दादरी-मुंबई कॉरिडोर का रेवाड़ी-मदार खंड शुरू, लाखों लोगों को मिलेगा रोजगार, मुंबई से सीधे जुड़ेगा ग्रेटर नोएडा

खुशखबरी : दादरी-मुंबई कॉरिडोर का रेवाड़ी-मदार खंड शुरू, लाखों लोगों को मिलेगा रोजगार, मुंबई से सीधे जुड़ेगा ग्रेटर नोएडा

दादरी-मुंबई कॉरिडोर का रेवाड़ी-मदार खंड शुरू, लाखों लोगों को मिलेगा रोजगार, मुंबई से सीधे जुड़ेगा ग्रेटर नोएडा

Tricity Today | दादरी-मुंबई कॉरिडोर का रेवाड़ी-मदार खंड शुरू

नित नए कीर्तिमान रचती भारतीय रेल के लिए गुरुवार का दिन भी खास रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी मालवहन गलियारे (डीएफसी) के 306 किलोमीटर लम्बे रेवाड़ी-मदार खंड का गुरुवार को वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए उद्घाटन किया। गौतमबुद्ध नगर के लिए भी यह परियोजना खास है। उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह के बीच 15०4 किलोमीटर लंबे पश्चिमी डीएफसी की शुरुआत गौतमबुद्ध नगर के दादरी से है। इस कॉरिडोर से जुड़ा दादरी में देश का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक हब भी बनने जा रहा है। इसके लिए हजारों करोड़ रुपये के निवेश की तैयारी शुरु हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ट्रैक पर विश्व की प्रथम विद्युतीकृत डेढ़ किलोमीटर लंबी लॉन्ग हॉल मालगाड़ी को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। 

इस मौके पर रेल मंत्री पीयूष गोयल, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर मौजूद रहे। इस कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा राजस्थान से भी जुड़ा है। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी ने प्रधानमंत्री का साथ दिया। मोदी ने न्यू अटेली और न्यू किशनगढ़ स्टेशन से दुनिया की पहली विद्युतीकृत डेढ़ किलोमीटर लंबी दो लॉन्ग हॉल मालगाड़यिों को हरी झंडी दिखा कर विपरीत दिशा में रवाना किया। उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने इस कॉरिडोर की महत्ता गिनाई। उन्होंने कहा कि ये मालवहन गलियारे देश के विकास में नया अध्याय लिखेंगे। इससे देश में नये विकास क्लस्टर विकसित होंगे। 

इनसे अर्थव्यवस्था के अन्य इंजनों को भी ऊर्जा मिलेगी। असंख्य लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उद्योगों को इन कॉरिडोर से नई गति मिलेगी। यह कॉरिडोर किसानों और कस्बों में काम करने वालों के लिए वरदान साबित होगा। इस कॉरिडोर के बनने के बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के बंदरगाहों से सीधे जुड़ जाएगा। प्रदेश के लोगों को राजस्थान और हरियाणा में उत्पाद पहुंचाने में सुविधा होगी। साथ ही उत्तर प्रदेश में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। कंटेनर हब, पार्सल हब, फ्रेट स्टेशन, लॉजिस्टिक सेंटर और कंटेनर डिपो में रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम देश के आधारभूत ढांचे को वैश्विक स्तर का बना रहे हैं। डीएफसी उसी दिशा में एक कदम है। 

उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह के बीच 15०4 किलोमीटर लंबे पश्चिमी डीएफसी का न्यू रेवाड़ी- मदार खण्ड हरियाणा और राजस्थान में आता है। इस खंड में न्यू रेवाड़ी, न्यू अटेली और न्यू फूलेरा जैसे तीन जंक्शन सहित नौ स्टेशन हैं। अन्य स्टेशन - न्यू डाबला, न्यू भगेगा, न्यू श्री माधोपुर, न्यू पछार मालिकपुर, न्यू सकूल और न्यू किशनगढ़ हैं। पश्चिमी डीएफसी पर मालगाड़यिों का परिचालन शुरू होने से हरियाणा के रेवाडी, मानेसर, नारनौल, फुलेरा और राजस्थान के किशनगढ़ की औद्योगिक इकाइयों को बहुत लाभ मिलेगा। राजस्थान के काठूवास में स्थित कॉनकोर के कन्टेनर डिपो के लिए भी बेहतर मौके मिलेंगे। इस कॉरिडोर के विकसित होने के बाद गुजरात के कान्डला, पिपावाव, मुंद्रा और दाहेज बंदरगाहों से सामान की ढुलाई भी सुविधाजनक हो जाएगी।
           
जापान सरकार के आर्थिक सहयोग से बनाये जा रहे पश्चिमी डीएफसी में ओवरहेड विद्युत तारों की ऊंचाई अधिक रखी गयी है। इससे दो मंजिले कंटेनरों की ढुलाई भी संभव हो गई है। इस ट्रैक पर डबल स्टेक कंटेनरों वाली लॉन्ग हॉल मालगाड़ियां भी 1०० किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ेंगीं। गलियारे का डिजाइन भारतीय रेल की अनुसंधान इकाई ने तैयार किया है। बीएलसीएस-ए और बीएलसीएस वैगनों में कंटेनर की वर्तमान क्षमता की तुलना में चार गुना अधिक इकाइयों को ढोया जा सकता है। इस मालवहन गलियारे से उत्तर भारत में मल्डी-मॉडल लॉजिस्टक हब तथा दिल्ली -मुंबई औद्योगिक गलियारा जुड़ेंगे। 

इस साल के आखिर तक रेवाड़ी से दादरी के बीच लाइन चालू हो जाएगी। इसके बाद कानपुर से गुजरात के बंदरगाह के बीच मालवहन सीधे हो सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने गत 29 दिसम्बर को ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 351 किलोमीटर लंबे न्यू खुर्जा-न्यू भाउपुर खंड का उद्घाटन किया था। पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) लुधियाना (पंजाब) के निकट साहनेवाल से शुरू होगा। यह पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों से होते हुए पश्चिम बंगाल के दानकुनी में समाप्त होगा। पूर्वी डीएफसी के खुर्जा-भाऊपुर प्रखंड शुरू होने से कोयला, जूट, पेट्रोलियम, कंटेनर, लोहा, इस्पात और दूसरे खनिजों की ढुलाई आसान हो जाएगी।

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