Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर के किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सपने को पूरा करने के लिए अपनी जमीन दी हैं, लेकिन अभी तक किसानों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ। इसको लेकर रविवार को जेवर विधानसभा में पड़ने वाले आकलपुर गांव में किसानों ने पंचायत की। पंचायत के बाद एक पत्र योगी आदित्यनाथ के नाम लिखा गया, जिसमें किसानों ने अपनी आपबीती का जिक्र किया है। किसानों का कहना है कि वह काफी परेशान है, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान कोई नहीं करवा पा रहा है। अब केवल मुख्यमंत्री से ही उम्मीद बची हुई है। इसको लेकर किसान संघर्ष समिति ने आवाज उठाई।
किसानों ने यूपी के विकास के लिए दी अपनी जमीन
किसानों की आवाज उठाने वाले भाजपा नेता सुशील शर्मा का कहना है, "योगी आदित्यनाथ आप भली-भांति जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की तरक्की और खुशहाली के रास्ते बनाने के लिए इस प्रदेश के किसानों ने आपकी कार्यशैली, किसान, गरीब और मजदूरों के प्रति आपकी सहृदयता को देखते हुए प्रदेश के किसानों ने अपनी जमीनें विकास के लिए दी हैं। हमने यह भी देखा है कि आपके नेतृत्व में औद्योगिक विकास के साथ-साथ प्रदेश का सर्वांगीण विकास हो रहा है और यह प्रदेश तेजी से देश की आर्थिक राजधानी बनने की ओर अग्रसर है।"
आज तक जेवर के किसान परेशान
पंचायत की अध्यक्षता कर रहे महेंद्र त्यागी ने कहा, "वर्ष 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून, जो सन् 2014 में अस्तित्व में आया, उसके बाद प्रदेश के किसानों में एक उम्मीद जगी कि अब किसान के साथ कोई धोखा नहीं कर पाएगा। लेकिन विगत सात वर्षों से देख रहे हैं कि जनपद गौतमबुद्ध नगर की अनेकों लंबित समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा अथवा जेवर के किसान और मजदूर निरंतर सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं, जो आपके नेतृत्व में चल रही लोक कल्याणकारी सरकार के लिए सही नहीं है।"
किसान के कल्याण का भाव नजर नहीं आ रहा
पंचायत का संचालन कर रहे भोलू शर्मा ने कहा, "यह देखने में आ रहा है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की मूल भावना और उसकी आत्मा को इस प्रदेश के नौकरशाह मनमाने तरीके से परिभाषित कर रहे हैं। जिसमें औद्योगिक विकास का भाव तो है, लेकिन किसान के कल्याण का भाव नजर नहीं आ रहा है। जिसका स्पष्ट उदाहरण जेवर क्षेत्र में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों में नजर आया।"
जेवर एयरपोर्ट से प्रभावित किसान लगा रहे अफसरों के चक्कर
पंचायत में शामिल हरीश शर्मा ने कहा, "आज भी प्रथम चरण में अधिग्रहण किए गए प्रभावित परिवार अपनी समस्याओं को लेकर अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। यही हालत कमोबेश द्वितीय चरण में अधिग्रहित की जा रही किसानों और उन पर आश्रित परिवारों की है। सबका साथ, सबका विकास और पारदर्शिता आपकी सरकार का मूलमंत्र है, लेकिन यह पारदर्शिता भूमि अधिग्रहण में कहीं नजर नहीं आ रही है। उदाहरण के लिए जेवर क्षेत्र के तकरीबन 16 गांवों को "सामाजिक आकलन" के समय शहरी क्षेत्र घोषित किया गया, जिससे किसान चार गुना मुआवजा न मांग सके।"
आज लोग पलायन को मजबूर
उन्होंने आगे कहा, "नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए प्रथम चरण में किए गए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित श्रमिकों, छोटे मोटे व्यापारी, ग्रामों में छोटे उद्योग चलाने वाले और कुशल कारीगरों आदि के लिए कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की। जिससे वे क्षेत्र में रहकर अपने लिए दो जून की रोटी जुटा सकें। जिसका परिणाम यह हुआ है कि विस्थापन के बाद आधी आबादी दूसरे शहरों को पलायन कर गई, जिससे हमारे क्षेत्र का सामाजिक ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है।"
किसानों को बेहतर की उम्मीद, लेकिन हाथ खाली...
नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 कहता है कि प्रभावित किसानों को वर्तमान व्यवस्था से बेहतर और उन्नत व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। किसानों को दिए जाने वाले लाभ नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में प्रावधानित न्यूनतम लाभ हैं। सरकार को उन्हें अधिकतम स्थिति तक लाकर उन्हें लाभान्वित किया जाना था। उदाहरण के लिए प्रभावित परिवारों के बालिग सदस्यों को साढ़े पांच लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान एक्ट में है। जो महंगाई दर और जीवन स्तर में आई जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त है।
महापंचायत में निम्नलिखित प्रमुख मांगें उठाई गईं
समान मुआवजा नीति : जनपद में समान मुआवजा नीति लागू करने की मांग की गई है।
सर्किल रेट में वृद्धि : सर्किल रेट को तत्काल बढ़ाने की मांग की गई है।
रोजगार की व्यवस्था : किसान और उन पर आश्रित भूमिहीन किसानों के बच्चों के रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
मुआवजा निर्धारण में महंगाई दर का ध्यान : मुआवजा निर्धारण करते समय वर्तमान महंगाई दर को ध्यान में रखने की मांग की गई है।
भूमि अधिग्रहण से आबादियों को मुक्त करना : नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 11 की अधिसूचना जारी किए जाने से पूर्व बनी आबादियों को अधिग्रहण प्रक्रिया से मुक्त करने की मांग की गई है।
परिसंपत्तियों के मूल्यांकन की पारदर्शिता : अधिग्रहण के समय परिसंपत्तियों के मूल्यांकन को सार्वजनिक करने की मांग की गई है, जिससे कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके।
पेरिफेरल मार्ग निर्माण : ग्रामों के चारों तरफ पेरिफेरल मार्ग बनाए जाने की मांग की गई है।
सामुदायिक केंद्र और सुविधाएं : ग्रामों की आबादी के पास सामुदायिक जरूरतों के मुताबिक सामुदायिक केंद्र, श्मशान, कब्रिस्तान और बारात घर आदि का निर्माण किया जाए।
विस्थापन स्थल की व्यवस्था : विस्थापित होने वाले किसानों की वर्तमान में बनी हुई आबादी को मानक मानते हुए, उनके सापेक्ष ही विस्थापन स्थल पर आबादी दी जाए।
लंबित समस्याओं का समाधान : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में वर्षों से लंबित चल रही समस्याओं का अविलंब समाधान किया जाए।