- सम्राट मिहिर भोज के वंशज है राजकुमार कुंवर अरुणोदय
- राजकुमार कुंवर ने पीएम मोदी को लिखी चिठ्ठी
- पीएम मोदी से अपील- हमारे पूर्वजों के इतिहास के साथ छेड़छाड़ ना की जाए
- राजकुमार कुंवर ने मिहिर भोज को बताया राजपूत, सरकार को भेजे दस्तावेज
Greater Noida News : सम्राट मिहिर भोज (MIhir Bhoj) को लेकर एक तरफ तेजी के साथ विवाद बढ़ता जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर मिहिर भोज के वंशज ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि राजपूत (Rajput) इतिहास के साथ कुछ लोगों द्वारा छेड़छाड़ की जा रही है। इससे उनके परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे राजपूत समाज को काफी दुख हो रहा है।"
"राजपूत इतिहास के साथ छेड़छाड़"
सम्राट मिहिर भोज के वंशज राजकुमार कुंवर अरुणोदय ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। राजकुमार ने चिट्ठी लिखते हुए कहा, "हमारे पूर्वजों के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। हमारे पूर्वज सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर पूरे देश में खासतौर पर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा विवाद देखने को मिल रहा है। यह हमारे परिवार के लिए बहुत ही दुख और अफसोस की बात है।"
हमारे परिवार और राजपूत समाज को पहुंची ठेस
राजकुमार ने चिट्ठी में आगे कहा, "सम्राट मिहिर भोज सिर्फ हमारे ही नहीं बल्कि पूरे देश के हैं। इस बात पर उनको गर्व महसूस हो रहा है कि आज हमारे पूर्वजों को याद किया जा रहा है। लोग उनकी प्रतिमा बनवा रहे है लेकिन इस बात का भी काफी दुख है कि लोग सम्राट मिहिर भोज की जाति और पहचान बदल गए हैं। इससे हमारे परिवार और पूरे समाज को काफी ठेस पहुंची है।"
"इसलिए लोग उनको गुर्जर कहते थे"
राजकुमार ने पीएम मोदी से कहा, "सम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय राजपूत हैं। सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर और गुर्जश्वर का तगमा दिया गया था और उन्होंने गुजरात पर राज किया। इसलिए उनको पूरी दुनिया Ruler of the Gujarat के नाम से पुकारती थी। देश में बड़े-बड़े राजा और महारथी उनको गुजरात के शासक होने के कारण इस नाम से बुलाते थे। कुछ बड़े महाराज उनको गुर्जर भी कहते थे क्योकि उन्होंने गुजरात पर शासन किया था। इसका मतलब यह नहीं है कि वह इस जाति के हो जाएंगे।"
"राजपूतों का इतिहास पन्नों पर लिखा हुआ"
उन्होंने आगे कहा, "सम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय राजपूत है। इसको स्पष्ट करने की कोई आवश्यकता मुझे नहीं लगती क्योंकि उनका इतिहास पन्नों पर लिखा हुआ है लेकिन सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर जो विवाद बढ़ता जा रहा है। इसके कारण ही उन्होंने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है।"
सरकार को भेजे अहम दस्तावेज
सम्राट मिहिर भोज के वंशज राजकुमार कुंवर अरुणोदय ने सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर जो विवाद हो रहा है। उस पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, "सम्राट मिहिर भोज की जाति बदलना हम सबके लिए एक हैरान की बात है। यह देखकर आज हमारा पूरा परिवार टूट गया है। इस विवाद को खत्म करने के लिए मैंने सरकार को कुछ जमी दस्तावेज और कुछ वीडियोग्राफी भेजी है।"
49 साल तक शासन किया
जानकारों का कहना है कि सूर्यवंशी, चंद्रवंशी, अग्निवंशी, ऋषिवंशी, नागवंशी भौमवंशी समेत अन्य वंशों में छत्रिय वंश बंटा हुआ है। देश में गुर्जर, जाट, पटेल और मराठा सभी छत्रिय वंश से संबंध रखते हैं। मिहिर भोज कन्नौज के सम्राट थे। उन्होंने 836 ईस्वीं से लेकर 885 ईस्वीं तक शासन किया था। मिहिर भोज ने 49 साल शासन किया था। मिहिर भोज की पत्नी चंद्रभट्टारिका देवा थी।
मुस्लिम थे बड़े दुश्मन
बताया जाता है कि काबुल के राजा, कश्मीर के राजा, नेपाल के राजा और असम के राजा मिहिर भोज के खास मित्र थे लेकिन अरब के खलीफा मौतसिम वासिक, मुन्तशिर और मौतमिदादी मिहिर भोज के सबसे बड़े दुश्मन हुआ करते थे। अरबों ने कई हमले कर सम्राट को खत्म करने के कई प्रयास किए लेकिन वो मिहिर भोज के सामने विफल रहे।
72 साल में हुआ निधन
सम्राट मिहिर भोज ने बंगाल के राजा देवपाल के बेटे को हराकर उत्तरी बंगाल को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया था। उन्होंने दक्षिण के राष्ट्रकुट के राजा को भी जंग में हरा दिया था। कहा जाता है कि कन्नौज पर अधिकार के लिए बंगाल, उत्तर भारत, दक्षिण भारत के बीच करीब 100 सालों तक लड़ाई रही जिसे इतिहास में त्रिकोणात्मक संघर्ष के नाम से जाना जाता है। वहीं, सम्राट मिहिर भोज ने अपने जीवन के अंतिम सालों में बेटे महेंद्रपाल को सिंहासन सौंपकर सन्यास ले लिया था मिहिर भोज का 72 साल की उम्र में निधन हो गया था।
क्या है पूरा मामला
गौतमबुद्ध नगर के दादरी में स्थित मिहिर भोज डिग्री कॉलेज में गुर्जर विद्या सभा ने करीब एक साल पहले सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाने की योजना पर काम शुरू किया था। दादरी समेत आसपास के क्षेत्र से सहयोग राशि लेकर अष्टधातु की 15 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण करवाया गया। यह प्रतिमा विख्यात शिल्पकार राम सुतार ने बनाई है। इस प्रतिमा का अनावरण करने के लिए गुर्जर विद्या सभा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम मिलने के बाद यह बात फैल गई कि सम्राट मिहिर भोज के नाम के साथ गुर्जर शब्द जोड़ा जा रहा है। इसका ठाकुर बिरादरी ने विरोध किया। हंगामा बढ़ता देखकर मामले को शांत करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने बीच का रास्ता निकाला। तय किया गया कि प्रतिमा के साथ राजपूत या गुर्जर शब्द नहीं जोड़ा जाएगा लेकिन फिर भी आज प्रतिमा पर गुर्जर शब्द लिखा हुआ है।