लीजबैक पर फैसले से किसान नाराज, मनवीर भाटी और रूपेश वर्मा क्या बोले?

ग्रेटर नोएडा : लीजबैक पर फैसले से किसान नाराज, मनवीर भाटी और रूपेश वर्मा क्या बोले?

लीजबैक पर फैसले से किसान नाराज, मनवीर भाटी और रूपेश वर्मा क्या बोले?

Tricity Today | मनवीर भाटी और रूपेश वर्मा

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की लीजबैक पॉलिसी को लेकर उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र भेजा है। जिसमें 237 प्रकरणों को रद्द किया जाएगा। आईडीसी में 296 प्रकरणों को वैध घोषित करते हुए प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश दिया। आईडीसी ने यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में गठित स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम की जांच रिपोर्ट के आधार यह फ़ैसला लिया है। औद्योगिक विकास आयुक्त का यह पत्र पब्लिक डोमेन में आने के बाद किसान नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की हैं। प्राधिकरण के बाहर कई महीनों से धरना दे रहे किसान नेता रूपेश वर्मा ने इस फ़ैसले को ग़लत क़रार दिया है। दूसरी तरफ़ मनवीर भाटी ने इस फ़ैसले को किसानों के प्रति अन्याय बताया है।

रूपेश वर्मा ने कहा, “ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लीजबैक के 533 प्रकरणों की जांच विशेष जांच दल के अध्यक्ष डॉ.अरुणवीर सिंह की अगुवाई में हुई थी। आईडीसी मनोज कुमार के पत्र में कहा गया है कि एसआईटी ने 237 प्रकरणों में लीजबैक के अनुमोदनों को रद्द करने की संस्तुति की गई है। किसान सभा की जिला कमेटी ने प्राप्त पत्र का विश्लेषण किया। पत्र के अनुसार सिर्फ दो प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें केवल दो किसानों को गैर पुश्तैनी पाया गया है। तीन प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें खातेदारों का नाम नक्शा 11 में नहीं है। इस तरह कुल पांच प्रकरणों को छोड़कर सभी प्रकरण पुश्तैनी किसानों के हैं। पत्र के अनुसार प्रकरणों का अनुमोदन रद्द करने की बात पूरी तरह गलत है। किसान सभा इसका विरोध करती है। पुश्तैनी किसानों के सभी प्रकरणों की लीजबैक की जाए। शेष प्रकरणों को आबादी जैसी है, जहां के आधार पर आगामी बोर्ड बैठक से पास किया जाए।”

मानवीर भाटी ने कहा, “किसानों के साथ हुआ है। इन 533 आबादी प्रकरणों को शासन से मंजूरी दिलाने का भरोसा देकर  धरने से उठाया गया था। अब उन 533 प्रकरणों में क़रीब आधे रद्द कर हो जाएंगे। इससे 500 से ज़्यादा निर्दोष किसान परिवारों को बड़ा नुकसान होगा। प्राधिकरण के अधिकारियों ने ग़लत तथ्य देकर एसआईटी और शासन अंधेरे में रखा है। यह किसानों को बर्बाद करने वाला काम है। इससे पहले भी 1451 किसानों की आबादियों को खतम कर दिया था। जिसे लेकर किसान संघर्ष समिति ने धरना दिया। किसान संघर्ष समिति को कामयाबी मिली है। अब फिर से किसान संघर्ष समिति और ठगे गए किसान आंदोलन करेंगे।”

सरकार ने लीजबैक के मामलों की दी मंजूरी
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से जुड़े लीजबैक के मामलों को राज्य सरकार ने मंज़ूरी दे दी है। यूपी के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त ने ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र भेजकर बताया है कि लीजबैक के 533 प्रकरण लंबित पड़े हुए हैं, उन्हें निस्तारित किया जाए। बड़ी बात यह है कि औद्योगिक विकास आयुक्त ने 296 लीजबैक के मामलों को हरी झंडी दी है। बाक़ी 237 मामले में गड़बड़ियां पाई गई हैं। इनके प्रस्ताव तैयार करने वाले प्राधिकरण के अफ़सरों को चिन्हित करके लिस्ट शासन को भेजने का आदेश दिया है। ज़िम्मेदार अफ़सरों और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से जुड़े किसानों के लीजबैक प्रकरणों की जांच करने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था। अब एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर निस्तारण करने का आदेश औद्योगिक विकास आयुक्त ने दिया है।

