दिल्ली हाईकोर्ट से डिफॉल्ट जमानत याचिका खारिज, न्यायाधीश ने सुनाया यह फैसला

सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को फिर झटका : दिल्ली हाईकोर्ट से डिफॉल्ट जमानत याचिका खारिज, न्यायाधीश ने सुनाया यह फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट से डिफॉल्ट जमानत याचिका खारिज, न्यायाधीश ने सुनाया यह फैसला

Tricity Today | सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा

Greater Noida News : एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को झटका लगा है। कोर्ट ने आरके अरोड़ा की डिफॉल्ट (वैधानिक) जमानत याचिका को खारिज कर दिया। आरके अरोड़ा इस समय जेल में बंद है। उसने ईडी द्वारा समय से आरोप-पत्र दाखिल नहीं करने के आधार पर जमानत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी  जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ने सुनवाई में क्या कहा?
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ में हुई है। मनोज कुमार ओहरी ने सुनवाई के दौरान कहा, "ईडी का स्पष्ट रुख है कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच पूरी हो गई है, लेकिन फोरेंसिक जांच रिपोर्ट अभी लंबित है। ऐसे में देरी के लिए एफएसएल जिम्मेदार है। इसको तैयार करना जांच एजेंसी के नियंत्रण में नहीं है। लिहाजा, आरोपी को वैधानिक जमानत नहीं दी जा सकती।"

क्या है डिफॉल्ट जमानत
एक रिपोर्ट के मुताबिक जब पुलिस किसी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद उसे गिरफ्तार करती है तो उसके बाद पुलिस की यह जिम्मेदारी होती है कि वो कानून के अनुसार बताए गए समय सीमा के अंदर चार्जशीट फाईल करें, लेकिन अगर वो ऐसा करने में विफल होते हैं तो क्या होता है और गिरफ्तार व्यक्ति क्या कर सकता है इसके बारे में CrPC में प्रावधान किया गया है। दण्ड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC) की धारा 167(2) के अंतर्गत दी जाने वाली जमानत को 'बाध्यकारी जमानत' या 'वैधानिक जमानत' या 'डिफॉल्ट जमानत जमानत' कहा जाता है। इसके तहत अपराध की प्रकृति के अनुसार यदि पुलिस यथास्थिति 90 दिन या 60 दिन की निर्धारित समय सीमा के भीतर न्यायालय के समक्ष आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल करने में असफल रहती है तो आरोपी द्वारा जमानत साधिकार मांगी जा सकती है।

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