ग्रेटर नोएडा के लीजबैक घोटाले (Greater Noida Lease Back Scam) में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (Special Investigation Team) की जांच रिपोर्ट के विरोध में किसान खड़े हो गए हैं। लीजबैक कराने वाले बाहरी लोगों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। एसआईटी को बाहरी लोगों की सूची मिल गई है। अब यह सूची शासन को भेजी जाएगी। इसके बाद इन लोगों पर कार्रवाई हो सकती है। दरअसल, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) ने एसआईटी को लीजबैक कराने वाले बाहरी लोगों की सूची नहीं दी थी। इसके चलते यह सूची जिला प्रशासन से लेकर अब शासन को भेजने की तैयारी है।
करीब तीन साल पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन प्रभात कुमार ने बिसरख गांव में हुई लीजबैक के मामलों की जांच करने था। यह जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। शासन ने लीजबैक के सभी मामलों की जांच के लिए यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ.अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर दी। हाल ही में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी है। इस जांच रिपोर्ट में बाहरी लोगों का डाटा नहीं भेजा गया है। रिपोर्ट में बताया गया है यह डाटा जिला प्रशासन से लेने के बाद भेजा जाएगा।
सदर तहसील की भी सूची जल्द मिलेगी : इसी बीच यह जांच रिपोर्ट किसानों को मिल गई। किसानों ने इसके खिलाफ 20 दिसंबर को महापंचायत करने का फैसला लिया है। इसमें आगे की रणनीति पर फैसला होगा। जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन की ओर से एसआईटी को लीजबैक कराने वाले बाहरी लोगों की सूची भेज दी है। यह सूची केवल दादरी तहसील की है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही सदर तहसील की भी सूची भेजी जाएगी।
योजना बनाकर लीजबैक कराने की आशंका : प्राधिकरण में तैनात एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दादरी तहसील की सूची को देखने से लगता है कि लीजबैक कराने वालों में 30 से 40 प्रतिशत लोग बाहरी हैं। वे मूल किसान नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि बिसरख और बादलपुर गांव में लीजबैक कराने वालों के लगभग एक ही नाम हैं। यानी योजना बनाकर जमीन खरीदी गई और फिर लीजबैक करा ली गई है। एसआईटी अब पूरे नामों को संकलित करके शासन को जल्द रिपोर्ट भेजेगी, ताकि बाहरी लोगों पर कार्रवाई हो सके।
इसलिए नहीं भेजे गए थे नाम : एसआईटी की जांच रिपोर्ट को लेकर किसानों में नारागजी है। किसानों का कहना है कि बाहरी लोगों को छोड़ दिया गया है। एसआईटी ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि बाहरी लोगों की सूची ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने नहीं दी है। इसके चलते जिला प्रशासन से सूची लेकर भेजी जाएगी। अब सूची मिलने के बाद शासन को भेजने की तैयारी है।
इसका फायदा उठाया गया : लीजबैक को लेकर सरकार की नियमावली 2011 में लागू हुई है। इस नियम से पहले लीजबैक किसको की जाए, कितनी जमीन की लीजबैक की जाए, लीजबैक के बाद आबादी भूखंड मिलेगा या नहीं, आदि बिंदुओं का निर्धारण नहीं था। नियमावली बनने के बाद 3 हजार मीटर से अधिक लीजबैक नहीं होगी। साथ ही लीजबैक वाले किसानों को आबादी भूखंड नहीं मिलेंगे। अब एसआईटी 2010 और इसके बाद की भी सूची शासन को भेजेगी। इन पर कार्रवाई किए जाने का फैसला शासन को लेना है।