आईडीसी मनोज कुमार सिंह के पत्र में क्या है
औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने रविकुमार एनजी को भेजे पत्र में लिखा है कि ग्रामीण आबादी स्थल प्रबंधन एवं विनियमितिकरण नियमावली के तहत 533 प्रकरण तैयार किए गए थे। इन प्रस्तावों की जांच यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में गठित एसआईटी से करवाई गई। जुलाई 2022 में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी थी। इस रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के आधार पर आगामी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखे जाएं। बोर्ड से मंज़ूरी लेकर लीजबैक के मामलों का निस्तारण किया जाए।

इतने मामलों में एसआईटी ने गड़बड़ियां पकड़ीं
विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इनमें से 99 ऐसे मामले हैं, जिनकी सैटेलाइट इमेजरी में पता लगा है कि वर्ष 2011 से पहले मौक़े पर कोई निर्माण नहीं किया गया था। इन प्रस्तावों से जुड़े किसानों को लाभ नहीं दिया जा सकता है। दो प्रकरण ऐसे सामने आए जिनके लाभार्थी गौतमबुद्ध नगर के मूल निवासी नहीं हैं। तीन प्रकरण ऐसे थे, जिनमें लाभार्थियों के नाम नक्शा 11 में शामिल नहीं पाए गए हैं। एक प्रकरण ऐसा सामने आया है, जिसमें प्राधिकरण बोर्ड से मंज़ूरी मिलने से पहले ही ज़मीन का मुआवज़ा दे दिया गाय था। 

लीजबैक पॉलिसी के नियमों का ख़्याल नहीं रखा गया
एसआईटी के सामने 20 मामले आए हैं, जिनमें लीजबैक करवाने के लिए आवेदन 31 दिसंबर 2011 से पहले किया गया है, लेकिन लीजबैक होने वाली जमीन का क्षेत्रफल 3000 वर्ग मीटर से अधिक है। 47 मामले ऐसे हैं, जिनमें आवेदन 31 दिसंबर 2011 के पश्चात प्राधिकरण में दाखिल हुए हैं, लेकिन 1000 वर्ग मीटर से अधिक जमीन लीजबैक करने का अनुमोदन किया गया है। 

आईडीसी ने कार्रवाई के लिए अफसरों के नाम मांगे
आईडीसी ने पत्र में लिखा है कि इन अनियमितताओं के निमित्त उत्तरदायी अधिकारियों को चिन्हित किया जाए। इन अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए आरोप पत्र तैयार करके शासन को भेजें। औद्योगिक विकास आयुक्त ने सीईओ को बताया 296 मामलों से जुड़े किसान पात्र पाए गए हैं। ऐसे प्रकरणों में लीज बैक करने के लिए प्राधिकरण की नियमावली के तहत प्रक्रिया पूरी करें।

लीजबैक क्या है? 
लीजबैक एक समझौते को संदर्भित करता है जहां एक फर्म एक संपत्ति बेचती है और इसके लिए समझौता भी करती हैपट्टा खरीदार से वापस संपत्ति। एक लीज़बैक को बिक्री-पट्टे के रूप में भी जाना जाता है और समझौते का विवरण संबंधित संपत्ति की बिक्री के दौरान किया जाता है। समझौते में पट्टे के लिए भुगतान और शामिल अवधि शामिल होगी। इस व्यवस्था में विक्रेता पट्टेदार बन जाता है और क्रेता पट्टेदार हो जाता है। एक फर्म जुटाने में सक्षम होने के लिए ऐसी व्यवस्था कर सकती हैराजधानी. इस तरह, यह व्यवसाय के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक नकदी और संपत्ति दोनों प्राप्त करता है।

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