परीचौक से एलजी गोलचक्कर तक 2 जगह खड़ी मौत, बताइए कौन है जिम्मेदार

Ground Reporting : परीचौक से एलजी गोलचक्कर तक 2 जगह खड़ी मौत, बताइए कौन है जिम्मेदार

परीचौक से एलजी गोलचक्कर तक 2 जगह खड़ी मौत, बताइए कौन है जिम्मेदार

Tricity Today | Pari Chowk

Greater Noida News : अगर आप ग्रेटर नोएडा के निवासी हो या फिर ग्रेटर नोएडा में सफर करते हो तो आपके लिए यह बहुत ही जरूरी खबर है। परी चौक से लेकर एलजी गोल चक्कर तक दो ऐसे स्थान है, जहां पर मौत खड़ी है और इंतजार कर रही है। यह बात हम खुद नहीं कह रहे हैं, बल्कि शहर की हालत बता रही हैं। ग्रेटर नोएडा के सेंट्रल परी चौक से लेकर एलजी गोल चक्कर तक दो ऐसे स्थान है। जहां पर हर एक मिनट में हादसा होने की संभावना लगी रहती है, लेकिन उससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इस विषय पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

नाला बनेगा मौत का कारण
पहली जगह एलजी गोल चक्कर से ठीक 300 मीटर पहले नाला है। परी चौक से एलजी गोल चक्कर की तरफ जाते समय नाले के ऊपर साइड में लगी ग्रिल टूटी हुई है। यह ग्रिल इतनी क्षतिग्रस्त है कि कोई बाइक ही नहीं बल्कि गाड़ी और ट्रक भी हादसे का शिकार हो सकते हैं। हमारी टीम ने ग्रेटर नोएडा का दौरा किया और यह लापरवाही सामने आई। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण शहर को विकसित करने में लगा हुआ है, लेकिन हादसों वाले स्थान पर  किसी का ध्यान नहीं है।

ग्रेटर नोएडा में मौत का चौक
दूसरा स्थान परी चौक से जगत फार्म की तरफ जाते समय विश्व भारती चौराहा है। यह चौक ग्रेटर नोएडा का सबसे खतरनाक चौक माना जाता है। जहां पर अभी तक कई दर्जन मौतें हो चुकी हैं। यहां हर वक्त भीषण हादसा होने की संभावना बनी रहती है, लेकिन उसके बावजूद भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण यहां पर गोल चक्कर बनाना उचित नहीं समझ रहा। शहर के इस चौक को लोग मौत का चौक भी कहने लगे हैं।

70 प्रतिशत हादसा होने की सम्भावना
शाम और सुबह के समय विश्व भारती चौक पर वाहनों का अधिक दबाव रहता है। शाम के समय वाहन आपस में टकरा जाते हैं। गंभीर हादसे होने की प्रायिकता 70 प्रतिशत तक है। उसके बावजूद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का इस पर ध्यान नहीं है। शहर के कई सामाजिक लोगों ने यहां पर काफी बार गोलचक्कर बनाने की अपील भी की। प्राधिकरण के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। शहर के मुद्दों से जुड़ी तमाम बैठकों और आयोजनों में एक्टिव सिटीजन, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और आरडब्ल्यूए फेडरेशन यह मांग प्राधिकरण अफसरों के सामने उठाते रहे हैं। प्राधिकरण अधिकारियों ने कई बार यहां चक्कर बनाने का आश्वासन भी दिया है। करीब एक दशक से लगातार यह मांग चल रही है। जिस पर अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

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