एजेंसी ने यमुना प्राधिकरण से मांगी कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट, करोड़ों के फ्रॉड से जुड़ा है मामला

ईडी की रडार पर आया ऑरिस बिल्डर : एजेंसी ने यमुना प्राधिकरण से मांगी कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट, करोड़ों के फ्रॉड से जुड़ा है मामला

एजेंसी ने यमुना प्राधिकरण से मांगी कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट, करोड़ों के फ्रॉड से जुड़ा है मामला

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Greater Noida News : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) को पत्र लिखकर ऑरिस ग्रुप की ऑडिट रिपोर्ट और कई दूसरे विवरण मांगे हैं। ईडी ने ऑरिस ग्रुप के यमुना एक्सप्रेसवे के पास ग्रीनबे गोल्फ विलेज हाउसिंग (Green Bay Golf Village) प्रोजेक्ट में विसंगतियां बताई हैं। ईडी ने प्राधिकरण से पूछा है कि अगर आपके पास ऑरिस ग्रुप की कोई जानकारी है तो उसकी रिपोर्ट दें। ऑरिस लैंड एंड हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की पूरी ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी मांगी है।

ईडी ने यमुना प्राधिकरण से क्या कहा?
इस मुद्दे पर ईडी के उपनिदेशक पेम्मैया केडी ने यमुना प्राधिकरण को पत्र लिखते हुए कहा, "हमारा विभाग ऑरिस समूह के मामले में जांच कर रहा है। यह पता चला है कि यमुना प्राधिकरण ने ऑरिस ग्रुप के ग्रीनबे प्रोजेक्ट का ऑडिट किया है। यमुना सिटी के सेक्टर-22डी में भूमि आवंटन के संबंध में यमुना प्राधिकरण को वित्तीय विसंगतियां मिली हैं। यह भी पता चला है कि यमुना प्राधिकरण ने पुलिस के पास सूचना दर्ज करवाई है।" अब ईडी ने ऑरिस समूह से जुड़ीं सभी प्रकार की रिपोर्ट यमुना प्राधिकरण से मांगी हैं। 

जून 2018 में हुआ था पहला मुकदमा दर्ज
आपको बता दें कि बीते 27 जून 2018 को ग्रीनबे इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना का निर्माण करने वाली एओरिस कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात और कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। उस समय यमुना प्राधिकरण ने घर खरीदारों से अर्जित धन को दूसरे प्रोजेक्ट के लिए स्थानांतरित करने का आरोप ऑरिस ग्रुप के निदेशकों पर लगाया था। 

कैसे सबसे बड़ा डिफॉल्टर बना ओरिस ग्रुप
डेवलपर को 620 फ्लैट और 684 भूखंडों के साथ एक टाउनशिप बनाने के लिए सेक्टर-22 डी में 100 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। तब भूमि का प्रीमियम 192 करोड़ रुपये था। हालांकि, ओरिस ने कुछ समय बाद बकाया भुगतान करने में चूक करना शुरू कर दिया। 455 करोड़ रुपये के साथ ऑरिस समूह वर्तमान में यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के सबसे बड़े डिफॉल्टरों में से एक है। जब बकाया बढ़ता गया तो यमुना प्राधिकरण ने डेवलपर के वित्तीय लेनदेन की जांच के लिए एक ऑडिट समिति का गठन किया।

अब ईडी ने मामले में जांच शुरू की
अभी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पुराने मुकदमे और यमुना प्राधिकरण की जांच-पड़ताल का हवाला देते हुए रिपोर्ट मांगी है। प्रवर्तन निदेशालय ने यमुना अथॉरिटी से उपलब्ध दस्तावेज मांगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि ऑरिस समूह की कंपनियों में हो गए धन के लेन देन पर सवालिया निशान हैं। जिसकी पड़ताल चल रही है।

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