट कर रहे हैं।
पूरा प्रकरण कुछ इस तरह है, जिसका हमारे पाठकों के लिए जानना नितांत आवश्यक है। किसी अज्ञात व्यक्ति ने 16 जुलाई 2020 को गौतमबुद्ध नगर के डिप्टी पुलिस कमिश्नर राजेश कुमार सिंह को एक पत्र भेजा। जिसमें दादरी के विधायक तेजपाल सिंह नागर के बेटे दीपक नागर पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। डीसीपी की ओर से मामला जांच के लिए दादरी के एसीपी को भेज दिया गया। मामले की जांच शुरू हुई। दीपक नागर के खिलाफ डिप्टी कमिश्नर को भेजा गया पत्र और जांच का आदेश ट्राईसिटी टुडे की 6 अगस्त 2020 को प्रकाशित खबर, "दादरी विधायक के बेटे पर गंभीर आरोप, पुलिस ने जांच शुरू की, विधायक ने कहा- बदनाम करने की साजिश" के आधार थे। कमिश्नर को मिली शिकायत आज हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं।
ट्राईसिटी टुडे ने पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन करने के लिए दादरी के विधायक तेजपाल नागर का पूरा पक्ष जानने और उनकी बात को अच्छे से रखने के लिए बात की। ट्राईसिटी टुडे की ओर से उन्हें 5 अगस्त को 09:30 बजे कॉल की गई। उनसे बात हुई और उन्होंने अपनी बात रखी। उन्हें इस बात का गिला-शिकवा भी था कि ट्राईसिटी टुडे को उनके खिलाफ कोई भी कमी मिलती है तो तुरंत खबर चलाई जाती है। उनसे संवाददाता ने कहा कि आप जो अच्छे काम करते हैं, उनकी खबरें भी रन की जाती हैं। लगभग एक मिनट की बातचीत में विधायक ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। इसकी जांच पूरी हो जाने दो। अभी मुझे यही कहना है। इस बातचीत का फोनो भी हम यहां सहज उध्दरण के लिए पाठकों को उपलब्ध करवा रहे हैं।
विधायक के बेटे दीपक नागर के खिलाफ पुलिस कमिश्नर को मिली शिकायत के आधार पर ट्राईसिटी टुडे की ओर से प्रकाशित समाचार में विधायक तेजपाल नागर का पक्ष हेडिंग, इंट्रो से लेकर बॉडी तक में पूरी तरह समाहित किया गया है। इतना ही नहीं ट्राईसिटी टुडे ने प्रकरण एक जनप्रतिनिधि से जुड़ा होने की वजह से अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए उनकी छवि का पूरा ख्याल रखा। लिहाजा, समाचार में बाकायदा लिखा गया कि यह मामला राजनीतिक साजिश हो सकता है। उनके विरोधी ऐसा कर सकते हैं। लिहाजा, प्रकरण की जांच में यह तथ्य भी संज्ञानित किया जाना चाहिए। 6 अगस्त 2020 को प्रकाशित समाचार को भी यहां आप पढ़ सकते हैं।
अब दीपक नागर ने एफआईआर में कहा है कि उन्हें फोन किया गया। उनसे पैसा मांगा गया। उन्हें कहा गया कि वह बहुत माल काट रहे हैं और वेबपोर्टल संचालित करने के लिए पैसे की जरूरत होती है। पांच लाख रुपये दीजिए, नहीं तो समाचार प्रकाशित करेंगे। जब उन्होंने पैसा देने से इंकार किया तो खबर लिख दी गई। यहां ट्राईसिटी टुडे के कुछ सवाल हैं। क्या एक समय पर एक ही मोबाइल नंबर से विधायक और उनके बेटे से अलग-अलग बात हो सकती है? दीपक नागर से आज तक ट्राईसिटी टुडे के संबंधित रिपोर्टर ने बात नहीं की। ऐसे में उनसे इस तरह की मांग कैसे की जा सकती है?
यहां कुछ तथ्य उल्लेखनीय हैं। समाचार प्रकाशित होने के दो दिन बाद खुद दीपक नागर ने ट्राईसिटी टुडे संवाददाता को फोन किया और मामले में मुकदमा करने की बात कही। इसके बाद भी कई समाचारों को लेकर ट्राईसिटी टुडे की ओर से विधायक तेजपाल सिंह नागर से बात की गई है। निरंतर संवाद में बने रहे। सवाल उठता है कि अगर ट्राईसिटी टुडे ने उनके बेटे से अवैध मांग की तो फिर उन्होंने ऐसी कोई शिकायत पुलिस या प्रशासन से क्यों नहीं की?
हम विधायक जी और उनके बेटे से पूछना चाहते हैं कि क्या राजनीतिक महत्ता के पद पर आसीन व्यक्ति को पारदर्शी नहीं होना चाहिए? क्या इस मामले की जांच पूरी होने के बाद खुद आगे आकर जनता को जानकारी नहीं दी जानी चाहिए थी? हम पूरी तरह आश्वस्त हैं कि हमने कोई गलत काम नहीं किया है। हमने अपना पेशेवर दायित्व निभाया है। जिसके जांच का आदेश देने वाले पुलिस अधिकारी से बात की गई। जांच करने वाले अफसर से बात की गई। मामला विधायक से जुड़ा था, उनसे भी बात की। जिस फोन कॉल के जरिए विधायक से पक्ष रखने के लिए बातचीत हुई, उसे गलत ढंग से पेश करके यह मामला दर्ज करवाया गया है। हम पूरी तरह अपनी बात पर कायम हैं। पुलिस जांच में पूर्ण सहयोग करेंगे।