किसान को भूमि अधिग्रहण के बदले 15 साल धक्के खाकर मिला यह प्लॉट, अब कोई बताए कैसे बनेगा घर

हाल-ए-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी : किसान को भूमि अधिग्रहण के बदले 15 साल धक्के खाकर मिला यह प्लॉट, अब कोई बताए कैसे बनेगा घर

किसान को भूमि अधिग्रहण के बदले 15 साल धक्के खाकर मिला यह प्लॉट, अब कोई बताए कैसे बनेगा घर

Tricity Today | घर का नक्शा

Greater Noida News : जसपाल भट्टी और पंकज कपूर के सरकारी महकमों से जुड़े व्यंग्यात्मक धारावाहिक आपको खूब याद होंगे। उनमें किस तरह सरकारी विभागों में आम आदमी को धक्के खाने के लिए मजबूर किया जाता है। हम आपको उत्तर प्रदेश के सबसे आधुनिक, सुविधा संपन्न और पेशेवर संस्थान ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में लालफीताशाही की ऐसी ही एक बानगी दिखाने जा रहे हैं, कैसे अथॉरिटी के अफसर और कर्मचारी आम आदमी व किसानों को बरसों-बरस परेशान करते हैं? ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण शहर बसाने और उद्योगों के लिए यहां के किसानों की जमीन का अधिग्रहण करता है। इसके बदले में किसानों को दो सुविधाएं मिलती हैं। पहले जमीन के बदले मुआवजा दिया जाता है और फिर भविष्य में घर बनाने के लिए कुल अधिग्रहित जमीन का 6 फ़ीसदी हिस्सा विकसित करके भूखंड के रूप में आवंटित किया जाता है। यह प्लॉट लेने के लिए दशकों से हजारों किसान अथॉरिटी के चक्कर काट रहे हैं। सौभाग्यशाली किसानों को भूखंड मिल जाता है। यह व्यथा कथा ऐसे ही एक भाग्यवान किसान की है।

यह मामला क्या है?
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में वैदपुरा गांव के निवासी दुलीचंद पुत्र भगवान सहाय की जमीन का अधिग्रहण वर्ष 2007 में किया गया था। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने किसान की 2,330 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया था।  मुआवजा व्यवस्था के तहत उन्हें 6% यानी 140 वर्ग मीटर का भूखंड आवासीय सुविधा विकसित करने के लिए दिया जाना था। करीब 15 वर्षों तक किसान परिवार विकास प्राधिकरण के धक्के खाता रहा। अब जाकर पिछले साल उन्हें सैनी गांव के पास भूखंड नंबर 210 आवंटित किया गया। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की इस मेहरबानी से किसान परिवार की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था। जब लीज प्लान सामने आया तो किसान के होश उड़ गए।

किसान तो चल बसा, बेटा परेशान
करीब 15 वर्ष लंबा इंतजार करते हुए दुलीचंद की मृत्यु हो चुकी है। पिछले कई वर्षों से उनका बेटा राकेश प्राधिकरण से भूखंड की मांग कर रहा है। राकेश का कहना है, "प्राधिकरण में किसी आम आदमी की सुनवाई नहीं होती है। जिन लोगों की अच्छी सिफारिश हैं, उनके काम आसानी से हो जाते हैं। बिना सिफारिश वाले तो केवल दफ्तर के चक्कर काटते रहते हैं। हम लोगों का प्लॉट केवल 140 वर्ग मीटर का है। इसलिए किसी को ज्यादा पैसा भी नहीं दे सकते हैं। हमारी किसी बड़े नेता या अफसर से पहचान भी नहीं है।

तिकोना प्लॉट किसान को मिला
पहले दुलीचंद और फिर उसके बेटे राकेश को अपना हक मिलने में 15 साल लग गए। अब उन्हें अथॉरिटी ने घर बनाने के लिए त्रिभुजाकार भूखंड आवंटित किया है। इस भूखंड की एक भुजा केवल 12.40 मीटर चौड़ी है और 12 मीटर चौड़ी सड़क इसके सामने है। बाकी एक साइड में ग्रीन बेल्ट और दूसरी तरफ अन्य किसानों को भूखंडों का आवंटन किया गया है। कुल मिलाकर किसान को यह बात समझ नहीं आ रही कि इस भूखंड पर घर कैसे बनाए। किसान का कहना है, "मुझे एक साल पहले इस प्लॉट का आवंटन किया गया था। मैंने तभी इस पर आपत्ति जाहिर कर दी थी। अब तक कोई समाधान नहीं किया गया है। मैं लगातार अथॉरिटी में धक्के खा रहा हूं। नीचे वाले कर्मचारी बड़े अफसरों तक पहुंचने नहीं देते हैं।"

मान्यताओं के मुताबिक अशुभ
राकेश का कहना है, "यह भूखंड हमारे किसी काम का नहीं है। तिकोना है और भुजाएं बेहद छोटी हैं। दरअसल, क्षेत्रफल केवल 140 वर्ग मीटर है। जो भुजा 12 मीटर रोड पर है, वह सबसे चौड़ी है। मतलब, यह भूखंड आगे से चौड़ा और पीछे से लगातार संकरा होता जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक ऐसी संपत्ति को सर्पमुखी कहते हैं। सर्पमुखी संपत्ति वास्तु के लिहाज से हानिकारक मानी जाती है। हम ना तो खुद इस पर घर बनाकर रह सकते हैं और ना ही किसी दूसरे को बेच सकते हैं। कुल मिलाकर इस भूखंड की कीमत हमारे लिए शून्य है।

अथॉरिटी के अफसर मौन
राकेश की इस समस्या पर बात करने के लिए 'ट्राईसिटी टुडे' की ओर से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण को जानकारी दी गई है। इस तरह का आवंटन करने के लिए जिम्मेदार अथॉरिटी के प्लानिंग डिपार्टमेंट के वरिष्ठ प्रबंधक सुधीर कुमार और महाप्रबंधक मीना भार्गव से बात करने की कोशिश की गई। सुधीर कुमार ने अभी खुद को कहीं व्यस्त बताकर कुछ समय बाद बात करने का आश्वासन दिया है। दूसरी तरफ मीना भार्गव का सरकारी सीयूजी फोन नंबर अस्थाई रूप से सेवा में नहीं है।

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